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पेटेंट हट भी गया तब भी महीनों लग जाएंगे वैक्सीन मिलने में

फाइजर, मोडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन से पेटेंट हट गया तब भी लोगों को राहत मिलने में महीनों या साल भर तक लग सकता है

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Ashiki
Published on: 7 May 2021 5:32 PM IST (Updated on: 7 May 2021 6:48 PM IST)
corona vaccine
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File Photo

लखनऊ: फाइजर, मोडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन से पेटेंट हट भी गया तब भी लोगों को राहत मिलने में महीनों या साल भर तक लग सकता है। भारत को तो कोरोना के घातक शिकंजे से निकलने के लिए 2 अरब खुराकें तत्काल चाहिये। ये खुराकें कब और कहां से मिलेंगी, ये पता नहीं है।

भारत और साउथ अफ्रीका ने वैक्सीनों से पेटेंट और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) हटाने की मुहिम चला रखी है जिसे 120 गरीब देशों से समर्थन मिला है।

अमेरिका की ट्रेड प्रतिनिधि कैथरीन टाई का कहना है कि अभी लिखापढ़ी में कोई बात ही नहीं हुई है। अब वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन में अमेरिका दस्तावेजी प्रक्रिया शुरू करेगा। लेकिन चूंकि इस मसले पर आम सहमति बनानी होगी इसलिए किसी नतीजे पर पहुंचने में लंबा समय लगेगा। वैसे भी जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने पेटेंट और आईपीआर में किसी भी ढील देने का कड़ा विरोध किया है। बिल गेट्स और फार्मा कम्पनियों को भी इस पर आपत्ति है।

कम्पनियों के कहना है कि अगर वैक्सीन का फॉर्मूला साझा कर भी लिया गया तब भी भारत जैसे विकासशील देशों के पास कच्चे माल की कमी है, निर्माण क्षमता नहीं है और उत्पादन बढ़ाने के जरूरी संसाधन नहीं है। ऐसे में वे वैक्सीनें बनाएंगे कैसे?

दो अरब खुराकों की जरूरत

भारत को तो अपनी आबादी सुरक्षित रखने के लिए 2 अरब खुराकें चाहिए। साथ ही शर्त ये है कि वैक्सीन म्यूटेट कर गए वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी हो। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह नए नए वेरिएंट आ रहे हैं, ऐसे में वैक्सीन की तीसरी डोज़ या सालाना डोज़ तक लेने की जरूरत पड़ सकती है। अब इतनी बड़ी मात्रा में खुराकें मिलेंगी कहां से, ये परेशान करने वाली बात है।

अभी तक की रिपोर्ट्स बताती हैं कि फाइजर और मोडर्ना जिस तरह की एमआरएनए वैक्सीनें बना रहे हैं, वो नए वेरिएंट के खिलाफ भी असरदार हैं।

अमेरिका ने इन्हीं दो वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है और अब तक 55.6 फीसदी आबादी को 15 करोड़ टीके लग चुके हैं। इसकी बदौलत अमेरिका में अब धीरे धीरे जीवन सामान्य होता जा रहा है।

Ashiki

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