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Coronavirus: कोरोना वायरस है सदा के लिए, नए वेरियंट आते रहेंगे सामने, रिपोर्ट में खुलासा
Coronavirus: बीते सवा साल में ही कोरोना वायरस ने वेरियंट रूपी नए नए चेहरे दिखाए हैं। अब तक अल्फा, बीटा, कापा, डेल्टा, गामा जैसे वेरियंट सामने आ चुके हैं।
Coronavirus: ये साफ है कि कोरोना वायरस कहीं जाने वाला नहीं है। चूंकि ये वायरस दर्जन भर अलग अलग किस्म के पशुओं में पनप रहा है सो ये बीमारी भी खत्म नहीं की जा सकती। हाल ही में चीन में शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों में नए नए कोरोना वायरस खोज निकाले हैं। खत्म होने की बजाए, ये वायरस समय समय पर दुनियाभर में आता जाता रहेगा।
लगातार चेहरा बदल रहा वायरस
बीते सवा साल में ही इस वायरस ने वेरियंट रूपी नए नए चेहरे दिखाए हैं। अब तक अल्फा, बीटा, कापा, डेल्टा, गामा जैसे वेरियंट सामने आ चुके हैं। यूके के केंट में सबसे पहले पाया गया कोरोना का 'अल्फ़ा वेरिएंट' पहले से ज़्यादा संक्रामक था लेकिन भारत में फैला 'डेल्टा वेरिएंट' उससे भी ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है। डेल्टा वेरियंट अब चीन में फैल रहा है। यानी वायरस के 'इवॉल्व' होने यानी लगातार बदलने की ये प्रक्रिया अब भी जारी है।
इंसानों का शरीर है पनाहगाह
सामान्य फ्लू वायरस हो या एबोला या फिर कोरोना, ये वायरस पहले इंसानों के शरीर तक अपनी पहुँच बनाते हैं और उसके बाद ही अपना रंग बदल कर सामने आते हैं। कोरोना वायरस के मामले में बड़ी बात ये है कि 18 महीने में इसने दो बार ख़ुद को बदला है। इसके अल्फ़ा और डेल्टा वेरिएंट, दोनों ही अपने पिछले वेरिएंट से 50 प्रतिशत तक ज़्यादा संक्रामक पाये गए। एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी वायरस में इतना बदलाव होना असाधारण है।
अभी और रंग बदलेगा वायरस
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना वायरस के बढ़ने की दर से जुड़ी किसी संख्या का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है लेकिन ये तय है कि कुछ ही सालों में इस वायरस की संक्रामकता बढ़ जायेगी यानी इसके कुछ और वेरिएंट देखने को मिल सकते हैं। जितना ज्यादा संख्या में और जितनी लम्बी अवधि में लोग संक्रमित होते रहेंगे, ये वायरस उतना ज्यादा म्यूटेट हो कर नए वेरियंट के रूप में सामने आता जाएगा।
वायरस को काबू करने और किसी सुपर म्यूटेंट को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों का जल्दी से जल्दी वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय है। ये अच्छी बात है कि दुनिया का फोकस वैक्सीनेशन की व्यापक और तेज रफ्तार पर है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सब कुछ होने के बावजूद भविष्य की बीमारियों के बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है।