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Coronavirus: 'डेल्टा' नाम से जाना जाएगा भारत में मिला वेरिएंट, WHO ने दिया नाम

Coronavirus: भारत में मिले कोरोना स्ट्रेन का नामकरण हो चुका है। WHO ने B.1.617.2 को डेल्टा, B.1.617.1 को कप्पा नाम दिया।

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Newstrack NetworkPublished By Shreya
Published on: 1 Jun 2021 7:03 AM IST
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कोरोना की जांच की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Coronavirus 'Indian Variant': भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। बीते कुछ दिनों से कोविड-19 के नए मामलों में कमी देखी जा रही है, लेकिन अभी भी रोजाना औसतन 2 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इस लहर में देश में काफी तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ती देखी गई, जिसके चलते सरकार और आम जनता को काफी ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ा।

कोरोना के संक्रमण को और ज्यादा खतरनाक बनाते हैं उसमें होने वाले म्यूटेंट यानी कोरोना के नए स्ट्रेन। भारत में इस वक्त कोरोना वायरस के कई म्यूटेंट फैले हुए हैं, जो तेजी से लोगों की अपनी चपेट में ले रहे हैं। भारत में भी कोरोना के दो वेरिएंट पाए गए, जिन्हें वेरिएंट ऑफ कंसर्न में रखा गया है। भारत में पाए गए वेरिएंट को भी काफी खतरनाक माना गया है और इसे डबल म्यूटेंट के नाम से भी जाना जा रहा है।

WHO ने कोरोना वेरिएंट्स का किया नामकरण

हालांकि इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में पाए गए कोरोना वायरस के वेरिएंट समेत अन्य देशों में मिले स्ट्रेन का नामकरण किया है। दरअसल, WHO ने ऐसा इसलिए किया है ताकि कोविड-19 के मुख्य वेरिएंट के नामों को पुकारने और याद रखने में आसानी हो सके। कोरोना के लिए जिम्मेदार वायरस का नामकरण ग्रीक अल्फाबेट का इस्तेमाल करते हुए किया गया है। बताया जा रहा है कि वेरिएंट्स के नाम व्यापक चर्चा और समीक्षा के बाद तय किए गए हैं।

वायरस (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भारत में पाए गए वेरिएंट्स को दिया गया ये नाम

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भारत में पाए जाने वाले वेरिएंट्स का भी नामकरण किया है। देश में अक्टूबर 2020 में मिले कोरोना वेरिएंट B.1.617.2 G/452R.V3 का नाम डेल्टा वेरिएंट रखा गया है, जबकि भारत में ही मिले दूसरे कोरोना वेरिएंट B.1.617.1 का नाम कप्पा रखा गया है।

वहीं, ब्रिटेन में साल 2020 में सितंबर माह में मिले वेरिएंट का नाम अल्फा रखा गया है। जबकि साउथ अफ्रीका में पाए गए वेरिएंट का नाम बीटा रखा गया है। इसके अलावा ब्राजील में साल 2020 के नवंबर महीने में जो स्ट्रेन मिला था, WHO ने उसका नाम गामा रखा था। यूएस में मिले स्ट्रेन का नाम एप्सिलॉन और फिलीपींस में इस साल जनवरी महीने में मिले कोरोना वायरस के स्ट्रेन का नाम थीटा रखा है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कोरोना वायरस वेरिएंट्स के नामकरण के लिए दुनियाभर के एक्सपर्ट ग्रुप को ऐसा करने के लिए कहा था। इसमें वे भी शामिलथे, जो नेमिंग सिस्टम के एक्सपर्ट हैं। साथ ही नॉमनक्लेचर, वायरस टॉक्सोनॉमिक एक्सपर्ट, रिसर्चर्स और राष्ट्रीय प्राधिकरण भी इसमें शामिल हैं। ऑर्गेनाइजेशन उन वेरिएंट्स के लिए लेबल असाइन करेगा जिन्हें वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट या वेरिएंट ऑफ कंसर्न के तौर पर नामित किया गया है।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

कोरोना वेरिएंट्स को भारतीय कहने पर हुआ था विवाद

आपको बता दें कि भारत में मिले कोरोना वेरिएंट को लेकर काफी ज्यादा बवाल हुआ था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसे इंडियन वेरिएंट करार दिया गया था, जिस पर भारत सरकार ने आपत्ति जताई थी और इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को यह निर्देश भी दिए थे कि वे अपने प्लेटफॉर्म से ऐसे किसी भी कंटेट को तत्काल प्रभाव से हटा दें, जिसमें कोरोना के वेरिएंट को भारतीय कहा गया है।

सरकार ने कोरोना वायरस से जुड़ी झूठी खबरों पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को यह निर्देश दिए थे। सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि आईटी मंत्रालय की ओर से सभी सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र लिखकर कहा गया है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा किसी भी रिपोर्ट में कोरोनावायरस के B.1.617 वेरिएंट के साथ 'इंडियन वेरिएंट' शब्द नहीं जोड़ा गया है।

ऐसे में आईटी मंत्रालय ने एक नोटिस जारी करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से उन सभी कंटेट को हटाने के लिए कहा जिसमें कोरोनवायरस के 'इंडियन वेरिएंट' शब्द का इस्तेमाल किया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले भी सरकार ने कोरोना के B.1.617 वेरिएंट को इंडियन वेरिएंट कहने पर आपत्ति जताई थी।

केंद्र सरकार ने मीडिया में आई उन खबरों को पूरी तरह खारिज कर दिया था जिनमें कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 44 देशों में भारतीय वेरिएंट के संक्रमण की बात कही थी। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वेरिएंट का भारतीय वेरिएंट के रूप में जिक्र ही नहीं किया है।

सरकार ने स्पष्ट किया था कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस के जिस प्रकार B.1617 को भारतीय वेरिएंट का नाम दिया जा रहा है वह असलियत में भारतीय वेरिएंट है ही नहीं। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट तौर पर यह कभी नहीं कहा है कि B.1617 जानलेवा भारतीय वेरिएंट है।

केंद्र सरकार का कहना था कि डब्ल्यूएचओ ने B.1617 को वैश्विक चिंता के रूप में ही वर्गीकृत किया है मगर मीडिया में आई कई खबरों में इसे वेरिएंट को भारतीय वेरिएंट बताया गया है। सरकार ने इन खबरों को पूरी तरह गलत और आधारहीन बताया था। गौरतलब है कि भारत में पाए जा रहे कोरोना वायरस के इस वेरिएंट को भी काफी खतरनाक माना जा रहा है और इसे डबल म्यूटेंट के नाम से भी जाना जा रहा है। यह वेरिएंट शरीर में एंटीबॉडीज को पूरी तरह खत्म कर देता है।



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