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Hate Speech of Maulana: भारत के ऐसे चर्चित और विवादित मौलाना, जिनके बयानों ने भड़काई नफरत की आग

Hate Speech of Maulana: भारत में इन दिनों नफरती बयानों का कारवां चल पड़ा है। धर्मगुरूओं में इन दिनों मानो होड़ लग गई है कि कौन कितने भड़काऊ बयान दे सकता है।

Krishna Chaudhary
Published on: 21 April 2022 10:52 PM IST
Such a famous and controversial Maulana of India, whose statements stoked the fire of hatred
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मौलाना सैय्यद अरशद मदनी: Photo - Social Media

Hate Speech of Maulana: गंगा–जमुना की तहजीब वाले भारत में इन दिनों नफरती बयानों का कारवां चल पड़ा है। धर्मगुरूओं में इन दिनों मानो होड़ लग गई है कि कौन कितने भड़काऊ बयान दे सकता है। धार्मिक नेताओं (religious leaders) के इन जहरीले बोलों का असर समाज में बढ़ी रही सांप्रदायिक तनाव (communal tension) के रूप में देखा जा सकता है। मौलाना तौकीर रजा (Maulana Tauqeer Raza) का हालिया बयान इसकी बानगी है। इसके अलावा भी भारत के कुछ मुस्लिम धार्मिक नेता हैं जिनके बयानों ने सनसनी मचाई है। तो आईए आज हम आपको ऐसे ही कुछ विवादित मौलानाओं से रूबरू करवाते हैं।

मौलाना सैय्यद अरशद मदनी

उत्तर प्रदेश के देवबंद से आने वाले मौलाना सैय्यद अरशद मदनी (Maulana Syed Arshad Madani) भारत के सबसे प्रभावी मुस्लिम धार्मिक नेता है। सन् 1941 में पैदा हुए अरशद मदनी जमीयत उलेमा – ए –हिन्द के अध्यक्ष हैं। मदनी ने ही जमीयत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर वर्तमान में बीजेपी शासित राज्यों में हो रही बुलडोजर की कार्रवाई पर लगाम लगाने की मांग की थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मौलान अरशद मदनी का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। बीते दिनों उन्होंने को – एजुकेशन को अनैतिक बताते हुए मुसलमानों से इसका विरोध करने की अपील की थी। मदनी ने कहा था स्कूलों में को- एजुकेशन नहीं होनी चाहिए। लड़के और लड़कियों को अलग-अलग स्कूहल में पढ़ने के लिए भेजा जाना चाहिए। उनके इस बयान का अन्य मुस्लिम धर्मगुरूओं ने भी समर्थन किया था।

मौलान मदनी के इस बयान पर मशहूर गीत लेखक जावेद अख्तर भड़क गए थे। उन्होंने जमीयत उलेमा – ए – हिन्द के अध्यक्ष को लताड़ लगाते हुए कहा कि उनको कोई नहीं सुनता है। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से ऐसे तत्वों को बल मिला है।

जाकिर नाईक: Photo - Social Media

जाकिर नाईक

विवादित इस्लामिक धर्मगुरू जाकिर नाईक मुस्लिम युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय है। मुस्लिम युवाओं के बीच बढ़ रहे कट्टरपंथ के लिए नाईक को जिम्मेदार माना जा रहा है। कई आतंकियों की जांच में पता चला है कि वो जाकिर नाईक से प्रभावित होकर कट्टरपंथ की राह चुना था। जाकिर नाईक का जन्म 18 अक्टूबर 1965 को मुंबई में हुआ था। उसने डॉक्टरी की पढ़ाई की है।

लेकिन बाद में वो इस्लामिक धर्मगुरू बन गया। इसके अलावा वो लेखक और वक्ता भी है। नाइक पर यूके, कनाडा, मलेशिया समेत 5 देशों में बैन है। जाकिर के इस्लामिक फाउंडेशन को भारत और विदेशों से जकात के तौर पर चंदा मिलता है। वह एक स्कूल भी चलाता है।

जाकिर नाईक के एनजीओ आईआरएफ पर आरोप है कि वो विदेशी चंदे का इस्तेमाल धर्मांतरण के लिए इन्सपायर करने और टेरेरिज्म फैलाने के लिए करता है। नाईक 2016 से ही देश छोड़कर मलेशिया में रह रहा है। उसपर हेट स्पीच और युवाओं को आतंकवाद के लिए उकसाने का आऱोप है।

मौलाना तौकीर रजा

इत्तेहाद-उल-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा के विवादित बयानों की एक लंबी फेहरिस्त है। यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए बटला हाउस इनकाउंटर को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी। तौकीर राजा ने बटला हाउस इनकाउंटर में मारे गए आतंकियों को शहीद बता दिया था। विधानसभा चुनाव के दौरान उनका एक और बयान काफी वायरल हुआ था, जिसमें मौलाना कहते सुने जा रहे हैं, जिस दिन मुस्लिम नौजवान कानून हाथ में ले लेंगे, हिंदुस्तान का नक्शा बदल जाएगा।

मौलाना तौकीर रजा: Photo - Social Media

सीएए –एनआरसी के विरोध के दौरान भी उनका एक बयान खुब विवादों में रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर केंद्र सरकार ने नागरिकता संसोधन विधेयक वापस नहीं लिया तो गलियों में खून बह जाएगा। सबसे पहले वह गोली खाएंगे। दंगे फसाद हो जाएंगे। उनके इस बयान पर जमकर बवाल हुआ था। इसे लेकर उनपर मुकदमा भी कायम हुआ था। तौकीर रजा ने एक ताजा विवादित बयान आज यानि गुरूवार को ही दिया है।

बुलडोजर और लाउडस्पीकर विवाद पर भड़के मौलाना ने कहा कि देश के जो हालत हो रहे हैं वो अच्छे नहीं हैं। तौकीर रजा ने धमकी पर भरे लहजे में कहा कि जिस दिन देश का मुसलमान सड़कों पर आ गया, तो उन्हें संभालना कठिन हो जाएगा। पीएम मोदी को धृतराष्ट्र बताते हुए रजा ने कहा कि देश में एक और महाभारत होने से कोई नहीं रोक सकता। भारत एक और विभाजन के मुहाने पर खड़ा है।

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Shashi kant gautam

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