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एक दशक में बढ़ जाते हैं दो नए चक्रवात, खतरे में तटीय इलाके

IMD ने चक्रवात तौकते के 18 मई की सुबह तक भावनगर जिले के पोरबंदर और महुआ होते हुए गुजरात पार करने की संभावना जताई है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Chitra Singh
Published on: 17 May 2021 11:12 AM IST (Updated on: 17 May 2021 11:13 AM IST)
एक दशक में बढ़ जाते हैं दो नए चक्रवात, खतरे में तटीय इलाके
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अरब सागर से उठा विनाशकारी तूफान तौकते (Tauktae) केरल, कर्नाटक और गोवा के तटीय इलाकों में तबाही मचाता, सैकड़ों घरों को तबाह करता हुआ अब तेजी से गुजरात की तरफ बढ़ रहा है। इसके आज शाम तक गुजरात के तट से टकराने की संभावना है। तूफान से तबाही की आशंका को देखते हुए तटवर्ती इलाकों से हजारों लोगों को हटाया जा चुका है।

आईएमडी(IMD) के डीजी मृत्युंजय महापात्र (Mrityunjay Mahapatra) ने चक्रवात तौकते के 18 मई की सुबह तक भावनगर जिले के पोरबंदर और महुआ होते हुए गुजरात पार करने की संभावना जताई है। देश में तूफान से होने वाली तबाही कोई नई बात नहीं है। लोग पहले भी कई तूफानों की विनाश लीला को देख चुके हैं। जिसमें हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर के बीच इस चक्रवात ने जनजीवन को बुरी तरह झकझोर दिया है।

तटों के करीब आ रहे हैं ताकतवर चक्रवाती तूफान

वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 40 वर्षों में कहीं ज्यादा ताकतवर चक्रवाती तूफान तटों के करीब आ रहे हैं और यह सिलसिला रुक नहीं रहा है। जिनके चलते हर बार पहले से अधिक विनाश और नुकसान की संभावनाएं जताई जाती रही है। वैज्ञानिकों का यह भी अनुमान रहा है कि यह तूफान तीन किलोमीटर प्रति वर्ष की दर से तटों के करीब आ रहे हैं।

पिछले साल अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस में प्रकाशित अपने अध्ययन में शोधकर्ता शुआइ वांग ने कहा था कि इन उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को हरिकेन (Hurricane) और टाइफून (Typhoon) के नाम से पुकारा जाता है। लेकिन पिछले चार दशक से जिस तेजी से ये तटों की तरफ बढ़े हैं, उससे दुनियाभर में तटों पर रहने वाले लोगों पर खतरा बढ़ रहा है। शोध में यह भी कहा गया था कि इन चक्रवातों के कारण दशकों में लोगों पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। लोग तटों के करीब जितना समय बिताएंगे, उतना ही यह वहां रहने वाले लोगों के लिए हानिकारक होगा।

तूफान (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

पश्चिम की ओर बढ़ रहा है तौकते

शोधों में एक और महत्वपूर्ण बात कही गई थी कि इन चक्रवातों की तीव्रता ध्रुवों की ओर अधिक होती है। ध्रुवों पर आने वाले तूफान अधिक विनाशकारी होते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो। तौकते भी पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। नए शोध में कहा गया था कि अधिकतम तीव्रता वाले चक्रवात पश्चिम की ओर जा रहे हैं जो उन्हें तटों के करीब ला रहा है जिससे नुकसान की संभावना बढ़ रही है।

शोधकर्ताओं ने इस 1982 से 2018 के बीच चक्रवातों की प्रवृत्ति पर अध्ययन किया। और इनमें आ रहे बदलावों और इनकी प्रकृति की पड़ताल की। जिसमें यह सामने आया कि यह तटों के करीब आ रहे हैं और इनकी संख्या भी बढ़ रही है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि एक दशक के दरम्यान दो अतिरिक्त तूफान दो सौ मीटर के दायरे में आ जा रहे हैं।

महासागरों के आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है चक्रवात

शोध के मुताबिक, हर साल औसतन 80 से 100 चक्रवात उष्णकटिबंधीय महासागरों में बनते हैं लेकिन इनका तटों के करीब आते जाना प्रशांत, अटलांटिक और हिन्द महासागर और उसके आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। जिसके कारण अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है। चिंता की मुख्य वजह चक्रवातों का पथ बदलना है।

इसके पीछे मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन में तेजी से हो रहा बदलाव भी हो सकता है। एमिशन गैप रिपोर्ट-2020 के मुताबिक, अगर सदी के अंत तक तापमान में वृद्धि जारी रही तो इसका व्यापक असर चक्रवातों पर पड़ सकता है जिसका खामियाजा हमें उठाना पड़ सकता है।



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Chitra Singh

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