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Mark Zuckerberg: फेसबुक के लिए लगातार बढ़ रही मुश्किलें, जुकरबर्ग के साथ पर बट्टा
अमेरिकी सीनेट की एक कमेटी इन दिनों बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा पर एक सुनवाई कर रही है। इस सुनवाई में फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हौगेन की गवाही हुई है, जिसमें हौगेन ने कंपनी के बारे में कई खुलासे किये हैं।
Mark Zuckerberg: फेसबुक के कर्ताधर्ता मार्क जुकरबर्ग के लिए यह समय काफी मुश्किल भरा चल रहा है। अमेरिकी सीनेट फेसबुक के बारे में जांच कर रही है कि जनवरी में अमेरिकी संसद में भीड़ के हमले में फेसबुक की क्या भूमिका थी। इसके अलावा फेसबुक के खिलाफ फ़ेडरल ट्रेड कमीशन में एंटीट्रस्ट मामला भी चल रहा है। इन सबके बीच 5 अक्टूबर को फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम करीब 6 घंटे तक बंद रहे जिसके चलते कंपनी के शेयर नीचे जा चुके हैं। विश्व प्रख्यात टाइम मैगजीन ने अपने कवर पर मार्क जुकरबर्ग का फोटो और साथ ही "डिलीट फेसबुक" का कैप्शन भी लगा दिया।
अमेरिकी सीनेट की एक कमेटी इन दिनों बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा पर एक सुनवाई कर रही है। इस सुनवाई में फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हौगेन की गवाही हुई है, जिसमें हौगेन ने कंपनी के बारे में कई खुलासे किये हैं। हौगेन ने मार्क जुकरबर्ग पर आरोप लगाया है कि उनकी कम्पनी लोगों की सुरक्षा के बजाये मुनाफे को तरजीह देती है। हौगेन ने बताया कि फेसबुक के प्रोडक्ट किस तरह विदेशी लोकतंत्र के अलावा बच्चों की मानसिक हेल्थ पर खराब प्रभाव डालते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि चीन और ईरान दुश्मनों से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। यह अमेरिकी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। फ्रांसेस हौगेन ने यह भी कहा है कि फेसबुक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल लोग हिंसा फैलाने की प्लानिंग करने में कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए भी कंपनी ने बेहद कम कदम उठाए हैं। उन्होनें यह भी बताया कि फेसबुक द्वारा एक ऐसी सूचना को आमजन से छुपाया गया जिसने दावा किया था कि इंस्टाग्राम की कलन विधि (algorithm) युवाओं के मस्तिष्क पर गलत प्रभाव डाल रही है।
हौगेन ने फेसबुक के बारे में कई खुलासे पहले भी किये हैं, जिनके बारे में वाल स्ट्रीट जर्नल ने कई ख़बरें दी थीं। फ्रांसेस हौगेन फेसबुक कंपनी में बतौर डॉट के तौर पर काम करती थीं। एक इंटरव्यू में फ्रांसेस हौगेन ने कहा था कि जब उन्हें मालूम चला कि फेसबुक के उत्पाद बच्चों के लिए नुकसानदायक हैं, तो उन्होंने तुरंत ही फेसबुक की नौकरी छोड़ दी। हौगेन, एक डेटा विशेषज्ञ हैं, जिनके पास कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री और हार्वर्ड से व्यवसाय में परास्नातक डिग्री है। फेसबुक में काम करने से पहले उन्होंने 15 साल तक उसने गूगल, पिंट्रेस्ट और येल्प सहित टेक कंपनियों में काम किया।
टाइम पत्रिका ने भी घेरा
प्रख्यात टाइम मैगजीन ने भी फेसबुक और मार्क जुकरबर्ग की घेराबंदी की है। पत्रिका ने फेसबुक पर एक बड़ी स्टोरी प्रकाशित की है। अपने कवर पेज पर जुकरबर्ग की फोटो लगा कर लिखा है कि क्या फेसबुक को डिलीट कर देना चाहिए? टाइम मैगजीन ने नए संस्करण के कवर स्टोरी में दावा किया है कि फेसबुक बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है । उसका ध्यान सुरक्षा की बजाय मुनाफा कमाने में है। टाइम की खबर भी फ्रांसेस हौगेन के खुलासों पर आधारित है। इस खबर में फेसबुक की सिविक इंटीग्रिटी टीम के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें कहा गया है कि कैसे सोशल मीडिया कंपनी के फैसलों ने महत्वपूर्ण टीम के कई सदस्यों को तितर-बितर कर दिया। कंपनी में ऐसे लोग गलत सूचना और नफरत के खिलाफ लड़ रहे थे । लेकिन कुछ कर नहीं पाए। फेसबुक ने दिसंबर 2020 में इस टीम को भंग कर दिया, जिसके बाद फ्रांसेस हौगेन ने फेसबुक के अंदर की गतिविधियों को सार्वजनिक कर दिया। वैसे, मार्क जुकरबर्ग ने व्हिसलब्लोअर हौगेन के दावों पर पलटवार करते हुए कहा है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। जुकरबर्ग ने फेसबुक कर्मचारियों को भेजे एक नोट में लिखा - यह तर्क कि हम जानबूझकर ऐसे कंटेंट को आगे बढ़ाते हैं, जिससे हमें मुनाफा होता है और लोग नाराज होते हैं, बेहद ही अतार्किक है। मैं किसी भी टेक्नोलॉजी कंपनी को नहीं जानता, जो ऐसे प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है, जो लोगों को नाराज या उदास करते हैं।
समाज में खाई बढ़ा रहा फेसबुक
फ्रांसेस हौगेन ने इस बात का खुलासा किया है कि फेसबुक का सिस्टम समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच खाई पैदा कर रहा है। फेसबुक की वजह से लोग एक दूसरे से नफरत करने लगते हैं । कई बार तो इससे दंगों जैसी घटनाएं भी हो जाती हैं। हौगेन के मुताबिक कंपनी को यह बात अच्छी तरह से पता भी है और फेसबुक के पास वो सिस्टम भी है, जिसकी मदद से नफरत भरे कंटेंट को फैलने से रोका जा सकता है। पिछले साल अमेरिका में हुए चुनाव के दौरान फेसबुक ने इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया भी था। लेकिन इससे फेसबुक के विज्ञापन कम हो गए।इसीलिए चुनाव खत्म होते ही इस सिस्टम को बंद कर दिया गया। भारत समेत पूरी दुनिया में आज जहां भी हिंसा भड़कती है, उनमें से ज्यादातर की शुरुआत फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से होती है। यानी ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दोधारी तलवार की तरह हैं, जो लोगों तक जानकारी भी पहुंचाते हैं। लेकिन जान पर भारी भी पड़ते हैं।