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अफवाह फैलाकर लड़ी जा रही कोरोना की जंग, जानें कितनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं जिम्मेदार

कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह से ब्लैक फंगस जैसी बीमारियों ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 23 May 2021 3:04 PM IST
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कोरोनावायरस की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। कोरोनावायरस की दूसरी लहर थमती नजर आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ संक्रमण की वजह से ब्लैक फंगस जैसी बीमारियों ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में सरकार के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। क्योंकि इसी के साथ कोरोनावायरस की तीसरी लहर के लक्षण भी सामने आने लगे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार पहले से ही जनता और विपक्ष के निशाने पर है। ऐसे में जनता के साथ-साथ ब्लैक फंगस व कोरोनावायरस की तीसरी लहर सरकार पर काफी भारी पड़ने वाली है। हालांकि इन खतरों से निपटने के लिए सरकार व्यापक स्तर पर काम कर रही है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि सरकार का सहयोग कितने लोग कर रहे हैं।

शुरू से ही की गई नकारात्मकता फैलाने की कोशिश

दिलचस्प है कि पिछले साल जब कोरोनावायरस ने देश में पांव पसारना शुरू किया था, तभी से हमारे देश में नकारात्मकता और अफवाह की राजनीति शुरू हो गई थी। विपक्ष की भूमिका सहयोग की जगह भ्रम फैलाने में ज्यादा रही। कोरोना की पहली लहर के दौरान जैसे ही देश में लॉकडाउन का एलान हुआ, विपक्ष तुरंत सरकार के इस फैसले को गलत बताने में लग गई। गरीब, प्रवासी मजदूरों को लेकर जमकर राजनीति हुई। सरकार और नेताओं से बेहतर अभिनेता सोनू सूद ने काम किया, जिसकी तारीफ पूरे देश में हो रही है। यही वजह भी रही जनता ने सरकार और विपक्ष की नेताओं की जगह सोनू सूद से फरियाद करना बेहतर समझा।

प्रवासी मजदूरों को पहुंचाने की जो गंदी राजनीति हुई उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बार—बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने प्राइवेट वाहन से मजदूरों को पहुंचाने की अपील कर रही थीं। लेकिन सरकार उनकी अपील लगातार नजरंदाज करती रही। प्रियंका गांधी ने यूपी की सीमाओं पर कुछ बसों को खड़ा करके जनता को यह संदेश देने की कोशिश कर रही थी कि वह प्रवासी मजदूरों को उनके घर छोड़ने के लिए एक हजार बसों का इंतजाम कर चूकी हैं, पर राज्य सरकार उन्हें इसकी इजाजत नहीं दे रही है।

इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने सियासी चाल चलते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा से खड़े बसों के नंबर उपलब्ध कराने की मांग कर ली, जिससे उन्हें चलाने की अनुमति दी जा सके। इस पर उनकी तरफ से उपलब्ध कराए गए नंबर हैरान करने वाले थे, इसमें बसों के नंबर के साथ—साथ आटो और स्कूटर तक के नंबर शामिल थे।

वैक्सीन पर भी हुई सियासत

इसी तरह कोरोनावायरस की वैक्सीन इजात करने में भले भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई, लेकिन यहां भी इसका लेकर नकारात्मकता की सियासत शुरू हो गई। विपक्षी दल के कुछ नेता इसे कम असरदार बताने लगे तो कुछ इससे अन्य बीमारियों के होने की बात करके जनता को गुमराह करने लगे। हद तो तब हो गई जब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे बीजेपी की वैक्सीन बता कर पार्टी नेताओं से न लगवाने की अपील तक कर डाली। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि हमारे राजनेता जनता के हितों के प्रति कितने जिम्मेदार हैं।

गुमराह करने में बीजेपी नेता भी पीछे नहीं

जनता को गुमराह करने में बीजेपी नेता भी पीछे नहीं रहे। पार्टी के कई नेताओं ने कोरोना से बचने के लिए ऐसे—ऐसे ज्ञान बांटे जिसे सुनकर विश्वास करने की जगह लोगों को हैरानी हुई। किसी ने शरीर पर मिट्टी का लेपन करके दावा किया कि इससे कोरोना नहीं होगा, तो कुछ लोग हवन करके कोरोना को भगाने में लग गए। इतना ही नहीं बलिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा कर डाला कि गौ मूत्र पीने से कोरोना नहीं होगा। तो वहीं भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर एककदम और बढ़ते हुए कहा कि वह गौ मूत्र का सेवन कर रही हैं। इससे उन्हें कोरोना नहीं होगा। ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि महामारी के प्रति हम कितने जिम्मेदार हैं।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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