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Corona Vaccine: कमजोर हो रही एंटीबॉडी, भारत में कोरोना वैक्सीन का बूस्टर देने की जरूरत

Corona Vaccine: भारत में अब लोगों को वैक्सीन की ढाल मिलती रहे इसके लिए बूस्टर डोज़ की जरूरत महसूस की जाने लगी है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 14 Sep 2021 7:32 AM GMT
Corona Vaccine: कमजोर हो रही एंटीबॉडी, भारत में कोरोना वैक्सीन का बूस्टर देने की जरूरत
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वैक्सीनेशन (फोटो- न्यूजट्रैक) 

Corona Vaccine: कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ जंग में वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन अब इस हथियार की धार कम होती जा रही है। भारत में कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सिन (Covaxin) पर हुई एक रिसर्च में पता चला है कि इन वैक्सीनों से उत्पन्न एंटीबॉडी (Antibodies) कुछ ही महीनों में कम पड़ने लगती हैं। इस स्थिति में लोगों को वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की ढाल मिलती रहे इसके लिए बूस्टर डोज़ (Corona Vaccine Booster Dose) की जरूरत महसूस की जाने लगी है।

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के भुवनेश्वर स्थित रिसर्च सेंटर और अन्य सरकारी संस्थानों ने कुछ स्वास्थ्यकर्मियों पर एक स्टडी करके यह जानना चाहा कि वैक्सीन की फुल डोज़ पाने के कितने दिन बाद तक कोरोना के प्रति एंटीबॉडी बनी रहती है। स्टडी में पता चला है कि इन स्वास्थ्य कर्मियों में एंटीबॉडी कुछ समय के बाद काफी ज्यादा घट गयी।

दरअसल, वैक्सीन के बाद एंटीबॉडी बहुत लम्बे समय बनी नहीं रह पा रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और तमाम अन्य देशों में हुई रिसर्च में यही निकल कर आया है। इसीलिए अब बहुत से देशों में तीसरी डोज़ (Covid-19 Vaccine Third Dose) देना शुरू भी हो गया है। इजरायल में तो अब चौथी डोज़ की बात हो रही है। अमेरिका में तो 13 अगस्त से ही फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना (Moderna) वैक्सीन की तीसरी डोज़ देने का काम जारी है।

कोरोना वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कमजोर इम्यूनिटी वालों को पहले दी जा रही बूस्टर डोज़

फिलहाल अभी बूस्टर डोज़ उन्हीं लोगों को दी जा रही है जिनकी इम्यूनिटी किसी बीमारी या अन्य वजह से कमजोर है। मिसाल के तौर पर एड्स-एचआईवी पीड़ित, कैंसर के मरीज, अंग प्रत्यारोपण पाए लोग आदि। चूंकि ऐसे लोगों में इम्यूनिटी एक लेवल पर स्थिर नहीं रहती है इसलिए इन्हें कोई भी संक्रमण होने का जोखिम बहुत ज्यादा रहता है।

ऐसे लोगों को बूस्टर डोज़ देने के बाद अन्य लोगों में भी तीसरी डोज़ दी जायेगी। लेकिन ये काम वही देश कर पा रहे हैं जिन्होंने अपनी बड़ी आबादी को कोरोना वैक्सीन लगा दी है। गरीब और विकासशील देश अभी पहली डोज़ ही सबको नहीं पाए हैं सो ऐसे में तीसरी डोज़ देने का काम दूर की कौड़ी है।

भारत में क्या है स्थिति?

