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Corona Update: कांग्रेस ने पूछा, कोवैक्सीन लेने वाले पीएम मोदी को अमेरिका में कैसे मिली एंट्री, सोशल मीडिया पर भी उठे सवाल

Corona Update: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा पीएम मोदी ने कोवैक्सीन ही लगवाई थी, जिसे अभी तक अमेरिका की ओर से मंजूरी नहीं दी गई है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Ragini Sinha
Published on: 24 Sep 2021 8:58 AM GMT
Congress leader Digvijaya Singh target pm
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कांग्रेस ने पूछा, कोवैक्सीन लेने वाले पीएम मोदी को अमेरिका में कैसे मिली एंट्री (social media)

Corona Update: कोरोना महामारी से बचाव के लिए कोवैक्सीन लगवाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका में एंट्री दिए जाने पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका में एंट्री देने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कोवैक्सीन को अमेरिका की ओर से मान्यता नहीं दी गई है। ऐसे में इस वैक्सीन को लगवाने वाले पीएम मोदी को अमेरिका में एंट्री कैसे मिली? उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि पीएम मोदी ने कोई दूसरी वैक्सीन भी लगवाई है या अमेरिका की ओर से उन्हें विशेष छूट दी गई है। सोशल मीडिया पर भी यह सवाल उठाया जा रहा है। कई लोगों ने इस बाबत ट्वीट किया है। ट्विटर पर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब कोवैक्सीन लगवाने वाले लोग दुनिया के अन्य देशों की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं , तो पीएम मोदी को अमेरिका में एंट्री पैसे मिल गई। लोग इस बाबत सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

दिग्विजय बोले-देश को जवाब मांगने का हक

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि जहां तक मुझे याद है पीएम मोदी ने कोवैक्सीन ही लगवाई थी, जिसे अभी तक अमेरिका की ओर से मंजूरी नहीं दी गई है। ऐसे में देश के लोगों को यह जानने का हक है कि पीएम मोदी को अमेरिका में प्रवेश कैसे मिला है। कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया कोआर्डिनेटर विनय कुमार ढोकनिया ने भी पीएम मोदी को अमेरिका में एंट्री दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने भी कहा कि पीएम मोदी ने कोवैक्सीन लगवाई है , जो अमेरिका में मान्य नहीं है। ऐसे में सरकार बताए कि उन्हें अमेरिका में एंट्री की अनुमति कैसे मिली।

अल्वा ने भी मांगा जवाब

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मारग्रेट अल्वा के पुत्र निखिल अल्वा ने भी प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस बाबत किए गए अपने ट्वीट में कहा है कि मैंने भी पीएम मोदी की तरह आत्मनिर्भर कोवैक्सीन ही लगवाई थी। इस वैक्सीन को लगवाने के बाद मेरी सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि मैं नेपाल, ईरान और कुछ अन्य देशों को छोड़कर दुनिया में कहीं अन्य देश नहीं जा सकता। यह काफी हैरान करने वाली बात है कि इस वैक्सीन को लगवाने के बाद पीएम मोदी को अमेरिका यात्रा की अनुमति मिल गई , जबकि सभी को यह बात पता है कि अमेरिका ने अभी तक कोवैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी ने कौन सी वैक्सीन लगवाई थी।

पीएम ने ली थी को वैक्सिंग की डोज

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने कोरोना से बचाव के लिए गत 1 मार्च को वैक्सीन का पहला डोज लिया था। उन्होंने दिल्ली स्थित एम्स जाकर स्वदेशी कोवैक्सीन का पहला टीका लगवाया था। बाद में उन्होंने इसी वैक्सीन की दूसरी डोज भी ली थी। उन्होंने इस बाबत ट्वीट करते हुए देशवासियों को कोवैक्सीन लगवाने की जानकारी भी दी थी। अभी तक कोवैक्सीन को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई बड़े देशों की ओर से मान्यता नहीं मिली है। यही कारण है कि पीएम मोदी को अमेरिका में एंट्री दिए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भी उठे सवाल

सोशल मीडिया पर भी पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने की तैयारी में जुटे कुछ युवाओं ने भी इस बाबत सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि कोवैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें अमेरिका जाने की अनुमति कैसे मिलेगी। ट्विटर पर इस बाबत सवाल उठाते हुए कई लोगों का कहना है कि पीएम मोदी को तो अनुमति मिल गई मगर उन्हें अनुमति कैसे मिलेगी।

क्या कहते हैं जानकार

दूसरी और जानकारों का कहना है कि राष्ट्राध्यक्षों के मामले में रियायत दी जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार शैलेंद्र देवलांकर का कहना है कि हर देश के पास वह वैक्सीन नहीं उपलब्ध हो सकती जिसे अमेरिका की ओर से मंजूरी मिल चुकी हो। इसलिए ऐसे मामलों में रियायत दिया जाना संभव है। उनका यह भी कहना है कि विदेशी दौरे पर जाने वाले राजनयिकों को विभिन्न देशों की ओर से विशेष रियायत दी जाती है। इसी तरह की रियायत प्रधानमंत्री मोदी को भी दी गई होगी। कई देशों में भारत के राजदूत रह चुके अनिल त्रिगुणायत का भी कहना है कि मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना महामारी के संकट से जूझ रही है। दुनिया के दूसरे देशों से संवाद कायम करने के लिए किसी भी मेजबान देश की ओर से नियमों में रियायत दी जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक के लिए भी अमेरिका की ओर से यह कदम उठाया जाना संभव है।

Ragini Sinha

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