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Central Vista project: दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याजिका, जारी रहेगा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का निर्माण

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की याचिका को खारिज करते हुए इस प्रोजेक्ट को काफी महत्वपूर्ण बताया।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 31 May 2021 9:26 AM GMT
Delhi High Court rejected the plea to stop the construction work of the Central Vista project
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 सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (फोटो-सोशल मीडिया)

Central Vista project: सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया है। आज यानी सोमवार को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस प्रोजेक्ट को काफी महत्वपूर्ण और राष्ट्रीय महत्व का बताया। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

ऐसे में अब कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रेस कांफ्रेंस की है। जिसमें हरदीप सिंह पुरी ने विपक्ष पर निशाना साधा। इस बारे में उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा में 2 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, इसमें से एक संसद की नई बिल्डिंग के निर्माण से जुड़ा है तो दूसरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है। इन दोनों में कुल मिलाकर 1300 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है।

सरकार से बजट को लेकर सवाल

इस मामले पर विपक्ष सवाल उठाते हुए कह रहा है कि इस प्रोजेक्ट को रोककर उन पैसों से वैक्सीन खरीदनी चाहिए। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि इस प्रोजेक्ट का वैक्सीन पॉलिसी से कोई लेना देना नहीं है। उसके लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा गया है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए पैसे की कमी नहीं है।

दूसरी तरफ हरदीप सिंह पुरी ने महाराष्ट्र में बन रहे सचिवालय पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वहां सचिवालय और विधायकों के लिए निवास बन रहे हैं, उसमें 900 करोड़ खर्च हो रहे हैं, जबकि ये तो देश की संसद से जुड़ा मसला है। संसद में सदस्यों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। जब तय सीटों से ज्यादा सदस्य हो जाएंगे, तब हम क्या करेंगे?

हरदीप पुरी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से ऐतिहासिक इमारतों को कई नुकसान नहीं पहुंचने वाला है। 2012 में जब मीरा कुमार लोकसभा स्पीकर थीं, तब उनके सेक्रेटरी ने विकास मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा था।

कोरोना दूसरी लहर में काम जारी

आगे उन्होंने पत्र में लिखा था कि संसद का नया भवन बनना चाहिए और इस पर निर्णय लिया जा चुका है। मुझे याद है कि तब वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 2012 में आर्टिकल लिखा था कि हमें नए संसद भवन की सख्त जरूरत है। महामारी के बहुत पहले ही ये फैसला ले लिया गया था। बल्कि, ये मांग तो राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के समय से की जा रही है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली के लुटियंस जोन में बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में नया संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण शामिल है। ऐसे में इस अवासीय परिसर में प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ अन्य कई नए कार्यालय, मंत्रालय के दफ्तर और केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है। वहीं इस प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी।

लेकिन दिल्ली में जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तो उस समय भी इस प्रोजेक्ट का काम जारी था। जिस पर कई सवाल उठने लगे कि आखिर कोरोना काल में इस प्रोजेक्ट को कैसे मंजूरी दी जा सकती है। जब यहां करीब 400 से 500 मजदूर काम कर रहे हैं।

निर्माण कार्य को रोकने की मांग

ऐसे में इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए एक व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा था कि अभी दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर पूरी तरह रोक है,तो इस प्रोजेक्ट का काम क्यों नहीं रोका गया. याचिका में कहा गया था कि 500 से ऊपर मजदूर वहां काम कर रहे है इससे वहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है।

इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट मुहर लगा चुका है। आगे कोर्ट ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का ठेका सप्रूजी पलोंजी ग्रुप को मिला है और इसका काम नवंबर 2021 तक पूरा होना है, इसलिए इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चलते रहना चाहिए।

साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि अभी सभी वर्कर निर्माण स्थल पर हैं और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसलिए इस कोर्ट के पास कोई आधार नहीं है कि वो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को रोक दे।


Vidushi Mishra

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