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आतंकियों के हाथ में सबसे खतरनाक हथियार है ड्रोन
‘आईएस’ यानी इस्लामिक स्टेट 2015 से ही ड्रोन का इस्तेमाल करता चला आ रहा है और उसके पास तरह तरह के ड्रोन का जखीरा बताया जाता है।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में सैन्य ठिकाने पर ड्रोन से हमला एक बहुत बड़े खतरे की आहट है। ये हमला इस्लामिक स्टेट यानी आईएस, हमास और हिज़्बुल्लाह समेत तमाम आतंकी गुटों की रणनीति की तर्ज पर है क्योंकि इन गुटों ने बीते दस साल से ड्रोन के इस्तेमाल को बड़ा हथियार बनाया हुआ है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आतंकवादी दुनिया में कहीं पर भी 9/11 जैसी कोई बड़ी वारदात कमर्शियल ड्रोन के जरिये कर सकते हैं। इसकी वजह ये है कि ऐसे खतरे का पूर्वानुमान लगाने और उसके अनुरूप रियेक्ट करने के लिए किसी भी देश के पास बहुत कम सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर है।कमर्शियल इस्तेमाल वाले ड्रोन की इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है और इसने अनजाने में आतंकियों को एक आसान, सस्ता और प्रभावी हथियार दे दिया है।
ड्रोन रिमोट कन्ट्रोल से चलाये जाने वाला खतरनाक हथियार
ड्रोन रिमोट कन्ट्रोल से चलाए जाते हैं सो उनको रोकने का सबसे आसान उपाय रेडियो फ्रीक्वेंसी को ब्लॉक या जाम करना हो सकता है। लेकिन इसमें व्यवहारिक समस्या है कि हर जगह ऐसा करना मुमकिन नहीं है। इसके अलावा अगर सभी फ्रीक्वेंसी ब्लॉक कर देंगे तो सुरक्षा और अन्य कामों में लगे ड्रोन भी काम शायद न कर पाएं। ये बड़ी समस्या है।
'आईएस' यानी इस्लामिक स्टेट 2015 से ही ड्रोन का इस्तेमाल करता चला आ रहा है और उसके पास तरह तरह के ड्रोन का जखीरा बताया जाता है। इस्लामिक स्टेट ने सबसे पहले ईराक में युद्ध के मैदान में ड्रोन का इस्तेमाल सर्विलांस के लिए किया था लेकिन बाद में वे इसके जरिये हमले भी करने लगा। इस्लामिक स्टेट के सदस्य कंज्यूमर ग्रेड के ड्रोन को बम या केमिकल ढोने के काम के योग्य बनाए में एक्सपर्ट हैं। ऐसे ड्रोन अगर भीड़भाड़ वाली जगह पर गिरा दिए जाएँ तो भारी तबाही हो सकती है। ईराक में इस्लामिक स्टेट ने ड्रोन से कई बम हमले किये हैं जिनमें एक दर्जन इराकी सैनिक मारे जा चुके हैं।
विद्रोहियों को विदेशों से ड्रोन मिलते हैं
बात सिर्फ आईएस तक सीमित नहीं है। अब तो सीरिया में आईएस के खिलाफ हेज़बोल्लाह ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। यमन में हूथी विद्रोही लगातार ड्रोन से सऊदी ठिकानों पर हमला करते रहे हैं। समझा जाता है कि विद्रोहियों को विदेशों से ड्रोन मिलते हैं।
इजरायल, अमेरिका, ब्रिटेन और तमाम अन्य देशों की सरकारें ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर चिंता में हैं और अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने 70 करोड़ डालर से एक प्रोग्राम भी लांच किया है जिसमें एंटी-ड्रोन स्टार्टअप्स को ड्रोन हमले से निपटने की तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस ने कहा है कि वह व्हाइट हाउस के चारों ओर ड्रोन शील्ड सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा है।
बड़े आतंकी हमले
1994 से 2018 के बीच सबसे ज्यादा 14 सुनियोजित ड्रोन आतंकी हमले हुए हैं। इन हमलों में अलग अलग तरह के ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।
-1994 में जापान में आउम शिनरिक्यो आतंकी गुट ने जानलेवा सरीन गैस फैलाने के लिए रिमोट कण्ट्रोल वाले हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करने की कोशिश की लेकिन इसका टेस्ट करते समय हेलीकाप्टर क्रैश कर गया और पूरे षड्यंत्र का भंडाफोड़ हो गया।
-2013 में अल कायदा ने पाकिस्तान में कई ड्रोन से ताबड़तोड़ हमले करने का षड्यंत्र रचा था लेकिन सुराग मिलने पर पुलिस ने ये योजना फेल कर दी।
-2014 में इस्लामिक स्टेट ने ईराक और सीरिया में बाजार में मिलने वाले हलके ड्रोन के अलावा खुद बनाए हुए ड्रोन का इस्तेमाल सैन्य कार्रवाईयों में किया था।
-अगस्त 2018 में विस्फोटकों के लगे और जीपीएस से लैस दो ड्रोन का इस्तेमाल करके वेनेज़ुएला के प्रेसिडेंट मादुरो की ह्त्या की असफल कोशिश की गयी।
-जनवरी 2018 में सीरिया में रूस के दो सैन्य ठिकानों पर 13 ड्रोन से हमला किया गया। ये ड्रोन घर में बनाये गए थे।
- 2004 में लेबनानी आतंकी गुट हिज़्बुल्लाह ने ईरान में बने ड्रोन 'मिरसाद-1' से इजरायल की जासूसी की थी। 20 मिनट तक ये ड्रोन इजरायल के ऊपर उड़ता रहा और वापस चला गया।
- बताया जाता है कि फलस्तीनी आतंकी ग्रुप हमास के पास भी ड्रोन का जखीरा था जिसे इजरायल ने 2012 में हवाई हमले से नष्ट कर दिया।
- अक्टूबर 2020 में इंडोनेशिया में सुरक्षाबलों ने आतंकी गुट जेमा इस्लामिया के पास ड्रोन जखीरे को पकड़ा था।