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Delta Plus Variant In India: वैक्सीन और एंटीबॉडी को भी बेअसर कर सकता है डेल्टा प्लस

Delta Plus Variant In India: डेल्टा प्लस वेरियंट सबसे पहले मार्च महीने में यूरोप में मिला था और उसके बाद जून महीने में इससे संक्रमित मरीज भारत में मिलना शुरू हो गए थे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 6 July 2021 10:57 AM GMT
Delta Plus, a new form of corona virus, that this variant has the ability to neutralize the vaccine and antibodies.
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डेल्टा प्लस (फोटो-सोशल मीडिया)

Delta Plus Variant In India: कोरोना वायरस के नए रूप डेल्टा प्लस के बारे में पता चला है कि यह वेरिएंट वैक्सीन और एंटीबॉडी को बेअसर करने की क्षमता रखता है। यानी अगर कोई व्यक्ति कोरोना वैक्सीन की डोज़ ले चुका है तब भी वह खतरे के घेरे में है। यही नहीं, अगर किसी को पहले कोरोना हो चुका है और उसके शरीर में एंटीबॉडीज हैं तब भी डेल्टा प्लस उस पर हमला कर सकता है।

डेल्टा प्लस वेरियंट सबसे पहले मार्च महीने में यूरोप में मिला था और उसके बाद जून महीने में इससे संक्रमित मरीज भारत में मिलना शुरू हो गए थे। डेल्टा प्लस के स्पाइक प्रोटीन में जो म्यूटेशन हुआ है वो पहले साउथ अफ्रीका में मिले बीटा वेरिएंट में भी मिला चुका है।

इस म्यूटेशन के साथ बीटा वेरियंट में ये क्षमता बन गयी थी कि वो कोरोना वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज को भी कुछ हद तक चकमा दे सकता था। ऐसे में मना जा रहा है कि भारत में फैले डेल्टा प्लस वेरिएंट में भी एंटीबॉडीज को बाईपास करने की क्षमता होगी।

नए म्यूटेशन में स्पाइक प्रोटीन

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट इम्यूनिटी को चकमा दे सकता है और ये भी मुमकिन है कि इस वेरिएंट पर कोरोना के इलाज की दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का असर कम हो। कोरोना वायरस का ये म्यूटेशन इसलिए चिंता पैदा कर रहा है क्योंकि ये वायरस की सबसे महत्वपूर्ण जगह स्पाइक प्रोटीन में मौजूद है।

स्पाइक प्रोटीन के जरिये ही वायरस इंसानों के सेल्स में प्रवेश करता है। पहले के म्यूटेशन में स्पाइक प्रोटीन के 'रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन' में बदलाव हुए थे। रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन का मतलब स्पाइक प्रोटीन के उस हिस्से से है जिससे वह इंसानी सेल्स के रिसेप्टर से चिपक जाता है। नए म्यूटेशन में स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव हो गया है जो इसे ज्यादा खतरनाक बना गया है।

देश के जानेमाने वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट वैक्सीन लेने से शरीर में बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेअसर कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं और आपमें एंटीबॉडी बनी है, तब भी वो इस नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं रह सकती।

फोटो-सोशल मीडिया

प्रोफेसर जमील स्पष्ट रूप कहते हैं कि अगर आपने वैक्सीन ले ली है और आपमें नेचुरल तरीके से एंटीबॉडी भी बन गई है तो भी आप ये न मानिए कि आप इस नए वेरिएंट के प्रति प्रोटेक्शन लिए हुए हैं। आप अपने को सुरक्षित न मानें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी आगाह किया है कि कोरोना के मामलों को और कम करने के लिए अभी भी कोविड गाइडलाइन को फॉलो करने की जरूरत है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है वो सभी सावधानियों का गंभीरता से पालन करें, डबल मास्क लगायें और भीड़ में न जाएँ। डब्लूएचओ का कहना है कि डेल्टा प्लस के बारे में अभी बहुत कुछ जानकारी नहीं है लेकिन एहतियात पूरे बरतने चाहिए।

आठ गुना कम सेंसिटिव है डेल्टा वेरिएंट

इंग्लैंड के कैंब्रिज इंस्टिट्यूट ऑफ़ थेराप्यूटिक इम्यूनोलोजी में की गयी एक रिसर्च से पता चला है कि डेल्टा वेरियंट, कोरोना वैक्सीनों द्वारा पैदा की गयी एंटीबॉडीज के प्रति आठ गुना कम सेंसिटिव है। एंटीबॉडीज के प्रति किसी वायरस के कम सेंसिटिव होने का मतलब है कि एंटीबॉडी उस पर असर नहीं कर रही है।

ये स्टडी भारत और कैंब्रिज इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से की थी और इसमें भारत में तीन जगह के सौ से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों की पड़ताल की गयी थी। इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन के बावजूद श्वास तंत्र में कहीं ज्यादा वाइरल लोड पैदा करता है। इसके अलावा ये पूरी तरह वैक्सीन पाए लोगों में ज्यादा संक्रामक भी पाया गया।

Vidushi Mishra

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