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Delhi Rakesh Asthana News: कमिश्नर बनते ही बवाल: राकेश अस्थाना को लेकर क्यों उठ रही दिल्ली पुलिस के 'दुरुपयोग' की बात, जानिए क्या है पूरा मामला
Delhi Rakesh Asthana News: सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए उनकी नियुक्ति को गैर-काननी बताया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा- राकेश अस्थाना 'टेंटेड' अफसर हैं। उनका नाम संदेसरा ग्रुप के साथ जुड़ा रहा है, जो 1000 हजार करोड़ रुपये लेकर भाग गया था। सीबीआई ने खुद इस मामले की जांच की थी। अब दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर उनकी नियुक्ति गैर-कानूनी है।
Delhi Rakesh Asthana News: राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) ने दिल्ली पुलिस आयुक्त (Delhi Police Commissioner) का कार्यभार संभाल लिया है। वहीं अब उनकी नियुक्ति को लेकर विपक्षी दलों और सिविल सोसायटी की तरफ से आपत्ति जताई जा रही है। वहीं कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का कहना है कि राकेश अस्थाना चार दिन बाद रिटायर होने वाले थे, जबकि प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट बहुत स्पष्ट कहता है कि जब किसी अधिकारी के रिटायर होने में 6 महीने बचे हों, तभी उसे डीजीपी पद पर बिठाया जा सकता है।
गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक की दौड़ में आगे चल रहे अस्थाना को यही शर्त पीछे खींच ले गई थी। बतौर पवन खेड़ा, पिछले दरवाजे से अब उन्हें दिल्ली के सीपी की कुर्सी पर बैठा दिया गया। क्या दिल्ली पुलिस में ऐसी नियुक्ति 'राजनीतिक प्रतिद्वंद्धियों' के लिए की गई है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ती गैर-कानूनी है। दिल्ली विधानसभा में भी आप विधायकों ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अस्थाना की नियुक्ति पर अपने ट्वीट में लिखा- "राकेश अस्थाना 'टेंटेड' अफसर हैं। उनका नाम संदेसरा ग्रुप के साथ जुड़ा रहा है, जो 1000 हजार करोड़ रुपये लेकर भाग गया था। सीबीआई ने खुद इस मामले की जांच की थी। अब दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर उनकी नियुक्ति गैर-कानूनी है। पिछले दिनों जब सीबीआई प्रमुख का चयन हुआ तो अस्थाना के नाम पर इसलिए सहमति नहीं बन सकी क्योंकि उनके रिटायरमेंट में 6 माह नहीं बचे थे।"
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है "सुप्रीम कोर्ट का आदेश कहता है कि अगर ऐसे किसी अधिकारी की रिटायरमेंट में 6 माह बचें हैं तो ही वह डीजीपी बन सकता है। दिल्ली पुलिस आयुक्त का पद और डीजीपी, ये दोनों समकक्ष पद हैं। पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति करने के लिए क्या यूपीएससी से अनुमति ली गई है। सरकार की शब्दावली 'पब्लिक इंट्रेस्ट स्पेशल केस' ये क्या होता है, जरा समझाएं। अस्थाना पर 6 क्रिमिनल केस दर्ज हुए थे। 'राजनीतिक प्रतिद्वंद्धियों' का भय, इस लिस्ट में केवल कांग्रेस पार्टी ही नहीं है, बल्कि आम आदमी पार्टी भी है। आप सरकार के दूसरे कार्यकाल में डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों पर दिल्ली पुलिस ने विभिन्न धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किए थे। आप विधायक संजीव झा, अखिलेश पति त्रिपाठी और सोम दत्त ने अस्थाना की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों का उल्लंघन बताया है। अस्थाना की नियुक्ति से इन दोनों पार्टियों की चिंता बढ़ी है।
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार, राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के आईपीएस हैं। क्या सरकार को एजीएमयूटी कैडर में एक भी लायक अधिकारी नहीं मिला, जिसे दिल्ली पुलिस आयुक्त बनाया जा सकता था? क्या एक तरह से सरकार ने एजीएमयूटी कैडर को यह सर्टिफिकेट दे दिया है कि आप लोग बेकार हो? आप लोग इस लायक नहीं हो कि आपको दिल्ली का पुलिस आयुक्त बना सकें? अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बना कर सरकार क्या साबित करना चाहती है कि अब दिल्ली को सीबीआई स्टेट बनाया जाएगा। कम से कम सरकार को ऐसा अधिकारी सीपी के पद के लिए लाना चाहिए था, जिसे मेट्रो पुलिसिंग का अनुभव हो। एजीएमयूटी कैडर का कोई अधिकारी सरकार को पसंद ही नहीं आ रहा। ये कौन सा पब्लिक इंट्रेस्ट है।
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पारित-
गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से तीन दिन पहले दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त किए जाने के मामले में सियासत गर्मा गई है। दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को नए पुलिस कमिश्नर पद पर आईपीएस राकेश अस्थाना की नियुक्ति पर चर्चा की गई और अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ विधानसभा ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें गृह मंत्रालय से अस्थाना की नियुक्ति वापस लेने की मांग की गई है।
वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने कहा कि 'यह नियुक्ति न केवल असंवैधानिक है बल्कि उच्चतम न्यायालय की अवमानना भी है।' 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में कहा गया था कि अगर डीजीपी के लेवल पर किसी की नियुक्ति होनी है, तो उनके रिटायरमेंट में कम से कम 6 महीने का समय होना चाहिए। इस प्रक्रिया में यूपीएससी से सलाह लेने का भी आदेश दिया गया था। इसकी पूरी प्रक्रिया के पालन का आदेश दिया गया था। इस प्रक्रिया के एक भी मानक का पालन राकेश अस्थाना की नियुक्ति में नहीं किया गया है।'
दिल्ली पीसी पद पर कैसे हुई राकेश अस्थाना की नियुक्ति?
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के गुजरात कैडर के वरिष्ठ अधिकारी राकेश अस्थाना ने बुधवार को दिल्ली के पुलिस आयुक्त का पदभार संभाला था। इससे एक दिन पहले मंगलवार को गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि अस्थाना तत्काल प्रभाव से दिल्ली पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे। वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे। अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई थी। उनका कार्यकाल एक साल का होगा। इस तरह के बहुत कम उदाहरण हैं, जब अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से बाहर के किसी आईपीएस अधिकारी को दिल्ली पुलिस के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया हो।
1984 बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक रह चुके हैं। सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान उनका जांच एजेंसी के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ विवाद हो गया था, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। दिलचस्प है कि वर्मा सीबीआई निदेशक बनने से पहले दिल्ली पुलिस के आयुक्त थे। जून के अंत में पुलिस आयुक्त पद से एसएन श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।