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Dharm Parivartan: चुप रहना मजबूरी है इस्लाम छोड़ने वालों की

Dharm Parivartan: प्यू रिसर्च सेंटर की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 35 लाख मुसलमान हैं। हर साल एक लाख मुसलमान इस्लाम धर्म छोड़ देते हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Chitra Singh
Published on: 15 Dec 2021 11:44 AM IST
Converting to hinduism from islam
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हिंदू-मुस्लिम (फोटो- सोशल मीडिया)

Dharm Parivartan: भारत दुनिया का पहला व इकलौता ऐसा देश है, जहां बहुसंख्यकों का धर्म परिवर्तन अल्पसंख्यक करवाते हैं। वे चाहे मुस्लिम हों या ईसाई। धर्म परिवर्तन के पीछे भी आस्था नहीं होती। होता है भय, प्रलोभन और धोखा। इसी के साथ हम यह भी कह सकते हैं कि हिंदू/सनातन इकलौता ऐसा धर्म है, जहां धर्म परिवर्तन करके हिंदू बनने वालों के प्रति कोई उदारता नहीं है। इनके स्वागत के प्रति कोई भाव नहीं है। हिंदू होने या बने रहने के प्रति कोई स्वाभिमान व अभिमान नहीं है। हिंदुओं की संख्या बढ़ाने का कोई अभियान नहीं है। इसके अनुयायियों ने अपने धर्म को बढ़ाने के लिए कभी तलवार नहीं उठाई। धर्म के विस्तार के लिए दूत नहीं भेजे। फिर भी कुछ लोग हिंदू बन रहें हों तो इसे इस धर्म की ताक़त ही तो कहेंगे। यह भी ताक़त ही है कि यह धर्म सदियों से चलता आ रहा है। इसकी जड़ें इस्लाम व ईसाईयत की तरह शताब्दियों तक ही नहीं हैं।

अली अकबर (Ali Akbar) केरल के रहने वाले हैं। वे बीजेपी के राज्य कमिटी के सदस्य रहे हैं। इस साल अक्टूबर में पार्टी नेतृत्व के साथ कुछ असहमतियों की वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। साल 2015 में उन्होंने कहा था कि मदरसा में पढ़ते समय उनका यौन शोषण हुआ था। अली अकबर ने इस्लाम (Islam Dharm) छोड़ने का एलान किया है। इसकी वजह उन्होंने जनरल बिपिन रावत के प्रति मुसलमानों की नफरत बताई है।

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी (Syed Waseem Rizvi) ने बीते 7 दिसंबर को गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर में इस्लाम छोड़कर हिन्दू धर्म अपना लिया। उन्होंने अपना नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (Jitendra Narayan Singh Tyagi) रखा है। उनका कहना है कि सनातन धर्म सबसे बेहतर है। वसीम रिजवी कुरान की कथित रूप से 'विवादित 26 आयतों' को हटाने और एक नया कुरान लिखने की बात भी कह चुके हैं।

वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी सुकमावती सुकर्णोपुत्री ने अपने 70वें जन्मदिन पर इस्लाम छोड़ दिया। हिंदू धर्म अपनाया। सुकमावती के इस फैसले के पीछे उनकी दिवंगत दादी इदा अयू नयोमान राई श्रीमबेन की प्रेरणा है, जो खुद हिंदू धर्म में यकीन रखती थीं।

इस्लाम त्याग कर हिन्दू धर्म अपनाने (Converting to hinduism from islam) वाले कुछ लोगों में सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान के पुत्र आशीष खान, पूर्व मिस इंडिया नफ़ीसा अली (Nafisa Ali), फातिमा रशीद (Fatima Rashid) जो नरगिस दत्त (Nargis Dutt) बन गईं, संगीतज्ञ अन्नपूर्णा देवी (Annapurna Devi) जिनका पहले नाम रोशनारा खान (Roshanara Khan) था, तमिल अभिनेत्री खुशबू, गैंगस्टर अरुण गवली की बीवी आशा गवली, इंडोनेशिया के एक जज इफा सुदेवी, आतंकी संगठन हमास के संस्थापक के पुत्र फिलिस्तीनी हसन मोसाब यूसुफ़ आदि शामिल हैं। ये तो कुछ बानगी है। पर हक़ीक़त यह है कि इस्लाम को छोड़ने का दुनिया भर में व्यापक अभियान चल रहा है। हालांकि भय के चलते इस अभियान का ज़िक्र जारी नहीं हैं।

