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SGPGI: रेमडेसिविर की जगह काम करेगा ये इंजेक्शन, मात्र 10 रुपये में बचेगी मरीज की जान
रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। बाजारों में इंजेक्शन की कमी पड़ गई है।
लखनऊ। तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों के चलते रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। बाजारों में इंजेक्शन की कमी पड़ गई है। ऐसे में संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीटयूट (SGPGI) के डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन के विकल्प के तौर में 'डेक्सामेथासोन' इंजेक्शन के प्रयोग का सुझाव दिया है।
डेक्सामेथासोन इंजेक्शन 10 रुपए मिलता है, जबकि गोली महज दो रुपए में उपलब्ध है। इस बारे में डॉक्टरों ने डेक्सामेथासोन को कोरोना मरीजों के उपचार में उपयोगी बताया है।
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीटयूट (SGPGI) एसपीजीआइ के आइसीयू एक्सपर्ट प्रोफेसर संदीप साहू का कहना है कि रेमडेसिविर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मान्यता नहीं दी है। डॉक्टर इस इंजेक्शन की सलाह देकर परेशानी नहीं बढ़ाएं।
आगे उन्होंने बताया कि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल ही प्रकाशित शोध में सामने आया है कि डेक्सामेथासोन सांस संबंधी बीमारियों के उपचार में कारगर है।
डेक्सामेथासोन से मिला अच्छा रिस्पांस
इस बारे में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, दो हजार से अधिक ऐसे कोरोना रोगी, जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम था। डेक्सामेथासोन इन्हें दिया गया तो 28 दिन बाद ऐसे लोगों की मृत्यु दर काफी कम थी। साथ ही इन्हें वेंटिलेटर की जरुरत भी नहीं पड़ी।
बाजारों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी होने से मारा-मारी मची हुई है। लोगों से इसके लिए 15 से 25000रुपये वसूलें जा रहे हैं।
दरअसल रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जिसकी आजकल बहुत अधिक मांग हो गई है और कई जगहों पर इसकी कालाबाजारी हो रही है। तो आज से करीब एक दशक पहले इस दवा को हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस (RSV) का इलाज करने के लिए एक अमेरिकी दवा कंपनी मैसर्स गिलियड साइंसेज ने बनाया था। ऐसे में देश में दवा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल से केंद्र ने दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।