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Diwali 2021: इस दिवाली पर लोकल के लिए वोकल हो आप बन सकते हैं उम्मीद की लौ

Diwali 2021: भारत हर साल दीवाली सीजन के दौरान करीब एक हजार करोड़ रुपये की लाइट्स और 3500 करोड़ मूल्य के गिफ्ट आइटम आयात करता है। इन सामानों में से 80 फीसदी बिक्री दीवाली में हो जाती है। अखिल भारतीय ट्रेडर्स महासंघ के अनुसार, भारतीय बाजार से आर्डर न मिलने के कारण इस दीवाली चीनी निर्यातकों को 50 हजार करोड़ रूपये का नुकसान होगा।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Shreya
Published on: 2 Nov 2021 4:28 AM GMT
Diwali 2021: इस दिवाली पर लोकल के लिए वोकल हो आप बन सकते हैं उम्मीद की लौ
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दिवाली (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Diwali 2021: इस परमाणु युग में किसी देश से कोई देश जल, थल और नभ में युद्ध करेगा यह कल्पना नहीं की जानी चाहिए। वैश्वीकरण के बाद देशों की हैसियत मापने का पैमाना केवल सेना नहीं रह गयी है। अब किसी देश के पास कितना अकूत पैसा है, उसके अर्थव्यवस्था की गति क्या है? यह भी एक बड़ा पैमाना है किसी देश की हैसियत को गेज करने के लिए। ऐसे में किसी देश के सामानों का बहिष्कार उससे लड़ने की सबसे नायाब तरकीब है। यह तरकीब महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने भी स्वतंत्रता आंदोलन (Swatantrata Andolan) के दौरान आज़मायी थी। विदेशी वस्रों की होली जलाकर उन्होंने ब्रितानिया हुकूमत को चेता दिया था। आज जब हमारे सामने तन कर गाहे ब गाहें चीन खड़ा हो जाता है तब हम सब को भी इसी रास्ते का अनुसरण करना चाहिए।

इस दीवाली बाजार में चीनी आइटम्स (Chinese Products) बहुत कम ख़रीदने चाहिए। शायद यह भनक भारतीय आयातकों (Indian Importers) को लग गयी है। इसकी वजह से ही है भारतीय आयातकों ने चीन से सामान मंगवाए ही नहीं हैं। वजह कई हो सकती हैं। लेकिन अब पिछले कई त्योहारों से चाइनीज सामानों का इम्पोर्ट घटता गया है। यह आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। क्योंकि चाइनीज सामानों का वैक्यूम लोकल उद्योगों द्वारा बना सामान ही भर सकते हैं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

चीन को होगा 50 हजार करोड़ रूपये का नुकसान

भारत हर साल दीवाली सीजन के दौरान करीब एक हजार करोड़ रुपये की लाइट्स और 3500 करोड़ मूल्य के गिफ्ट आइटम आयात करता है। इन सामानों में से 80 फीसदी बिक्री दीवाली में हो जाती है। अखिल भारतीय ट्रेडर्स महासंघ (Akhil Bharatiya Traders Mahasangh) के अनुसार, भारतीय बाजार से आर्डर न मिलने के कारण इस दीवाली चीनी निर्यातकों को 50 हजार करोड़ रूपये का नुकसान होगा। ट्रेडर्स महासंघ का कहना है कि पिछले साल ऐसे ही त्योहारी सीजन में भी चीनी सामानों का बहिष्कार किया गया था, जिससे चीन को करीब 40,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। पिछले साल की तरह ही इस वर्ष भी चीन के सामानों के बहिष्कार का आह्वान हुआ है।

महासंघ के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने कहा है कि भारतीय व्यापारियों या आयातकों ने दिवाली के सामानों और पटाखों सहित अन्य वस्तुओं का कोई ऑर्डर चीन को दिया ही नहीं है। रक्षाबंधन के मौके पर भी चीन को करीब 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। इसके बाद, गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के मौके पर चीन को 500 करोड़ रुपये का झटका लगा था।'

दुकान पर खरीदारी करती महिलाएं (फोटो- न्यूजट्रैक)

देशभर के ग्राहक चीन के सामानों की नहीं करेंगे खरीदारी

ट्रेडर्स महासंघ ने हाल ही में देश के बड़े बाजारों वाले 20 शहरों में एक सर्वे किया था, जिसके अनुसार, अनुमानतः इस दिवाली पर देश भर के ग्राहक सामानों की खरीदारी पर करीब 2 लाख करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं। लेकिन चीनी सामानों की खरीदारी पर कोई खर्च नहीं करेंगे।

