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Delhi University: महाश्वेता देवी को पाठ्यक्रम से हटाने पर गरमाई डीयू की राजनीति, दलित विरोधी होने का आरोप

Delhi University : दिल्ली यूनिवर्सिटी की महाश्वेता देवी और दो अन्य लेखकों को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shraddha
Published on: 26 Aug 2021 1:28 AM GMT
महाश्वेता देवी को पाठ्यक्रम से हटाने पर गरमाई डीयू
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महाश्वेता देवी को पाठ्यक्रम से हटाने पर गरमाई डीयू  (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

Delhi University : भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में जहां बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) के जय भीम के नारे के जवाब में जय अम्बेडकर का नारा लेकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में पाठ्यक्रम से दलित लेखकों के रूप में पहचान रखने वाली महाश्वेता देवी (Mahasweta Devi) और दो अन्य लेखकों को पाठ्यक्रम से बाहर करके वह विवादों में घिर गई है। और दिल्ली विश्वविद्यालय में सियासत एक बार फिर गर्मा गई है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (National President JP Nadda) ने लखनऊ के दौरे के दौरान पार्टी नेताओं से नियमित रूप से गांवों और दलित बस्तियों का दौरा करने एवं पार्टी के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था जो किसी कारण से पार्टी से नाखुश हैं। बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने साफ कहा था कि मलिन बस्तियों, गांवों में प्रवास करें। दलितों, वंचितों को साथ लेकर सहभोज कार्यक्रम आयोजित करें, उनका विश्वास जीतें। बूथ भी तभी मजबूत होगा जब हर वर्ग साथ होगा और सबका हम पर विश्वास होगा। लेकिन जेएनयू में दलित विरोधी माहौल बनने से भाजपा की रणनीति को झटका लग सकता है।

ओवरसाइट कमेटी द्वारा प्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी की लघु कहानी और दो दलित लेखकों को अंग्रेजी पाठ्यक्रम से हटाने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में महौल गरमा गया है और कुछ हलकों से आलोचनाओं की शुरुआत हो गई है। बुधवार को हुई एकेडमिक काउंसिल (एसी) की बैठक में 15 सदस्यों ने ओसी और इसके कामकाज के खिलाफ एक असहमति नोट भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पांचवें सेमेस्टर के लिए एलओसीएफ (लर्निंग आउटकम बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क) अंग्रेजी पाठ्यक्रम में बहुत अधिक छेड़छाड़ हुई है।


दिल्ली यूनिवर्सिटी (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


उन्होंने कहा कि ओवरसाइट कमेटी ने पहले दो दलित लेखकों - बामा और सुखरथारिनी को हटाने का फैसला किया और उनकी जगह "उच्च जाति की लेखिका रमाबाई" को नियुक्त किया। इसके बाद कमेटी ने बिना कोई अकादमिक तर्क दिये अचानक अंग्रेजी विभाग को महाश्वेता देवी की प्रसिद्ध लघु कहानी, 'द्रौपदी' जो कि एक आदिवासी महिला के बारे में है, हटाने के लिए कह दिया।

एकेडमिक काउंसिल सदस्यों का कहना है कि यह इस तथ्य के बावजूद कहा गया है कि 'द्रौपदी' को 1999 से दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा इसके मौलिक शैक्षणिक मूल्य के कारण पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा, ओवरसाइट कमेटी ने महाश्वेता देवी की किसी भी लघु कहानी को एक लेखक के रूप में उनके विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित होने और भारत सरकार से साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म विभूषण की विजेता होने के बावजूद स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

सदस्यों ने कहा कि ये "मनमाने ढंग से और अकादमिक परिवर्तन" "विभाग की पाठ्यक्रम समिति या पाठ्यक्रम समिति के साथ जुड़े लोगों से कोई प्रतिक्रिया साझा किए बिना" लगाए गए। असंतुष्ट सदस्यों का कहना है कि निगरानी समिति ने हमेशा दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और यौन अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व के खिलाफ पूर्वाग्रह दिखाया है, जैसा कि पाठ्यक्रम से ऐसी सभी आवाजों को हटाने के उसके ठोस प्रयासों से स्पष्ट है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निरीक्षण समिति में दलित या आदिवासी समुदाय से कोई सदस्य नहीं है जो संभवतः इस मुद्दे पर कुछ संवेदनशीलता ला सकता था।

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