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कोरोना के साथ हार्ट अटैक और स्ट्रोक का बड़ा ख़तरा

कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजी बीमारी तो अपने आप में भयावह है ही, साथ में कई और बीमारी के जोखिम भी बने रहते हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 4 Sep 2021 12:35 PM GMT
heart attack
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कोरोनावायरस से ठीक हुए लोगों में बढ़ा हार्ट अटैक का खतरा (फोटो-न्यूजट्रैक)

नई दिल्ली: कोरोनावायरस संक्रमण अपने साथ बहुत सी मुसीबतें लेकर आता है। वायरस के संक्रमण से उपजी बीमारी तो अपने आप में भयावह है ही, साथ में कई और बीमारी के जोखिम भी बने रहते हैं। ऐसे तमाम मामले मिले हैं जिनमें कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को कुछ दिनों या हफ़्तों बाद हार्ट अटैक पड़ा। अब ऑक्सफ़ोर्ड और स्वीडन में हुए अध्ययनों ने इस बात की पुष्टि की है कि कोरोना संक्रमण और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का सम्बन्ध है।

स्वीडन में हुई स्टडी

स्वीडन में एक व्यापक स्टडी की गयी है, जिसमें 2020 में कोरोना से संक्रमित 86,742 लोगों का तुलनात्मक अध्ययन 3,48,481 स्वस्थ लोगों से किया गया। स्टडी में पता चला कि किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि होने के हफ्ते भर बाद हार्ट अटैक की आशंका तीन से आठ गुना बढ़ गयी। जबकि रक्त धमनी में ब्लॉकेज की वजह से स्ट्रोक की आशंका तीन से छह गुना बढ़ गयी। इसके बाद जोखिम घट जाता है लेकिन कम से कम चार हफ्ते तक बना रहता है।

जिन लोगों को कोरोना संक्रमण से पहले हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक हो चुका है उनमें कोरोना के बाद दोबारा अटैक या स्ट्रोक पड़ने का ख़तरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। स्वीडन में हुई इस स्टडी को प्रतिष्ठित पत्रिका 'लांसेट' में प्रकाशित किया गया है। एक अन्य स्टडी में पता चला है कि जिन लोगों को फ्लू का टीका लग चुका है, अगर उनको कोरोना होता है तो उन्हें ब्लॉकेज की वजह से स्ट्रोक होने का ख़तरा काफी कम हो जाता है।

ऑक्सफ़ोर्ड की एक स्टडी के अनुसार जिन लोगों को कोरोना का गंभीर संक्रमण होता है और उनके अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आती है, उन लोगों में संक्रमण ठीक होने के बाद हार्ट अटैक का ख़तरा बना रहता है। स्टडी के अनुसार गंभीर रूप से बीमार पड़े 50 फीसदी लोगों में रिकवरी के हफ़्तों बाद हार्ट अटैक पड़ने की आशंका रहती है।

डॉक्टरों की एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होने वाले 45 साल से कम उम्र के ज्यादातर लोगों की मौत हृदय गति के रुकने की वजह से हुई है।

डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद सूजन को बढ़ाता है, जिससे दिल की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। जब ऐसा होता है तो इससे दिल के धड़कनों की गति पर असर पड़ता है और शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं। ब्लड क्लॉटिंग की वजह से संक्रमित मरीज का दिल क्षमता के अनुसार पंप नहीं कर पाता और फिर उसके ह्रदय की गति रुक जाती है। कोरोना वायरस सिर्फ ह्रदय ही नहीं बल्कि ब्रेन में भी असर डालता है।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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