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कोरोना रोकने का बस एक उपाय, संक्रमण की दर 95 फीसदी तक होगी कम
अध्ययन के मुताबिक अगर मास्क को नियमपूर्वक और सही से पहना जाए यह व्यक्ति को कोरोना के खिलाफ 95 फीसदी तक सुरक्षित रखता है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन से मची तबाही को देखते हुए और संक्रमण की रफ्तार को नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञों ने भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर डबल मास्क पहनने पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करके संक्रमण फैलने की दर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन आवश्यक है कि मास्क को सही ढंग से नाक के ऊपर से पहना जाए।
अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक डॉ राबर्ट रेडफील्ड का कहना है कि वर्तमान समय में दुनिया भर की सारी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ साठ से पिचासी फीसदी तक ही कारगर हैं। लेकिन अध्ययन बताते हैं कि अगर मास्क को नियमपूर्वक और सही से पहना जाए यह व्यक्ति को इस वायरस के खिलाफ 95 फीसदी तक सुरक्षित रखता है।
मास्क और जीवन शैली में बदलाव है जरूरी
वैसे भी हमारे यहां कहा जाता रहा है कि किसी रोग से पीड़ित होकर उसका इलाज कराने से बेहतर है उससे बचा जाए। और कोविड-19 यानी कोरोना वायरस से बचाव का सबसे बेहतर रास्ता है मास्क और जीवन शैली में बदलाव।
अगर हम मास्क सही से लगाते हैं तो हमें यह भी तय करना होगा कि हमें बाहर थोड़ी थोड़ी देर में मास्क को उतारकर कुछ खाना या पीना नहीं है। हमें बाहर खाने पीने की अपनी आदतें सुधारनी होंगी। हमें बाहर कुछ भी खाना पीना बंद करना होगा। चाहे वह पैकेट बंद ही फूड क्यों न हो क्योंकि यदि आपने मास्क हटाया और खाना शुरू किया उसी दौरान मेज के टच या पैकेट के टच या दो गज की दूरी के भीतर किसी के छींकने या खांसने या बात करने ड्रापलेट्स आपके हाथ पर पड़े तो सुरक्षा में सेंध लगने का खतरा है।
रखें खान पान का ध्यान
खान पान पर ध्यान इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हमारी इम्युनिटी हमारे पाचन तंत्र पर निर्भर है। अगर हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होगा तो कोरोना वायरस अटैक नहीं कर पाएगा। अध्ययन बताते हैं कि अमेरिका के 15 प्रांतों और डिस्ट्रिक्ट आफ कोलंबिया में मास्क का प्रयोग अनिवार्य किया गया। नतीजा सामने आया जिन राज्यों में मास्क अनिवार्य नहीं किया गया था उनके मुकाबले यहां संक्रमण की रफ्तार तेजी से कम हुई।
बड़ी बात यह है कि मास्क अनिवार्य किये जाने के पांच दिन के भीतर ही संक्रमण की रफ्तार करीब एक फीसद घट गई। तीन सप्ताह बाद इसमें दो फीसद की गिरावट आई।
इसी तरह जर्मन के एक अध्ययन के मुताबिक वहां का जेना शहर मास्क अनिवार्य करने वाला पहला शहर बना। और मास्क की अनिवार्यता के बाद 20 दिनों में यहां संक्रमण की दर में 75 फीसद तक गिरावट आई। मास्क का इस्तेमाल अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी कम करता है। बीजिंग में भी जिन परिवारों ने मास्क का इस्तेमाल किया उनमें महामारी का प्रकोप कम दिखा।