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Delhi School Fees: दिल्ली के स्कूलों पर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, अभिभावकों के लिए जरूरी खबर
दिल्ली हाई कोर्ट ने महामारी के बीच प्राइवेट स्कूलों के छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है।
Delhi School Fees: राजधानी दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। बीते साल दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने महामारी कोरोना वायरस के चलते आदेश जारी किया था। ये आदेश था कि दिल्ली के निजी स्कूलों को अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगा दिया था। ऐसे में अब दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी प्राइवेट स्कूल बीते साल 2020-21 के शैक्षणिक सत्र का वार्षिक और विकास शुल्क छात्रों के अभिभावकों से वसूल सकते हैं।
बता दें, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश निजी स्कूलों की तरफ से एक्शन कमेटी की लगाई गई याचिका पर आया है। इस याचिका में शिक्षा निदेशालय के नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
प्राइवेट स्कूल पर बड़ा फैसला
इस बारे में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जयंत नाथ की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के इस आदेश से स्कूलों का कामकाज प्रभावित होगा। प्राइवेट स्कूल छात्रों से शैक्षणिक सत्र 2020-21 का वार्षिक व विकास शुल्क वसूल सकते हैं।
आगे हाईकोर्ट के जज की पीठ ने स्कूलों को 10 जून से छात्रों से छह मासिक किस्तों में इन शुल्कों को वसूलने की छूट दी है। लेकिन पीठ ने कहा कि स्कूल शुल्क में छात्रों को 15 फीसद तक छूट दें। छात्रों से कहा कि वे शुल्क छह मासिक किस्तों में भुगतान करें। सरकार के आदेश को निजी स्कूलों की एक्शन कमेटी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
आपको बता दें कि एक्शन कमेटी ने दलील दी थी कि दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने नियमों की अनदेखी कर आदेश जारी किया है और इससे स्कूलों का हित प्रभावित हो रहा है। इस याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के जज जयंत नाथ की पीठ ने कहा कि सरकार के शिक्षा निदेशालय को स्कूलों के फीस तय करने व वसूलने में दखल देने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा-17 के नियम की गलत व्याख्या की है। शिक्षा निदेशालय तब तक स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर में दखलनदाजी नहीं कर सकता है, जब तक ये साबित नहीं हो जाता है कि स्कूल मुनाफाखोरी कर रहे हैं।