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जानिए आखिर क्या होता है तूफान, कैसे बनते हैं Cyclone?

मैदानी इलाकों में आने वाले तूफान को आंधी कहते हैं , जबकि समुद्र से उठने वाले तूफान को चक्रवात कहते हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Monika
Published on: 21 May 2021 8:21 PM IST
how cyclones are formed
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चक्रवाती तूफान (सांकेतिक फोटो) सौ. से सोशल मीडिया)

Cyclone in India: जब पूरा भारत कोरोना वायरस (coronavirus) की दूसरी लहर से लड़ रहा है वहीं 'ताउते' (Tauktae) नाम के समुद्री तूफान ने समुद्री तटों को एक बार फिर से बर्बाद करने का निश्चय कर लिया है। अरब सागर से उठने वाले 'ताऊते' तूफान ने सबसे ज्यादा गुजरात में तबाही मचाई है। लगातार बारिश होने की वजह से वहां बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। पिछले 120 सालों से भारत में समुद्री चक्रवात के तूफानों की संख्या बढ़ती जा रही है । भारत के मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवाती तूफान मई और जून में अधिक उत्पन्न हो रहे हैं। हालांकि अरब सागर से उठने वाले चक्रवती तूफानों की विनाशक शक्ति कम होती है जबकि बंगाल की खाड़ी की विनाशक शक्ति अधिक होती हैं। लेकिन इस बार इसकी विनाश की तीव्रता अनुमानित आंकड़ों से भी ज्यादा प्रतीत हो रही है। तो चलिए जानते हैं क्या होते हैं तूफान? और कितने तरह के होते हैं और यह भारत में क्यों आते हैं?

तूफान क्या है

जैसा कि हम जानते हैं, कि हमारी पृथ्वी वायु मंडल की एक पतली चादर से घिरी हुई है, वायु मंडल में जब हवा सामान्य से अधिक गतिमान हो जाती है, तो यह तूफान या आंधी का रूप ले लेती है। सभी तूफान एक जैसे नहीं होते, बल्कि यह तूफान छोटे और बड़े आकार में भी आ सकते हैं। छोटे तूफान भी कई किलोमीटर के क्षेत्रों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। यह तूफान सबसे ज्यादा मैदानी इलाकों, समुद्री इलाकों और रेगिस्तान जैसे शुष्क इलाकों को प्रभावित करते हैं।

तूफान कितने प्रकार के होते हैं

मैदानी इलाकों में आने वाले तूफान को आंधी कहते हैं जबकि समुद्र से उठने वाले तूफान को चक्रवात कहते हैं। इसके सा ही, रेगिस्तान से शुष्क क्षेत्रों से उठने वाली हवा को रेतीली तूफान के नाम से जाना जाता है। मैदानी इलाकों में तापमान बढ़ने के कारण हवा का दबाव कम हो जाता है। हवा के दबाव और तापमान में विपरीत संबंध होता है जहां तापमान बढ़ने के साथ हवा का विस्तार होता है और निम्न वायु दाब स्थापित करता है। जबकि निम्न तापमान वाली क्षेत्रों में उच्च वायु दाब स्थापित होता है जिसकी वजह से वायु सघन और भारी हो जाती है।

हवा और दाब में संबंध

जैसा कि हमें पता है, कि वायु में भार होता है, जिसके कारण वायु मंडल पृथ्वी पर दबाव बनाता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हवा का दाब ऊंचाई के साथ कम हो जाता है और ऊंचाई में कमी होने के साथ हवा के दबाव में अधिकता आ जाती हैं।

जब कि जल वाष्प की मात्रा हवा में बढ़ने के कारण, हवा हल्की हो जाती है और हवा का दबाव कम कर देती हैं। और वहीं हवा में जल वाष्प की मात्रा कम होने से हवा का दाब बढ़ जाता है।

तूफान (सांकेतिक फोटो ) सौ. से सोशल मीडिया )

चक्रवाती तूफान

जैसा कि हम जानते हैं, कि पृथ्वी तल पर स्थित जल , वाष्प के रूप में वायु मंडल में संघनित होकर बादलों का रूप ले लेती है और जब यह बूंदे वर्षा के रूप में पुनः धरती मे गिरती हैं तो उसके साथ निकलने वाली ऊष्मा आस पास की हवा को गर्म कर देती है। जिससे कि हवा का दाब कम हो जाता है। इस प्रकार कई पुनरावृत्ति होने पर निम्न दाब का ऐसा क्षेत्र का निर्माण होता है जिसके चारों ओर उच्च वेग से चलने वाली वायु की कई परतें निम्न वायु दाब के चारों ओर कुंडली के रूप में घूमने लगती हैं। इस प्रकार की मौसमी क्रिया को चक्रवात कहते हैं।

चक्रवात दो प्रकार के होते हैं।

1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात(tropical cyclone)

• यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक तीव्रता से आते हैं, का व्यास 50 से 1000 मील तक का होता है

• यह बहुत अधिक वर्षा करते हैं।

• इनका वेग20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा होता है।

• इनको विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नाम से पुकारा जाता है, जैसे वेस्टइंडीज में hurricane, फिलीपींस , जापान और चीन सागर में typhoon, अमेरिका में टॉरनेडोऔर ऑस्ट्रेलिया में Willy williesके नाम से जाना जाता है।

2. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात(temperate cyclone)

• यह निम्न वायुदाब के क्षेत्र का निर्माण करें 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा के वेग से हिमपात और वर्षा करते हैं।

• यह चक्रवात मध्य अक्षांश के क्षेत्रों में निर्मित होते हैं जोकि दक्षिणी गोलार्ध में पूरे वर्ष उत्तरी गोलार्ध में केवल शीत ऋतु में उत्पन्न होते हैं।

चक्रवात कितना विनाशकारी

चक्रवात के तापमान और आद्रता को वायु के वेग और वायु की दिशा से निर्धारित किया जा सकता है। चक्रवात हमेशा विनाशकारी ही होता है। ज्यादातर चक्रवात समुद्री तट इलाकों को प्रभावित करते हैं जब कि चक्रवात की तेज हवाएं समुद्र तट की लहरों को समुद्र के तटीय इलाकों की ओर धकेलती है तो चक्रवात के केंद्र में उत्पन्न निम्न दबाव के कारण 12 से 13 मीटर ऊंची भयावह दीवार का रूप ले लेती हैं। जिसके आगे किसी का टिक पाना मुश्किल ही होता है। और तूफान की यह तेज हवाएं समुद्र के जल को तटीय क्षेत्रों के कम ऊंचाई वाले स्थान में ढकेलती है। और यह चक्रवात जान और संपत्ति के अलावा मृदा की उर्वरा शक्ति को भी कम कर देती है। इसके साथ ही संचार व्यवस्थाएं, सड़कें, जहाज आदि की सेवाएं पूरी तरह से क्षतिग्रस्त और बाधित हो जातीहै।

साइक्लोन

वह चक्रवर्ती तूफान जो कि पश्चिमी प्रशांत महासागर भारत के निकट अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के आस-पास उठते हैं, उन्हें साइक्लोन कहा जाता है। साइक्लोन अक्सर उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं जिसमें हवा का वेग 140 किलोमीटर प्रति घंटा होता है। यहां पानी और हवा के वेग से बनने वाले वृत्तीय तूफान हैं। जो कि गतिशील और शक्तिशाली होते हैं। जिसके केंद्र में कम वायु दाब और बाहर उच्च वायु दाब होता है। जिसके कारण बाहर के उच्च वायुदाब में जल और वायु केंद्र की तरफ बने कम वायु दाब में आने का प्रयत्न करते हैं। जिसके फलस्वरूप घूमती हुई आकृति बन जाती है।

यह बवंडर अंग्रेजी 'v' के आकार का होता हैं। यह चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुई की नोक के उल्टी दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई की समान दिशा में घूमते हैं। भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है इसलिए चक्रवात की दिशा घड़ी की सुई की उलटी दिशा में होती है।

आंधी (सांकेतिक फोटो) सौ.से सोशल मीडिया

भारत को प्रभावित करने वाले चक्रवात

• 1999 उड़ीसा में 300 किलोमीटर प्रति घंटा से आने वाला सबसे भयंकर तूफान था। जिसमें वायुदाब 912mbar तक पहुंच गया था। जिसके कारण हजारों लोग बेघर और मृत्यु को प्राप्त हुए थे।

• 2010 में आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के तट पर लैला नाम का समुद्री चक्रवात तूफान आया। जिसका नाम पाकिस्तान के मौसम विभाग द्वारा रखा गया था।

• दिसंबर सन 2011 में तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के तट पर ठाणे नाम का चक्रवर्ती तूफान आया था।

• अक्टूबर सन 2012 के अंतिम सप्ताह में तमिलनाडु नाम का चक्रवर्ती तूफान आया।

टायफून

• समुद्र के गर्म क्षेत्र से उठने वाले निम्न दाब के तूफान को टायफून कहते हैं। जिसकी न्यूनतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटा अधिकतम 320किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। यह तूफान प्राय:पश्चिमी प्रशांत महासागर से उठते हैं।

• एशिया में यह तूफान जून से नवंबर के बीच में आते हैं, लेकिन अगस्त से सितंबर के बीच में इनके आने का सबसे बड़ा खतरा बना रहता है। यह तूफान 900 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल को प्रभावित कर सकता हैं।

हरिकेन

• यह तूफान अधिकतर अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत महासागर से उत्पन्न होते हैं।

• यह तूफान अमेरिका की ओर 90 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर190 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ते हैं। इनको उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।

• इस तूफान के उत्पन्न होने का प्रमुख कारणगर्म और नमी युक्त वायु होती है। हरिकेनके आने का समय 1 जून से 30 दिसंबर तकनिश्चित किया जाता है जिससे कैरेबियाई सागर में हरिकेन सीजन के नाम से जाना जाता है।

टॉरनेडो

• टोरनेडो चक्रवात तूफान कम क्षेत्रों को प्रभावित करता है। क्योंकि यह स्थलीय क्षेत्रों में आता है। यह फनल के आकार का होता है।

• जिसे अमेरिका की साधारण बोलचाल भाषा में twister कहा जाता है।

• इसमें हवा की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसके केंद्र में निम्न वायुदाब होने के कारण, इसके आसपास से गुजरने वाली इमारत संपर्क में आकर ध्वस्त हो जाती है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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