भारत में 614 लोगों पर रिसर्च किया गया था जिसमें 50.2 फीसदी लोगों को कोविशील्ड मिली थी जबकि 49.8 फीसदी लोगों को कोवैक्सिन लगी थी। रिसर्च में निकल कर आया कि दोनों की वैक्सीनों की फुल डोज़ लगने के 2 से 4 महीने बाद एंटीबॉडी का लेवल काफी नीचे चला गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये एक सीमित अध्ययन था सो एक निश्चित निष्कर्ष पर पहंचने के लिए व्यापक स्टडी की जरूरत है।

शोधकर्ताओं ने यह जरूर कहा है कि जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है या जिन लोगों में गंभीर रूप से बीमार पड़ने का ख़तरा है उनको दूसरी डोज़ लगने के 6 से 12 महीने बाद बूस्टर डोज़ दी जानी चाहिए। भारत में 16 जनवरी, 2021 से कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) लगनी शुरू हुई थी। यानी अब खतरे वाले वर्ग के लोगों को बूस्टर डोज़ (Booster Dose) लगनी शुरू हो जानी चाहिए। मुमकिन है इस बारे में कोई निर्णय जल्द लिया जाएगा।

टीकाकरण (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अभी पता नहीं कि एंटीबाडी कब तक रहेगी

दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है लेकिन अभी तक पक्के तौर पर वैज्ञानिकों को पता नहीं है वैक्सीनें कितने समय लग लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है सो ऐसे में हमेशा ये संभावना रहती है कि एंटीबॉडीज कुछ अंतराल के बाद अंपनी शक्ति खो देंगी।

इस मामले में इजरायल का उदहारण दिया जाता है जहां बड़ी आबादी को वैक्सीन लग जाने के बाद फिर से संक्रमण की लहर आ गयी। जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग गयी थी उन पर की गयी रिसर्च से पता चला है कि फाइजर की वैक्सीन 6 महीने तक 91 फीसदी असरदार रही। इस वैक्सीन का असर हर दो महीने पर 6 फीसदी घटता चला गया। इजरायल में अब कोरोना संक्रमण की चौथी लहर का प्रकोप है। जिनको संक्रमण हो रहा है उनमें 97 फीसदी डेल्टा वेरियंट (Delta vVariant) की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि वैक्सीन डेल्टा वेरियंट के खिलाफ बेअसर होती जा रही है।

वैक्सीन (फोटो- न्यूजट्रैक)

इजरायल में लगाई जा रही वैक्सीन की तीसरी डोज

इजरायल में लोगों को तीसरी डोज़ लगनी शुरू हो चुकी है। देश के स्वास्थ्य मंत्री ने 12 साल के ऊपर के सभी लोगों को तीसरी डोज़ लगाने की मंजूरी दी है। दूसरी डोज़ लगने के कम से कम 5 महीने बाद तीसरी डोज़ लगाई जायेगी। लेकिन इजरायल के टॉप कोविड एक्सपर्ट सलमान ज़र्का ने कहा है कि इजरायल को कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज़ के रोल आउट के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वायरस अभी हमारे बीच मौजूद है। आगे भी मौजूद रहेगा सो हमें चौथे इंजेक्शन के लिए तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि चौथी डोज़ के लिए वैक्सीन में कुछ बदलाव करने होंगे ताकि वह वायरस पर बेहतर ढंग से प्रहार कर सके।

इस बीच ग्रीस में भी तीसरी डोज़ लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में उन लोगों को तीसरी डोज़ दी जायेगी जिनको इम्यूनिटी की समस्या है। इसके बाद 60 वर्ष के ऊपर के सभी लोगों तथा नर्सिंग होम में भर्ती लोगों को तीसरी डोज़ लगाई जायेगी। ब्रिटेन में भी कमजोर इम्यूनिटी वालों को वैक्सीन की तीसरी डोज़ लगाई जाएगी।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार तीसरी डोज़ देने का फैसला इस डेटा आधार पर किया गया जिसमें बताया गया है कि इम्यूनिटी की समस्या वाले 40 फीसदी लोगों में कोरोना वैक्सीन की दो डोज़ के बाद भी एंटीबॉडी का लेवल बहुत कम देखा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि तीसरी डोज़ के रूप में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा जबकि आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन की बारे में बाद में फैसला लिया जाएगा।

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