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Drone Attack: सेना के लिए बड़ी चुनौती बना ड्रोन, सैन्य प्रतिष्ठानों की फुलप्रूफ सुरक्षा की तैयारी

Drone Attack: वायुसेना एयरबेस स्टेशन पर ड्रोन से हुए इस बम हमले को भविष्य के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इस हमले के बाद अब वायुसेना समेत तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नए सिरे से ऑडिट कराने की योजना है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 28 Jun 2021 11:30 AM IST
Drone Attack: सेना के लिए बड़ी चुनौती बना ड्रोन, सैन्य प्रतिष्ठानों की फुलप्रूफ सुरक्षा की तैयारी
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Drone Attack: जम्मू के सतवारी इलाके में एयरफोर्स स्टेशन में रविवार तड़के हुए बम धमाकों ने सुरक्षा एजेंसियों को नई रणनीति पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। धमाकों के बाद पूरे इलाके में अलर्ट जारी कर दिया गया है। ड्रोन के जरिए किए गए इस विस्फोट में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने की संभावना जताई जा रही है।

वायुसेना एयरबेस स्टेशन पर ड्रोन से हुए इस बम हमले को भविष्य के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इस हमले के बाद अब वायुसेना समेत तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नए सिरे से ऑडिट कराने की योजना है।

देश में वायुसेना स्टेशन पर पहली बार ड्रोन हमले को सुरक्षा एजेंसियां बड़ी चुनौती मान रही हैं और यही कारण है कि सैन्य प्रतिष्ठानों की फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की तैयारी की जा रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि भविष्य में ड्रोन हमलों को रोकने के लिए तकनीकी पर मंत्रणा भी शुरू की जा चुकी है।

ड्रोन का ही आईईडी के रूप में इस्तेमाल

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने एयरफोर्स इलाके में हुए इन धमाकों को आतंकी हमला बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस और वायुसेना के साथ ही अन्य एजेंसियां भी इस हमले की जांच पड़ताल में जुट गई हैं। इस मामले में अभी तक दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। इस हमले के बाद अंबाला, अवंतीपुर और पठानकोट समेत अन्य एयरबेस पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इस हमले में आतंकी एंगिल की जांच एनएसजी और अन्य एजेंसियों को सौंपी गई है।

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी का कहना है कि जम्मू पुलिस ने करीब 6 किलोग्राम वजन का एक अन्य आईईडी बरामद किया है। यह बरामदगी लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटर से की गई है। उन्होंने कहा कि इसे किसी भीड़भाड़ वाले इलाके में लगाया जाना था ताकि धमाके के बाद ज्यादा से ज्यादा धन-जन की हानि हो सके।

उन्होंने कहा कि इस हमले के दौरान ड्रोन को ही आईईडी के तौर पर इस्तेमाल किया गया क्योंकि घटनास्थल पर ड्रोन के परखच्चे उड़े हुए कई हिस्से मिले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ड्रोन को ही बम के रूप में इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि हमले को देखते हुए यह स्पष्ट है कि इसकी साजिश सीमा पार रची गई, लेकिन धमाके को अंजाम देने वाले सीमा के अंदर ही मौजूद हैं।

सेना को नए उपकरणों से लैस करने की तैयारी

इस बाबत सरकारी सूत्रों का कहना है कि जम्मू में वायुसेना के टेक्निकल एरिया में ड्रोन के जरिए हुआ यह हमला सैन्य सुरक्षा के लिए नया खतरा माना जा रहा है। सैन्य प्रतिष्ठानों के लिए कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन को इंटरसेप्ट करना आसान काम नहीं है और इसीलिए सुरक्षा एजेंसियों ने इस तरह के बम हमलों को नाकाम बनाने के लिए रणनीति बनाने का काम शुरू कर दिया है।

ऐसे हमलों को नाकाम करने के लिए अभी तकनीक और उपकरण दोनों की कमी है और इसलिए सुरक्षा एजेंसियों की ओर से इस खतरे से निपटने के लिए तुरंत ही काम शुरू कर दिया गया है। सैन्य प्रतिष्ठानों को ड्रोन हमलों से बचाने के लिए जल्द से जल्द उपकरणों और तकनीक से लैस करने की भी तैयारी की जा रही है।

अब नई तकनीक से आतंकी हमलों की साजिश

माना जा रहा है कि आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी एजेंसियों की ओर से ड्रोन और दूसरे आधुनिक उपकरणों के जरिए सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके साथ ही आतंकी संगठनों को आधुनिक उपकरण और तकनीक भी पाकिस्तानी एजेंसियों की ओर से ही मुहैया कराई जा रही है। जम्मू में किए गए हमले के पीछे भी आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी एजेंसियों की ओर से मदद मिलने की आशंका जताई जा रही है।

हाल के दिनों में सेना की ओर से किए गए उपायों के कारण आतंकियों को सीमा पार कराकर घाटी में भेजने का काम आतंकी संगठनों के लिए काफी मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि अब नई तकनीक के सहारे आतंकी हमलों को अंजाम देने की साजिश रची जा रही है। जम्मू में किया गया हमला ऐसी ही साजिश का हिस्सा माना जा रहा है।

दूसरे सैन्य प्रतिष्ठान भी बन सकते हैं निशाना

आतंकियों की ओर से रची गई बड़ी साजिश के बावजूद जम्मू में किए गए हमले में कोई ज्यादा नुकसान नहीं हो सका मगर इस हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह चौकन्ना हो गई हैं। माना जा रहा है कि अन्य सैन्य प्रतिष्ठानों को भी इसी तरीके से निशाना बनाने की साजिश रची जा सकती है। यही कारण है कि ड्रोन हमले की चुनौतियों से निपटने के लिए कवायद तेज कर दी गई है।

पूर्वी लद्दाख के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने इस बाबत वायुसेना के उप प्रमुख एचएस अरोड़ा से बातचीत भी की है। वायुसेना की ओर से हालात का जायजा लेने के लिए एयर मार्शल विक्रम सिंह को मौके पर भेजा गया है।

वायुसेना प्रमुख भी हुए सक्रिय

इस समय बांग्लादेश के दौरे पर गए हुए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने घटना में मामूली रूप से घायल हुए भारतीय वायुसेना के दो जवानों से फोन पर बातचीत भी की। वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि भदौरिया ने इन जवानों से उनका हालचाल पूछा। वायुसेना के अफसरों का कहना है कि दोनों जवानों को अभी निगरानी में रखा गया है और वे काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं।



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Shashi kant gautam

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