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प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- दिल्ली में निर्माण कार्य पर रोक के बावजूद सेंट्रल विस्टा पर चल रहा काम?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार 29 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Pollution) मामले पर एक बार फिर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी 'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार 29 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर (Delhi-Ncr) में प्रदूषण (Pollution) मामले पर एक बार फिर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी 'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Redevelopment Project) के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा, कि क्या दिल्ली में निर्माण कार्य बंद (CONSTRUCTION BAN) होने के बावजूद सेंट्रल विस्टा पर काम चल रहा है?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के मसले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता (Petitioner) के वकील विकास सिंह ने केंद्र के सेंट्रल विस्टा पर सवाल उठाते हुए कहा, ऐसे सभी प्रोजेक्ट रोके जाने चाहिए। विकास सिंह बोले, 'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट लोगों के जीवन से ज्यादा कीमती नहीं है। हमारे पास वीडियो है कि कैसे उस प्रोजेक्ट की धूल प्रदूषण बढ़ा रही है। जबकि छोटे प्रोजेक्ट बंद किये गए हैं।
केंद्र को जवाब देना ही होगा
सुप्रीम अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, कि 'आप आदेश लिखवाने की कोशिश न करें। हम इस कोशिश में हैं कि वायु प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जाए। चाहे वह सेंट्रल विस्टा हो या कुछ और। हमें नहीं लगता कि हम कुछ नहीं जानते। हम भी जानते हैं और सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता को भी जवाब देना होगा। ध्यान भटकाने के लिए वे सिर्फ कुछ मुद्दों पर ध्यान न दें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा, आप जवाब दीजिए कि क्या दिल्ली में कंस्ट्रक्शन बैन के तहत सेंट्रल विस्टा पर काम चल रहा है?
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली ने नहीं किया काम
मामले की सुनवाई में आगे मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा, कि वो कौन-कौन से राज्य हैं जिन्होंने प्रदूषण के संबंध में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कहा, कि 'एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग कमेटी (Air Quality Monitoring Committee- AQMCने ) राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को 6 महीने पहले ही पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि जो प्रदूषण फैलाने वाले वाले उद्योग हैं उन्हें कहीं और शिफ्ट कीजिये या फिर उन्हें प्रदूषण न फैलाने वाले ईंधन दीजिए। लेकिन किसी राज्य ने इस दिशा में कोई भी काम नहीं किया।'