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Bharatmala Project: 'भारतमाला' हाईवे प्रोजेक्ट की लागत सौ फीसदी बढ़ी, जानें क्या है यह परियोजना
Bharatmala Project: टीजी वेंकटेश (TG Venkatesh) की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी कहा है कि भारतमाला प्रोजेक्ट का संशोधित लक्ष्य भी मंत्रालय के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा।
New Delhi: केंद्र सरकार (Central Government) की महत्वाकांक्षी राजमार्ग परियोजना-भारतमाला (Highway Project-Bharatmala)की लागत लगभग 100 फीसदी बढ़ने की संभावना है। भारतमाला परियोजना के निर्माण लक्ष्य का अब तक सिर्फ पांचवां हिस्सा ही हासिल किया जा सका है। इस चरण को अब वित्त वर्ष 2027 तक पूरा किया जा सकता है जबकि मूल समय सीमा वित्त वर्ष 2022 की थी। इसका मतलब है कि भारतमाला फेज़ -1 (Bharatmala Project Phase-1) की लागत 5.35 ट्रिलियन रुपये के मूल अनुमान के मुकाबले 10.63 ट्रिलियन रुपये हो सकती है। ये कहना है राजमार्गों सम्बन्धी संसदीय समिति का जिसने 14 मार्च को राज्यसभा को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
सरकार ने अक्टूबर 2017 में, 5.35 ट्रिलियन रुपये के अनुमानित खर्च के साथ 34,800 किमी की कुल लंबाई के साथ राजमार्ग निर्माण कार्यक्रम के पहले चरण को मंजूरी दी थी। पूरी सड़क की लंबाई को 2021-22 तक पूरा करने का प्रस्ताव था। लेकिन काम पूरा नहीं सका जिसके चलते परियोजना को पूरा करने की समय सीमा 2026-27 तक बढ़ा दी गई है। अभी तक सिर्फ 20,632 किमी या 59.28 फीसदी काम का आवंटन किया गया है। दिसंबर 2021 तक लक्ष्य का सिर्फ 21.19 फीसदी या 7,375 किमी सड़क का निर्माण किया गया है।
भारतमाला प्रोजेक्ट का संशोधित लक्ष्य एक बड़ी चुनौती- टीजी वेंकटेश
टीजी वेंकटेश (TG Venkatesh) की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी कहा है कि भारतमाला प्रोजेक्ट का संशोधित लक्ष्य भी मंत्रालय के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा। इन्वेस्टमेंट इनफार्मेशन एंड क्रडिट रेटिंग एजेंसी (इकरा) के राजेश्वर बुर्ला ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण लागत में बढ़ोतरी के साथ-साथ कमोडिटी की कीमतों में तेजी से लागत में वृद्धि हुई है।
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट (What is Bharatmala Project)
भारतमाला कार्यक्रम का फोकस देश में इंफ्रास्ट्रक्चर असमानता को दूर करना है और इसके लिए आर्थिक गलियारों के विकास, फीडर मार्गों का निर्माण, राष्ट्रीय गलियारे की दक्षता में सुधार, सीमा सड़कों और अंतरराष्ट्रीय संपर्क सड़कों का निर्माण, तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे जैसे उपायों को करना है। इस कार्यक्रम में मल्टी-मोडल इंटीग्रेशन भी शामिल है। पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों, आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रों, धार्मिक और पर्यटन स्थलों, सीमावर्ती क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों और पड़ोसी देशों के साथ व्यापार मार्गों की कनेक्टिविटी जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है।
हाल के वर्षों में राजमार्गों के ठेके देने और निर्माण कार्य में काफी प्रगति हुई है, जिसमें पिछले वित्त वर्ष में प्रति दिन 37 किमी का रिकॉर्ड निर्माण शामिल है। विश्लेषकों ने कहा है कि कोरोना महामारी, भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्याएं और कार्यक्रम का विशाल आकार, परियोजना को पूरा करने की समय सीमा बढ़ा रहा है।