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जान सकेंगे सेना का इतिहास, खुलेंगे कई राज, राजनाथ सिंह ने रिकाॅर्ड्स सार्वजनिक करने की दी अनुमति

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युद्ध और अभियानों से जुड़े इतिहास को आर्काइव करने, उन्हें गोपनीयता सूची से हटाने और उनके संग्रह से जुड़ी नीति को इजाजत दे दी है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 13 Jun 2021 6:27 AM GMT (Updated on: 14 Jun 2021 3:21 AM GMT)
जान सकेंगे सेना का इतिहास, खुलेंगे कई राज, राजनाथ सिंह ने रिकाॅर्ड्स सार्वजनिक करने की दी अनुमति
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नई दिल्ली: भारतीय सेना के इतिहास, रिकॉर्ड्स को लेकर रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला किया है। सरकारी स्तर पर युद्ध और सेना के ऑपरेशन के इतिहास के संग्रह, अवर्गीकरण और संकलन/प्रकाशन के लिए इजाजत दे दी गई है। ऐसे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को युद्ध और अभियानों से जुड़े इतिहास को आर्काइव करने, उन्हें गोपनीयता सूची से हटाने और उनके संग्रह से जुड़ी नीति को इजाजत दे दी है।

इस बारे में रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ''युद्ध इतिहास के समय पर प्रकाशन से लोगों को घटना का सही विवरण उपलब्ध होगा। शैक्षिक अनुसंधान के लिए प्रमाणिक सामग्री उपलब्ध होगी और इससे अनावश्यक अफवाहों को दूर करने में मदद मिलेगी।'

सेना का इतिहास

सेना के रिकॉर्ड्स को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि मंत्रालय के तहत आने वाली संभी संस्थाएं रिकॉर्ड्स इतिहास विभाग को ट्रांसफर की जाएगी। जानकारी देते हुए बता दें कि इन रिकॉर्ड्स में वॉर डायरी, कार्यवाही के पत्र और परिचालन रिकॉर्ड किताबें शामिल होंगी।

साथ ही मंत्रालय की सभी संस्थाएं इन रिकॉर्ड्स को इतिहास विभाग को ट्रांसफर कर देंगी, जिससे वो उचित तरीके से रखरखाव, अभिलेखीय और इतिहास लिखने के लिए इनका उपयोग कर सके।


आगे रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि युद्ध और अभियान के इतिहास के प्रकाशन के लिए विभिन्न विभागों से उसके संग्रह और इजाजत के लिए इतिहास विभाग जिम्मेदार होगा।

इस बारे में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, ''नीति रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव के नेतृत्व में समिति के गठन की बात करता है जिसमें थलसेना-नौसेना-वायु सेना के प्रतिनिधियों, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अन्य प्रतिष्ठानों और (आवश्यकतानुसार) प्रतिष्ठित इतिहासकारों को समिति में शामिल करने की बात करता है। वहीं समिति युद्ध और अभियान इतिहास का संग्रह करेगी।''

इस आदेश को लेकर रक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक, ''पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रिकॉर्ड रूल्स 1997 के अनुसार रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी संबंधित प्रतिष्ठान की है।''

वहीं नीति के मुताबिक, सामान्य तौर पर रिकॉर्ड को 25 साल के बाद सार्वजनिक किया जाना चाहिए। ''युद्ध/अभियान इतिहास के संग्रह के बाद 25 साल या उससे पुराने रिकॉर्ड की संग्रह विशेषज्ञों द्वारा जांच कराए जाने के बाद उसे राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दिया जाना चाहिए। ये सेना के 25 सालों पुराने रिकॉर्ड्स पर लागू होगा।

Vidushi Mishra

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