×

Delhi Private school: दिल्ली सरकार की निजी स्कूलों पर लगाम, तीन साल तक नहीं बदलेंगी ड्रेस और किताबें

Delhi Private School: दिल्ली में प्राइवेट स्कूल तीन साल तक ड्रेस या किताब में बदलाव नहीं कर सकते।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Ragini Sinha
Published on: 6 May 2022 6:42 AM GMT (Updated on: 9 May 2022 12:48 PM GMT)
Delhi Private school
X

दिल्ली सरकार की निजी स्कूलों पर लगाम (Social media)

Delhi Private School: दिल्ली सरकार शिक्षा निदेशालय में निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगते हुए छात्र/छात्राओं के अभिभावकों को राहत पहुंचाने वाला नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत अब कोई भी स्कूल कम से कम तीन साल तक ना तो स्कूल ड्रेस मेज विशेष बदलाव कर सकता है और ना ही इस अवधि के भीतर अभिभावकों को ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर कर सकता है। इसी के साथ अभिभावकों को किसी विशेष दुकान आदि से महंगी किताबें खरीदने के लिए भी मजबूर नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि कोई स्कूल सरकार के इस आदेश अवहेलना करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।

निजी स्कूलों की ड्रेस और किताबें बदलने की मनमानी पर रोक

शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी इस आदेश के तहत प्रत्येक शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पूर्व सभी निजी स्कूल सत्र से जुड़ी पठन सामग्री आदि की जानकारी अपनी सम्बंधित वेबसाइट पर साझा कर तथा अन्य माध्यम से भी अभिभावकों को इससे भली-भांति अवगत कराएं तथा साथ ही सभी निजी स्कूलों को संस्थान के आसपास स्थित ऐसी पांच दुकानों की भी पूर्ण जानकारी देनी होगी जहां स्कूल की किताबें, ड्रेस और अन्य सामान उपलब्ध हो।

दरअसल सरकार के इस आदेश के तहत निजी स्कूलों की बगैर किसी नियावाली ड्रेस और किताबें बदलने की मनमानी पर रोक लगाई गई है। आमतौर पर इन स्कूलों की किताबें और ड्रेस किसी विशेष दुकानों पर ही उपलब्ध होती है। इसलिए सरकार ने स्कूल के आसपास की पांच दुकानों का ब्यौरा मंगवाया है।

महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए फोर्स नहीं कर सकते

निजी स्कूलों की मनमानी और हर साल ड्रेस बदलने तथा पाठ्यक्रम में महंगी पुस्तकें रखने के चलते अभिभावकों पर अक्सर अतिरिक्त खर्च आ जाता है, जो कि बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है। साथ ही शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा का व्यवसायीकरण करने को लेकर यह कदम उठाया है, जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त होने के साथ ही अभिभावकों पर भी खर्च का अतिरिक्त बोझ ना आने पाए।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

Next Story