प्यू रिसर्च सेंटर की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक (Pew Research Center Report) अमेरिका में 35 लाख मुसलमान हैं। हर साल एक लाख मुसलमान इस्लाम धर्म छोड़ देते हैं। यही ट्रेंड पश्चिमी यूरोप का है। करीब 20 फीसदी अमेरिकी मुस्लिम अपने बचपन में किसी अन्य धर्म के थे। इतनी ही संख्या उन अमेरिकी लोगों की है जो बचपन में मुस्लिम थे । लेकिन अब इस धर्म का पालन नहीं करते हैं।

अमेरिकी पत्रिका "द न्यू रिपब्लिक" (The New Republic) में 24 अप्रैल, 2015 को एक रिपोर्ट छपी थी जिसने मुस्लिम देशों (Muslim countries) को एक ऐसी असलियत दिखाई जिसके बारे में उन्होंने सोचा भी न था। इस रिपोर्ट में 2012 के विन-गैलप इंटरनेशनल सर्वे का हवाला देते हुए बताया गया था कि सऊदी अरब के 5 फीसदी नागरिक यानी दस लाख से ज्यादा लोग अपने आप को नास्तिक कहते हैं। यह संख्या अमेरिका जितनी ही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 फीसदी सऊदी नागरिक अपने आप को धार्मिक व्यक्ति नहीं मानते हैं। तुलनात्मक रूप से इटली में यह संख्या 15 फीसदी है।

2005 में लंदन के "द टाइम्स" अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लैंड में 15 फीसदी मुस्लिम इस्लाम छोड़ चुके हैं। अमेरिका में बाकायदा एक संगठन बना हुआ है जिसका नाम है एक्स मुस्लिम्स ऑफ नार्थ अमेरिका। यह संगठन खुलकर प्रचार करता है कि कितने मुस्लिम इस्लाम छोड़ रहे हैं। अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और मिशिगन यूनिवर्सिटी के रिसर्च नेटवर्क अरब बैरोमीटर के एक सर्वे के अनुसार, लेबनान में एक दशक के भीतर धर्म के प्रति निजी आस्था में करीब 43 फीसदी कमी आई है।

हिंदू धर्म-इस्लाम (फोटो- सोशल मीडिया)

प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 6 फीसदी मुस्लिम ईश्वर में विश्वास नहीं रखते। यानी वे अपने को नास्तिक कहते हैं। लेकिन बहुत कम लोग सार्वजनिक रूप से स्वीकारते हैं कि वे इस्लाम छोड़ चुके हैं। जो लोग इस्लाम छोड़ चुके हैं वे इसकी वजह इस्लाम में कट्टरपंथ, महिलाओं के प्रति खराब रुख, दूसरे धर्मों के प्रति इस्लाम का रवैया या इस्लाम धर्म के प्रति सामान्य नापसंदगी बताते हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस्लाम छोड़कर हिन्दू बनने वालों की संख्या उतनी ही है, जितने हिन्दू इस्लाम ग्रहण करते हैं। यह संख्या 0.3 फीसदी बैठती है। भारत में इस्लाम छोड़ने वालों के ऑनलाइन ग्रुप बने हुए हैं। 2019 में एक ग्रुप बना था एक्स मुस्लिम्स ऑफ इंडिया। इसमें 100 सदस्य थे। इसी तरह 2016 में एक ग्रुप बना था एक्स मुस्लिम्स ऑफ तमिलनाडु जिसमें 300 सदस्य हैं।

पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, यमन, यूएई समेत तमाम मुस्लिम देशों में स्वधर्म त्याग यानी इस्लाम छोड़ना शरिया के तहत एक ऐसा अपराध है जिसकी सजा मौत है। बहुत से इस्लामी देशों ने ग्लोबल मानवाधिकार रक्षा घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इसीलिए इनकार किया हुआ है। क्योंकि इस घोषणापत्र में धर्म परिवर्तन की स्वतंत्रता की बात है। जिन मुस्लिमों ने इस्लाम त्याग दिया है उनकी निश्चित संख्या कभी पता नहीं चल सकती है क्योंकि ऐसे अधिकांश लोग अपनी पहचान खुलने के डर से सामने नहीं आते हैं। जिन लोगों ने इस्लाम छोड़ दिया है वे अपने और अपने परिवार की जान बचाने के लिए हमेशा आतंकित रहते हैं।

चूंकि इस्लाम त्यागने की सजा मौत है, इसी डर से इस्लाम छोड़ने वाले ज्यादातर लोग बदले की कार्रवाई के डर से सामने नहीं आते हैं। ऐसे लोग या तो देश छोड़ देते हैं या गुमनामी में रहते हैं। बहुत से लोग इस्लाम छोड़ने के बाद भी डर से मुस्लिम नाम रखे रहते हैं।

भय से नहीं चलते धर्म और संस्कार

सिद्धांत है कि धर्म, संस्कार, सभ्यता व संस्कृति कभी भी भय से नहीं चलाये जा सकते। पर यह सिद्धांत इस्लाम को लेकर ठीक उलट है। हमारे देश में मुट्ठी भर मुग़ल, तुर्क, उज़्बेक, अफ़ग़ानी आये थे। पर इस्लाम को मानने वाले इन्हीं मुट्ठी भर लोगों की ही देन है कि आज तक़रीबन अठारह फ़ीसदी मुसलमान हो गये हैं। डायरेक्ट एक्शन के ज़िम्मेदार व पाकिस्तान के पैरोकार मोहम्मद अली जिन्ना मूलत: हिंदू थे। जिन्ना के बाबा प्रेम जी भाई मेघ जी ठक्कर हिंदू थे। वह लोहाना जाति से आते थे। लोहाना जाति के लोग खुद को भगवान राम के बेटे लव का वंशज मानते हैं। जिन्ना के पिता व बाबा मछली का कारोबार करते थे। जिसके चलते लोहाना जाति ने इनके परिवार को जाति बदर कर रखा था। इसी से ऊब कर जिन्ना के पिता जिन्नात यह भाई पूंजा ने इस्लाम क़ुबूल कर लिया था। इनके चार चाचा का परिवार आज भी हिंदू हैं। वह गुजरात में रहता है।

पाकिस्तान में एक भारत के जासूस हुआ करते थे। जिनका नाम मोहन लाल भास्कर था। वह पाकिस्तान में पकड़ लिये गये थे। कोई सालों तक वह पाकिस्तानी जेलों में रहे। पाकिस्तानी जल्लाद पुलिस के हाथों उन्हें ख़ासा प्रताड़ित करवाया गया।

'पाकिस्तान में भारत का जासूस था' (फोटो- सोशल मीडिया)

अमिताभ बच्चन के पिता डॉ हरिवंश राय बच्चन ने इंदिरा गांधी से मोहन लाल को छुड़ाने की सिफ़ारिश की। वह छूटे। उन्होंने एक किताब लिखी – 'मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था।' उसमें एक जगह इन्होंने लिखा है कि लाहौर जेल में एक पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी ने उन्हें सबसे ज़्यादा यातनाएँ दीं।

भास्कर जब प्रताड़ना से मुक्त हुए तब उन्होंने उस पुलिस वाले से पूछा, 'मैं पाकिस्तान के जल्लाद से जल्लाद लोगों के हत्थे चढ़ा। पर जितनी यातना आपने दी, उतनी किसी ने नहीं दीं।' पाकिस्तानी पुलिस वाले के जवाब में हज़ार सवालों के जवाब मौजूद हैं। उसने कहा, 'मेरे परिवार को ज़बरदस्ती इस्लाम क़ुबूल करवाया गया था। जब अंग्रेजों का राज शुरू हुआ तो हम सब वापस हिंदू बनना चाहते थे। पर हमें अवसर नहीं दिया गया। तबसे मेरे हत्थे हिंदू पड़ जाता है तो हमारे खून सर चढ़ कर बोलने लगता है।'

( लेखक पत्रकार हैं ।)



Chitra Singh

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