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टीका लगवाने की कॉलर ट्यून पर भड़का हाईकोर्ट, कहा- जब वैक्सीन ही नहीं तो कोई लगवाए कैसे

वैक्सीन लगवाने की नसीहत देने वाली केंद्र सरकार की मोबाइल कॉलर ट्यून पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जोरदार फटकार लगाई है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 14 May 2021 9:26 AM IST (Updated on: 14 May 2021 9:32 AM IST)
The Delhi High Court has strongly reprimanded the mobile caller tune of the Central Government, which had been advising to get the vaccine.
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दिल्ली हाईकोर्ट(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने वैक्सीन लगवाने की नसीहत देने वाली केंद्र सरकार की मोबाइल कॉलर ट्यून पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। दिल्ली हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति किसी को फोन करता है तो उसे कॉलर ट्यून सुनाई पड़ती है कि वैक्सीन लगवाइए। यह कॉलर ट्यून चिढ़ पैदा करने वाली है क्योंकि कोई वैक्सीन लगवाए भी तो कहां लगवाए जब वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं है।

लोगों को परेशान करती है कॉलर ट्यून

जस्टिस विपिन सिंघई और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि यह कॉलर ट्यून लोगों को जागरूक नहीं कर रही है बल्कि उन्हें और परेशान करने वाली है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के संदेश का क्या मतलब है जब वैक्सीन की उपलब्धता ही नहीं है।

अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि आपके पास लोगों को लगाने के लिए जब टीका ही नहीं है तो टीकाकरण का यह संदेश देकर लोगों को नाहक परेशान किया जा रहा है। पता नहीं आगे भी कब तक इस तरह परेशान किया जाता रहेगा।

हर किसी को मुहैया कराएं टीका

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आपको हर किसी को टीका मुहैया कराना चाहिए। अगर आप टीके के लिए पैसे लेने जा रहे हैं तो भी कोरोना के संकट काल में लोगों को वैक्सीन तो मुहैया कराई ही जानी चाहिए।

अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अब तो बच्चे भी इस बाबत सवाल पूछने लगे हैं कि आखिर यह सबकुछ है क्या? अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले में थोड़ा इनोवेटिव होने की नसीहत भी दी।

दिल्ली हाईकोर्ट (सोशल मीडिया)

दूसरे संदेश भी प्रसारित करे सरकार

अदालत ने यह भी सलाह दी कि केंद्र सरकार को और भी मैसेज बनाने के बारे में सोचना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक ही मैसेज बनाया और आप हमेशा उसी को चलाते रहे हो। यह तो उसी तरह है कि जैसे एक टेप जब तक खराब नहीं हो जाता तब तक उसे बजाया जाता है। अदालत ने केंद्र सरकार से यह सवाल भी पूछा कि क्या इस संदेश को 10 साल तक चलाया जाता रहेगा?

अदालत ने केंद्र सरकार को मौजूदा समय की जमीनी सच्चाई देखकर ही कोई कदम उठाना चाहिए। समयानुसार संदेशों में बदलाव भी किया जाना चाहिए। इसलिए ज्यादा से ज्यादा संदेश बनाए जाने चाहिए। जब लोगों के कान में बदले हुए अलग-अलग संदेश गूजेंगे तो इन संदेशों से उन्हें मदद भी मिलेगी।

18 मई तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि नियमित रूप से हाथ धोने और सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने का पिछले साल काफी प्रचार किया गया था। अब समय के मुताबिक बदलाव लाते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और दवाइयों को लेकर ऑडियो विजुअल इनोवेशन किया जाना चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम वक्त गवाने के सिवा और कुछ नहीं कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाया जाना चाहिए। अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 18 मई तक इस बाबत रिपोर्ट पेश करे कि टीवी, प्रिंट और कॉलर ट्यून के जरिए कोरोना के संबंध में जानकारी का प्रचार करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

Vidushi Mishra

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