×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Covid Vaccine: दूसरी और प्रीकॉशनरी डोज के बीच होगा 9 महीने का अंतर

Covid Vaccine: बुजुर्ग भी प्रीकॉशनरी डोज़ ले सकेंगे जिनको कम से कम 9 महीने पहले दूसरी डोज़ लगी थी।

Network
Newstrack NetworkPublished By Monika
Published on: 27 Dec 2021 12:09 PM IST
Covid Vaccine: दूसरी और प्रीकॉशनरी डोज के बीच होगा 9 महीने का अंतर
X

Covid Vaccine: कोरोना वायरस (coronavirus) से बचाव के लिए वैक्सीन (corona vaccine) की प्रीकॉशनरी डोज़ (Precaution Dose) 10 जनवरी से लगना शुरू होगी। प्रीकॉशनरी डोज़ फिलहाल स्वास्थ्यकर्मियों (health workers) के अलावा 60 वर्ष (60 years and above) से ऊपर के उन बुज़ुर्गों को लगनी है जिनको कोई बीमारी है। वे बुजुर्ग भी प्रीकॉशनरी डोज़ ले सकेंगे जिनको कम से कम 9 महीने पहले दूसरी डोज़ लगी थी। यानी अप्रैल 2021 में जिनको दूसरी डोज़ लगी वे प्रीकॉशनरी डोज़ ले सकेंगे।

बताया जाता है कि दूसरी और तीसरी डोज़ के बीच 9 महीने का अंतर रखने का फैसला इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट द्वारा की गई रिसर्च के नतीजों के आधार पर किया गया है। 9 महीने के अंतर का मतलब है कि प्रीकॉशनरी डोज़ शुरुआत में उन लोगों को लगेगी जिनको इस साल 10 अप्रैल तक दूसरी डोज़ लग चुकी थी। ये लोग मुख्यतः फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मी होंगे जिनको पहली डोज़ जनवरी में लगी थी। भारत में वैक्सिनेशन 16 जनवरी से शुरू हुआ था। 60 वर्ष के ऊपर वालों को 1 मार्च से वैक्सीन लगना शुरू हुई थी। 45 वर्ष से ऊपर वाले ऐसे लोग जो किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित हैं उनको भी इसी दिन से वैक्सीन लगना शुरू हुई थी।

प्रीकॉशनरी और बूस्टर में फर्क

प्रधानमंत्री ने भारत में कोरोना वैक्सीन के तीसरे इंजेक्शन को प्रीकॉशनरी डोज़ कहा है। उन्होंने अपने संबोधन में बूस्टर शब्द का प्रयोग नहीं किया।

दरअसल वैक्सीनों की दो डोज़ ऐसे लोगों में एंटीबॉडी के पर्याप्त लेवल नहीं पैदा करती जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। ऐसे में इन लोगों के लिए एक अतिरिक्त इंजेक्शन की जरूरत होती है। दुनिया में इन दिनों बूस्टर डोज़ और अतिरिक्त डोज़ का इस्तेमाल किया जा रहा है और ये दोनों अलग अलग चीजें हैं। बूस्टर डोज़ किसी को भी लगाई जाती है। इसका आधार ये होता है कि लोगों में वैक्सीन जनित इम्यूनिटी घट रही है।लेकिन अतिरिक्त डोज़ उनको ही लगाई जाती है जो जोखिम वाले ग्रुप में हैं। भारत में चूंकि इम्यूनिटी का जनसंख्या आधारित पर्याप्त डेटा नहीं है इसीलिए बहुत सावधानी बरतते हुए सिर्फ उन लोगों को अतिरिक्त डोज़ दी जा रही है जो जोखिम वाले ग्रुप में हैं। इसीलिए इसे प्रीकॉशनरी डोज़ कहा गया है।

समझा जाता है कि प्रीकॉशनरी डोज़ उसी वैक्सीन की होगी जिसकी दो डोज़ पहले लग चुकी हैं। यानी अगर किसी ने कोविशील्ड लगवाई है तो तीसरी डोज़ भी इसी की लगेगी। बहुत से देशों में मिक्स एंड मैच किया जा रहा है जिसमें तीसरी डोज़ किसी अन्य वैक्सीन की होती है



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story