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दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर लगाए ये आरोप, जानें क्या कहा...
दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी अनिल बैजल को पत्र लिखा है।
नई दिल्ली. फीस वृद्धि को लेकर दिल्ली पैरेट्स एसोसिएशन ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाए है, अभिभावकों का कहना है कि सरकार ने निजी स्कूलों के पक्ष को ही हाईकोर्ट में रखा लेकिन उनके पक्ष पर ध्यान नहीं दिया गया है, ऐसे में पैरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और एलजी (Lieutenant Governor of Delhi) अनिल बैजल (Anil Baijal) को पत्र लिखा है, पत्र के साथ पैरेट्स एसोसिएशन ने 3000 अभिभावकों के द्वारा भरा गया गुगल फॉर्म भी भेजा है। जिसमें मांग की गई है कि 12 जुलाई को होने वाली सुनवाई में उनके पक्ष पर जोर दिया जाए।
दरअसल, दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने सभी अभिभावकों से अपील की थी कि वे 'गूगल फार्म' के जरिए अपना मत दे, जिसमें करीब 3 हजार पैरेंट्स ने दिलचस्पी दिखाई और अपने विचार रखे। जिसमें यह बात निकल कर सामने आई कि गूगल फार्म भरने वाले 90 प्रतिशत अभिभावक यह मानते हैं कि दिल्ली एजुकेशन डिपार्टमेंट (Delhi Education Department) हाईकोर्ट में पैरेंट्स का पक्ष रखने में पूरी तरह विफल रहा है। केजरीवाल सरकार ने स्कूलों के पक्ष पर ही ध्यान दिया, लेकिन ये नहीं देखा कि कोरोना काल में निजी स्कूलों की ओर से फीस वृद्धि की जा रही है। इससे मध्यमवर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आ गया है। 98 प्रतिशत अभिभावकों का कहना है कि कोविड में केवल 15 फीसदी की छूट देकर एरियर के नाम पर मोटी रकम मांगी जा रही है। जो पूरी तरह गलत है।
क्या बोली डीपीए की अध्यक्ष
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीपीए की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने अभिभावकों को उनका पक्ष रखने के लिए एक फॉर्म भरने के लिए कहा गया था, इसके कुछ ही घंटों बाद पैरेंट्स के जवाब आने लगे और करीब 3000 पैरेंट्स ने अपने पक्ष को रखा। ताकि अपनी बात को सरकार तक पहुंचाया जा सके। मामले की सुनवाई 12 जुलाई को होगी, इसलिए अभिभावक चाहते हैं कि उनके पक्ष को भी रखा जाए। उन्होंने बताया कि दिल्ली एजुकेशन डिपार्टमेंट के एक ऑर्डर के अनुसार ट्यूशन फीस, वार्षिक शुल्क और डेवलेमेंट फी में 15 प्रतिशत की कटौती के साथ साल 2020-2021 और 2021 से 2022 के लिए स्कूलों में जमा करानी है, जो मध्यमवर्गी परिवारों के लिए एक चिंता का विषय है। इससे उनका अतिरिक्त आर्थिक बोझ काफी बढ़ जाएगा।