TRENDING TAGS :
लोगों के व्यवहार और हेल्थ सिस्टम पर निर्भर है संक्रमण की लहर और पीक स्थिति
कोरोना की चरम स्थिति या पीक टाइम कब आएगा, ये लोगों के सामाजिक व्यवहार और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर निर्भर करता है।
लखनऊ: भारत कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) की चपेट में है और अब तीसरी लहर (Covid-19 Third Wave) की चेतावनी दी जा रही है। ये जान लीजिए कि वायरस हमारे बीच है, ये कब सुप्तावस्था में जायेगा या स्वतः खत्म हो जाएगा, कोई नहीं बता सकता। जब तक वायरस है, लोग असुरक्षित व्यवहार कर रहे हैं और लोगों में प्राकृतिक रूप से या वैक्सीनेशन (Vaccination) से इम्यूनिटी नहीं बनी है, तब तक संक्रमण की लहरें आती रहेंगी। संक्रमण की चरम स्थिति या पीक टाइम कब आएगा, ये लोगों के सामाजिक व्यवहार और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की मुस्तैदी पर निर्भर करता है।
जब वायरस बहुत ज्यादा फैलता है तब बंदिशें (Restrictions) लगती हैं और संक्रमण का विस्तार धीमा पड़ जाता है। ढेरों लोगों को संक्रमित करने के बाद वायरस को अपनी चपेट में लाने के लिए नए लोग भी नहीं मिलते सो ऐसी स्थिति में लहर नीचे आती दिखती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वायरस मर गया है। इस शांति के दौरान वायरस अपना चोला बदलता है जिसे म्यूटेशन (Mutation) कहते हैं। पहले जितने ज्यादा लोग संक्रमित होंगे, वायरस के म्यूटेंट होने की उतनी ज्यादा संभावना होगी। सो लहर शांत होने के दौरान वायरस अपना रंगढंग बदलता है और फिर शिकार पर निकलता है।
लोगों की लापरवाही से बढ़ता है संक्रमण
देखा गया है कि लहर थमने पर बंदिशें ढीली पड़ती हैं, लोग लापरवाह हो जाते हैं। ऐसे में वायरस फिर हमला करता है। इस बार चूंकि वह म्यूटेंट हो कर बदल चुका है तो उसकी संक्रामक क्षमता बढ़ जाती है। फिर बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होते हैं। ये चक्र तब तक चलता है जब तक बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन के जरिये या प्राकृतिक उपाय से एंटीबाडी - इम्यूनिटी का सुरक्षा कवच नहीं मिल जाता।
कोरोना महामारी आने के बाद से अमेरिका समेत ढेरों देशों में कोरोना वायरस कई लहरों में कहर ढा चुका है। संक्रमण तेजी से फैलता है, फिर शांत हो जाता है और फिर कुछ समय फिर से फैलने लगता है। कुछ कुछ समय के अंतराल के बाद नाटकीय ढंग से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को लहर कहा जाता रहा है।
हर देश में संक्रमण की लहर हर राज्य और अंचल में अलग अलग तरह से आती है। जैसा कि महाराष्ट्र, पंजाब, यूपी आदि राज्यों में हुआ है। एक्सपर्ट्स का कहना है चरम स्थिति या पीक टाइम हर जगह अलग अलग होता है। ये लोगों के सामाजिक व्यवहार और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर निर्भर करता है। ये स्थितियां भी हर क्षेत्र में अलग अलग होती हैं सो पीक स्थिति का सटीक पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता।