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Expressways In India: 2017 तक थे सिर्फ 200 किमी एक्सप्रेस-वे, 2022 तक 18,637 किलोमीटर और भी बन जायेंगे
Expressways In India: पूर्वांचल एक्सप्रेस वे ( द्रुतमार्ग) (Purvanchal Expresswa) का मंगलवार यानी 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकार्पण करेंगे। आइए जानते है एक्सप्रेसवे क्या होता है और भारत का पहला एक्सप्रेस-वे कौन-सा है?
Expressways In India: उत्तर प्रदेश की सियासत में शायद पहला अवसर हो कि विकास के सवाल पर दो दल आपने सामने हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे ( द्रुतमार्ग) का मंगलवार यानी 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लोकार्पण (Purvanchal Expressway Inauguration) करेंगे। पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इस उपलब्धि को अपना बताते नहीं थक रहे हैं। जबकि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार भी इस पर कम इतराती नज़र नहीं आ रही है। इस मेगा प्रोजेक्ट पर अपनी पीठ थपथपाना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आँखों में चढ़ जाना किसे नहीं सुहायेगा। वह भी एक नहीं कई एक्सप्रेस वे का निर्माण करके।
उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवेज (Uttar Pradesh Expressway) की शुरुआत यमुना एक्सप्रेसवे के साथ 2012 में हुई। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे 340 किलोमीटर का है। इसके अलावा 296 किलोमीटर का बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand expressway), 92 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे (Gorakhpur Link expressway), 594 किलोमीटर का संभावित गंगा एक्सप्रेसवे (Uttar Pradesh ganga expressway), 63 किलोमीटर लखनऊ-कानपुर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे (Lucknow Kanpur elevated expressway) निर्माणाधीन हैं। इन सबके पूरा हो जाने के बाद, यूपी में कुल 1,788 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का नेटवर्क होगा।
एक्सप्रेसवे क्या होता है (Expressway kya hota hai) ?
जब सूबे में एक्सप्रेस वे को लेकर सियासत गर्म हो तब यह जानना बेहद ज़रूरी है कि एक्सप्रेस-वे यानी द्रुत मार्ग अथवा द्रुतगामी मार्ग क्या है (Expressway kya hai) ? सड़क परिवहन सम्बन्धी विएना कन्वेंशन के तहत एक्सप्रेस-वे पर पैदल चलना और पार्किंग प्रतिबंधित होती है। कोई ट्रैफिक सिग्नल नहीं होता है। क्रासिंग नहीं होती हैं। सड़क से किसी भी बिल्डिंग या प्रॉपर्टी तक जाने का सीधा रास्ता नहीं होता है। अन्य सड़कों, पैदल यात्रियों, ट्रेनों के लिए अंडर पास या ओवर पास होते हैं। एक्सप्रेस-वे 'एक्सेस कण्ट्रोल' होती हैं यानी इन सड़कों पर आने और इनसे बाहर निकलने के लिए एक नियंत्रित व्यवस्था होती है। एक्सप्रेस-वे चार या इससे ज्यादा लेन के होते हैं, इसकी बनावट ऐसी होती है कि वाहन तेज रफ़्तार से चल सकें, किसी भी तरह का कोई व्यवधान न हो। एक्सप्रेस-वे में आने और निकलने के लिए रैंप या स्लिप रोड होती हैं। एक्सप्रेस-वे में ट्रैफिक पूरी तरह नियंत्रित रहता है ताकि तेज रफ़्तार ट्रैफिक बिना किसी व्यवधान के चलता रहे। एक्सप्रेस-वे को फ्री-वे, मोटर-वे तथा थ्रू-वे भी कहा जाता है।
भारत का पहला एक्सप्रेस-वे कौन-सा है (Bharat Ka Pahla Expressway Kaun Sa Hai)?
भारत का पहला एक्सप्रेस-वे जनवरी 2001 में दिल्ली-नोएडा के बीच शुरू हुआ था। जिसे दिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाईवे या डीएनडी कहा जाता है। यह आठ लेन का है। इसके बाद मुंबई और पुणे के बीच एक्सप्रेस-वे 2002 में शुरू हुआ, यह 6 लेन का 93 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे है।
भारत में कुछ सड़कें एक्सप्रेस-वे की परिभाषा में नहीं आती हैं । लेकिन फिर भी इनको एक्सप्रेस-वे कहा जाता है। जैसे की – बीजू एक्सप्रेस-वे और रायपुर-बिलासपुर एक्सप्रेस-वे।
भारत में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे अमूमन 12 लेन के डिजाईन किये जाते हैं जिनमें शुरूआती तौर पर 8 लेन का ही निर्माण किया जाता है। भविष्य में विस्तार के लिए चार लेन की जगह छोड़ दी जाती है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे आबादी वाले इलाकों से दूर बनाये जाते हैं ताकि इनके इर्द गिर्द नए इलाके डेवलप हो सकें। ज्यादातर एक्सप्रेस-वे के लिए निवेश केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। सिर्फ उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं, जो एल अलग एक्सप्रेस-वे कारपोरेशन बना कर निर्माण कर रहे हैं।
भारत सरकार के नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 18,637 किलोमीटर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे और बनाने का है। अप्रैल 2021 तक भारत में बीस एक्सप्रेस-वे संचालित थे, जिनकी लम्बाई 1728 किमी थी। 2017 में देश में सिर्फ 200 किमी एक्सप्रेस-वे थे।
सबसे कम एक्सप्रेस-वे
आज बाकी दुनिया की तुलना में भारत में एक्सप्रेस-वे का सबसे कम घनत्व है। जबकि इस मामले में चीन टॉप पर है जहाँ 1,61,000 किमी एक्सप्रेस-वे हैं। इसके बाद अमेरिका में 95,932 किमी एक्सप्रेस-वे हैं, यूरोपियन यूनियन में 84,190 किमी, ब्राज़ील में 11,018 किमी, कनाडा में 17041 किमी, मेक्सिको में 15044 किमी, स्पेन में 16205 किमी, साउथ कोरिया में 4767 किमी एक्सप्रेस-वे हैं।
नेशनल एक्सप्रेस-वे (National Expressway)
सड़क परिवहन मंत्रालय ने अप्रैल, 2021 तक भारत में आठ एक्सप्रेस-वे को राष्ट्रीय एक्सप्रेस-वे घोषित कर रखा था है। इसकी सूची इस प्रकार है :
- एनई-1 : अहमदाबाद-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे – 93 किलोमीटर
- एनई-2 : ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे – 135 किलोमीटर
- एनई-3 : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे – 96 किलोमीटर
- एनई-4 : दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे का वड़ोदरा-मुम्बई सेक्शन – 380 किलोमीटर
- एनई-5 : दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे का दिल्ली-नकोदर-गुरुदासपुर सेक्शन – 398 किलोमीटर
- एनई-5ए : दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे का नकोदर-अमृतसर सेक्शन – 99 किलोमीटर
- एनई-6 : लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे – 74 किलोमीटर
- एनई-7 : बंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेस-वे – 258 किलोमीटर
अन्य एक्सप्रेस-वे
- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे – 302.2 किलोमीटर
- बेलघोरिया एक्सप्रेस-वे (बंगाल) – 16 किलोमीटर – ये एशियन हाईवे का हिस्सा है
- चेन्नई बाईपास – 32 किलोमीटरदिल्ली-फरीदाबाद स्काईवे – 4.4 किलोमीटर
- दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे – 27.7 किलोमीटर – ये स्वर्ण चतुर्भुज योजना का हिस्सा है
- जयपुर-किशनगढ़ एक्सप्रेस-वे – 90 किलोमीटर
- नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे – 24.5 किलोमीटर
- हैदराबाद आउटर रिंग रोड – 158 किलोमीटर
- पीवी नरसिम्हाराव एक्सप्रेस-वे (हैदराबाद इंटरनेशनल एअरपोर्ट से मेहदीपतनम, तेलंगाना) – 11.6 किलोमीटर
- पानीपत एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे – 10 किलोमीटर
- विजयवाडा – हैदराबाद एक्सप्रेस-वे – 291 किलोमीटर
- वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे – 135.6 किलोमीटर
- यमुना एक्सप्रेस-वे – 165.5 किलोमीटर
- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे – 340.8 किलोमीटर
- निर्माणाधीन एक्सप्रेस-वे (Expressway Under Construction In India)
- अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस-वे – 110 किमी
- अम्बाला-नारनौल एक्सप्रेस-वे – 227 किमी
- ऐरोली-कतई नाका एक्सप्रेस-वे – 12.3 किमी
- अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे- 1257 किमी
- अमृतसर रिंग रोड – 98 किमी
- बंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेस-वे – 258 किमी
- बंगलुरु-मैसूर इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर – 111 किमी
- बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे – 296 किमी
- चेन्नई पोर्ट – मदुरावोयल एक्सप्रेस-वे – 19 किमी
- मुंबई कोस्टल रोड - 29.2 किमी
- डीएनडी – केएमपी एक्सप्रेस-वे – 59 किमी
- दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे – 687 किमी
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे – 1350 किमी
- द्वारका एक्सप्रेस-वे – 27.6 किमी
- फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद एक्सप्रेस-वे – 56 किमी
- मीरट-प्रयागराज गंगा एक्सप्रेस-वे – 594 किमी
- ट्रांस हरियाणा एक्सप्रेस-वे – 227 किमी
- गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे – 91.35 किमी
- लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे – 66 किमी
- लोकनायक गंगा पथ, पटना – 39.5 किमी
- लुधियाना एलिवेटेड कॉरिडोर – 13 किमी
- मुम्बई ट्रांस हार्बर लिक – 21.8 किमी
- मुम्बई-नागपुर एक्सप्रेस-वे – 701 किमी
- पठानकोट-अजमेर एक्सप्रेस-वे – 600 किमी
- बंगलुरु पेरिफेरल रिंग रोड - 65.5 किमी
- रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेस-वे – 465 किमी
- सोहाना एलिवेटेड कॉरिडोर – 21.65 किमी
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का रूट (Purvanchal Expressway Route in Hindi)
लखनऊ के चाँद सराय से शुरू ग्रीनफील्ड परियोजना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, आंबेडकर नगर, आजम गढ़, मऊ से होते हुए गाजीपुर में समाप्त होगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (purvanchal expressway map) में 22 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 बड़े पुल, 114 छोटे पुल, 6 टोल प्लाजा, 45 वाहन अंडर पास होंगे। 13 हल्के वाहन अंडर पास, 87 पैदल यात्री अंडर पास और 525 बॉक्स पुलिया का निर्माण किया गया है।
एक्सप्रेस-वे पर युद्धक जेट की लैंडिंग और टेकऑफ से पता चलता है कि सड़क कितनी बेहतरीन क्वालिटी की बनी है क्योंकि इन जेट विमानों के लिए एकदम सपाट और मजबूत स्ट्रिप होनी जरूरी है। इन जेट को उतरने और उड़ने के लिए कम से कम डेढ़ किलोमीटर की सड़क चाहिए।
जगुआर युद्धक जेट की लैंडिंग स्पीड 213 किमी प्रतिघंटा होती है। उसे लैंड करने वक्त 1540 फुट लैंडिंग रन करना होता है। जबकि टेक ऑफ के लिए 1900 फुट का रन होता है। इस जेट का वजन 7 टन होता है। राफेल युद्धक जेट का लैंडिंग रन 1500 फुट का होता है। यदि लैंडिंग की जगह कम है जो टचडाउन करते ही लैंडिंग पैराशूट खोल दिया जाता है जिससे स्पीड घट जाती है।
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