ट्रेडर्स महासंघ ने इस साल जुलाई में "भारतीय सामान-हमारा अभिमान" नारे के साथ चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का अभियान शुरू किया था । जिसमें दिसंबर 2021 तक चीन में निर्मित वस्तुओं के भारत में आयात को एक लाख करोड़ रुपये कम करने का लक्ष्य तय किया गया है।

- बीते 20 साल में भारत में चीन से आयात 3500 फीसदी बढ़ा है। 2001 में चीनी वस्तुओं का भारत में आयात केवल 2 बिलियन डॉलर का था, जो अब बढ़कर 70 बिलियन डॉलर हो गया है । जिसका मतलब यह है कि केवल 20 साल में चीन से आयात में 3500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

चीन से भारत में मौटे तौर पर चार प्रकार की वस्तुएं आयात होती हैं, जिनमें तैयार माल यानी फिनिश्ड गुड्स, कच्चा माल अर्थात रॉ मैटेरियल, स्पेयर पार्ट्स और तकनीकी उत्पाद शामिल हैं। साल 2020 में चीन और भारत का व्यापार कुल 87.6 अरब डॉलर था। भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि भारत ने 2020 में चीन से 58.7 अरब डॉलर मूल्य का सामान आयात किया। यानी कुल व्यापार में 67 फीसदी हिस्सा भारत की ओर से आयात का रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अप्रैल महीने में एक बयान जारी कर कहा था कि इस साल की पहली तिमाही में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार सालाना आधार पर 42.8 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर रहा।

1996-97 में भारत के कुल आयात में चीन का हिस्सा महज 1.93 फीसदी ही रहा था। हालांकि, साल 2000-01 के बाद से यह लगातार बढ़ता गया। 2004-05 की शुरुआत में दुनिया भर से भारत जितना आयात करता था, उसका 6.36 फीसदी हिस्सा चीन से आता था। इसके बाद 2006-07 में यह आंकड़ा 9.40 फीसदी और 2012-13 में यह 10.64 फीसदी तक पहुंच गया था। 2014-15 में भारत के आयात का 13.48 फीसदी हिस्सा चीन का रहा। 2016-17 में यह 15.94 फीसदी, 2017-18 में 16.40 फीसदी रहा। डोकलाम विवाद के बाद भारत ने चीन से व्यापार कम करने की कोशिश की और 2018-19 में कुल आयात में चीन का हिस्सा 13.68 फ़ीसदी तक गिर गया। 2019-20 में यह 13.73 फीसदी तक आ गया था। 2020-21 में भारत और चीन के बीच तनाव बहुत बढ़ गया । लेकिन बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ा। भारत में चीन की ओर से आयात अब तक के सबसे ऊंचे आंकड़े 16.92 फीसदी तक पहुंच चुका है।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

खुद बने वोकल फॉर लोकल

ऐसे में हम सरकारों पर यह काम नहीं छोड़ सकते हैं कि वह चीन के अर्थव्यवस्था की कमर तोड़े। क्योंकि यह किसी भी सरकार से संभव नहीं है। कोई सरकार नहीं कर सकती। सत्ता का एक ही चरित्र होता है। वह किसी भी दल की सरकार क्यों न हो। यह काम हम सबको मिलकर करना होगा। इसलिए हमें आपको वोकल फ़ॉर लोकल होना होगा। यह न केवल चीन को सबक़ देगा बल्कि हमारे आस-पास के लोगों की दिवाली को जगमगाने का अवसर भी देगा। जब तक हमारे आस पास के लोगों के घरों में दीवाली नहीं मनेगी तब तक हमारे घर के रोशन होने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

क्योंकि हम पसुधैव कुटुंबकम के वाहक है। हम दीपावली पर गाते और गुनगुनाते हैं- "जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जायें।" अपने आसपास के लोगों की दीवाली रौशन करने के लिए आपको बस छोटा सा सेक्रिफाइज करना होगा। सस्ते सामान का और अच्छी पैकिंग का मोह त्यागना होगा। यदि यह करने में आप सफल हो गये, आप वोकल फ़ॉर लोकल के रास्ते पर चल निकले तो आप किसी पूँजीपति के लाभ बढ़ाने का हिस्सा न बनकर किसी आस पास, अडोसी पड़ोसी की झोपड़ी में उम्मीद जगाने का काम कराते दिख सकते हैं। दीपावली मंगलमय हो।

( लेखक पत्रकार हैं।)

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