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Coronavirus: कोरोना की तीसरी लहर की हुई एंट्री, WHO ने चेताया, सावधानी ही एकमात्र बचाव
Coronavirus: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है और ये धीरे धीरे पैर जमा रही है।
Coronavirus: दुनिया महामारी की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) की ओर बढ़ रही है और यह एक सच्चाई है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बारे में सभी देशों के लिए चेतावनी जारी की है और कहा है कि स्थिति बिगड़ने से पहले सभी एहतियाती उपाए कर लिए जाने चाहियें। एशिया के तमाम देश कोरोना महामारी के ताजे प्रकोप से बुरी तरह परेशान हैं।
भारत में तो एक्सपर्ट्स काफी दिनों से इस खतरे के बारे में कह रहे हैं और अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने भी कहा है कि अगले 100 दिन भारत के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं।
कई अन्य विशेषज्ञों ने अगस्त से सितंबर के बीच देश में तीसरी लहर आने की आशंका जताई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है और ये धीरे धीरे पैर जमा रही है। डब्लूएचओ के उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में महामारी के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। जहां तक भारत में हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) की बात है तो यहां ये अभी दूर है।
हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) के लिए कम से कम 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन (Corona Vaccine) लगना जरूरी होता है जबकि अभी बहुत कम आबादी का फुल वैक्सीनेशन (Covid-19 Vaccination) हो पाया है। जून के अंत में ही एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि भारत में तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है और यह छह से आठ सप्ताह में दस्तक दे सकती है। 12 जुलाई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी चेताया था कि कोरोना की तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है।
दुनियाभर में बढ़ रहे केस
नीति आयोग और कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ वीके पॉल ने बताया है कि स्पेन ने कोरोना के साप्ताहिक मामलों में 64 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जबकि नीदरलैंड में 300 प्रतिशत इजाफा हुआ है, थाईलैंड में लंबे समय से स्थिति स्थिर थी, लेकिन अब मामले बढ़ रहे हैं, अफ्रीका ने भी कोरोना संक्रमण के मामलों में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश में तो संक्रमण के मामलों में तेज उछाल हुआ है और यहाँ स्थितियां बहुत बिगड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले सौ से सवा सौ दिन बेहद चुनातिपूर्ण होने वाले हैं।
पॉजिटिवटी दर 10 फीसदी से ज्यादा
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वर्तमान में देश के 73 जिलों में प्रतिदिन संक्रमण के 100 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इनमें से 40 से अधिक जिलों में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। यह बड़ी चिंता का कारण है। एक बड़ी बात ये भी है कि बच्चों में संक्रमण का ज्यादा ख़तरा है।
खुद ही करना होगा बचाव
भारत में रोजाना कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 35 हजार से ज्यादा बने हुए हैं। साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 3,10,26,829 हो गई है। इनमें 4,12,531 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। 16 जुलाई को ही देश में 38,079 मामले सामने आये और 560 मरीजों की मौत हो गयी। कोरोना से मौतों का ट्रेंड लगातार बना हुआ है और ये चिंता की बात है। कोरोना की तीसरी लहर में कौन सा वेरियंट आफत लायेगा, ये कहा नहीं जा सकता है लेकिन तमाम देशों में डेल्टा वेरियंट ही फैला हुआ है।
ये वेरियंट अत्यधिक संक्रामक है और ये एंटीबॉडीज को भी चकमा दे रहा है। संभवतः अप्रैल-मई में भारत में यही वेरियंट फैला था। अब डेल्टा वेरियंट में डबल म्यूटेशन हुआ है और इसके नए स्वरूप को डेल्टा प्लस कहा जा रहा है। डेल्टा प्लस कितना खतरनाक है इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। सबसे पहले भारत में पाया गया डेल्टा वेरिएंट अधिक संक्रामक होने के साथ लोगों को गंभीर स्थिति में पहुंचाने का कारण रहा है। एक नए अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में काम आ रही वैक्सीन वायरस के शुरुआती वेरिएंट की तुलना में डेल्टा पर आठ गुना कम प्रभावी है।
एक महत्वपूर्ण बात ये है कि देश में कोरोना से बचाव के एहतियातों के प्रति लापरवाही बहुत बढ़ गयी है। स्वस्थ्य मंत्रालय का ही कहना है कि लॉकडाउन में ढील के बाद से देश भर में मास्क के उपयोग में गिरावट आ रही है। मई में जहां मास्क का सबसे अधिक उपयोग किया हुआ था वहीं अब मास्क के उपयोग में 74 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
ऐसे में ये समझना जरूरी है कि मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और साफ़ सफाई का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। सिर्फ वैक्सीन लगवा लेने से भी काम नहीं चलेगा बल्कि सभी सावधानियां लगातार बरतनी होंगी। जबतक आधे से ज्यादा जनसंख्या का फुल वैक्सीनेशन नहीं हो जाता तब तक किसी प्रकार की ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं रखनी चाहिए।
कोरोना महामारी की वैश्विक स्थिति
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 18.94 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 40.74 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.40 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.09 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है। तीसरे सबसे अधिक प्रभावित देश ब्राजील में 1.93 करोड़ संक्रमितों में से 5.40 लाख मरीजों की मौत हुई है।
86 फीसदी लोगों में डेल्टा वेरियंट
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक स्टडी में बताया है कि भारत में फुल वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित हुए 86 प्रतिशत लोगों में डेल्टा वेरिएंट मिला है। लेकिन अच्छी बात ये है कि फुल वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित हुए लोगों में मृत्यु दर बेहद कम रही है। इस स्टडी में 677 संक्रमितों के सैंपल लिए गए थे। इनमें से 604 ने कोविशील्ड, 71 ने कौवैक्सिन और दो लोगों ने चीनी सिनोफार्म वैक्सीन ली थी। इनमें से महज तीन लोगों की मौत हुई है।
इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि इस वेरिएंट ने वैक्सीन लगवाने वालों को भी अपनी चपेट में लिया है। हालांकि, संक्रमित हुए लोगों में से महज 9.8 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी और 0.4 प्रतिशत की ही मौत हुई है। इससे साफ़ है कि फुल वैक्सीनेशन से बीमारी की गंभीर अवस्था से प्रोटेक्शन मिलता है। आईसीएमआर ने 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सैंपल लिए थे। इनमें से 71 प्रतिशत लोगों में एक या उससे अधिक लक्षण देखने को मिले थे, जबकि 29 प्रतिशत में कोई भी लक्षण सामने नहीं आए थे, लेकिन उन्हें संक्रमित पाया गया था।
ये निष्कर्ष निकाला गया है कि भले ही वायरस अपना म्यूटेशन कर रहा है, लेकिन कोरोना वैक्सीन लेने के बाद लोगों को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। वैक्सीन लेने के बाद यदि व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसे अस्पताल में भर्ती होने की बहुत कम आवश्यता पड़ती है। इसी तरह मौत का खतरा भी बहुत कम रहता है। अध्ययन के अनुसार संक्रमित हुए लोगों में से महज 9.9 प्रतिशत ही अस्पताल में भर्ती हुए थे।
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