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कोरोना के चलते बदली भारत की 16 साल पुरानी नीति, अब विदेश से लेगा सहायता

कोरोना महामारी की मार के चलते भारत ने विदेशी सहायता प्राप्त करने की नीति में 16 साल बाद बड़ा बदलाव किया है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Shreya
Published on: 29 April 2021 10:03 AM IST
कोरोना के चलते बदली भारत की 16 साल पुरानी नीति, अब विदेश से लेगा सहायता
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण ने एक बार फिर से तबाही मचानी शुरू कर दी है। बीते कई दिनों से 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, वहीं मृतकों की संख्या में भी बेहिसाब इजाफा देखने को मिल रहा है। लगातार बढ़ती संक्रमितों की संख्या से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है। कई राज्यों में अस्पताल बेड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की किल्लत से जूझ रहे हैं।

कोरोना महामारी की मार के चलते भारत ने विदेशी सहायता प्राप्त करने की नीति में 16 साल बाद बड़ा बदलाव किया है। जिसके बाद विदेशों से मिलने वाले भेंट, दान व सहायता को भारत ने स्वीकारना शुरू कर दिया है। यहां तक की चीन से भी मेडिकल उपकरण खरीदने का फैसला किया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, विदेशी सहायता प्राप्त करने के संबंध में दो बड़े बदलाव किए गए हैं।

इलाज करते स्वास्थ्यकर्मी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

चीन से भी सहायता लेगा भारत

बदलाव के बाद अब चीन से जीवन रक्षक दवाएं और ऑक्सीजन से जुड़े उपकरण खरीदने में भारत को कोई परेशानी नहीं है। यहां तक पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की ओर से भी भारत को मदद की पेशकश की गई है। हालांकि पाकिस्तान से मदद लेने को लेकर भारत ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है। यहीं नहीं अब राज्य सरकारें सीधे जीवन रक्षक दवाएं विदेशी एजेंसियों से खरीद सकेंगी, केंद्र उनके रास्ते में नहीं आएगी।

16 साल पहले भारत ने किया था ये फैसला

आपको बता दें कि 16 साल पहले यूपीए सरकार ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में विदेश से अनुदान व सहायता न लेने का फैसला किया था। दिसंबर, 2004 में आई सुनामी के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऐलान करते हुए कहा था कि ''हमारा मानना है कि हम खुद से इस स्थिति का सामना कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर ही हम उनकी मदद लेंगे।

केदारनाथ त्रासदी की फोटो (साभार- सोशल मीडिया)

बड़ी आपदाओं में भी नहीं ली कोई मदद

मनमोहन सिंह के इस बयान को भारत की आपदा सहायता नीति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा गया। इसके बाद भारत आपदाओं के समय इसी नीति का पालन करते आया। यहां तक 2013 में केदारनाथ त्रासदी और 2005 के कश्मीर भूकंप और 2014 की कश्मीर बाढ़ के समय भी भारत ने विदेशों से सहायता प्राप्त नहीं की थी। लेकिन अब 16 साल बाद भारत ने इस नीति में बदलाव किया है।

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