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केंद्र सरकार के फैसले के बाद भी जारी रहेगा किसान आंदोलन, राकेश टिकैत का ऐलान

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार (19 नवंबर 2021) को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले पर सबसे अहम प्रतिक्रिया राकेश टिकैत की रही। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार के इस फैसले के बावजूद किसान आंदोलन जारी रहेगा।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootWritten By aman
Published on: 19 Nov 2021 10:26 AM IST (Updated on: 19 Nov 2021 11:18 AM IST)
Rakesh Tikait
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किसान नेता राकेश टिकैत की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरु नानक जी की जयंती पर एक बड़ा फैसला लेते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया। पीएम मोदी ने कहा ,कि मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए यह बताना चाहता हूं, कि मैं तीनों कृषि कानूनों को कुछ किसान भाइयों को समझाने में नाकाम रहा। अब सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह फैसला वापस लिए हैं या वह इस कानून में खामी को स्वीकार कर लिया है, जो पिछले एक सालों से किसान बताते आ रहे हैं।

पीएम के फैसले के बाद अब विपक्ष जहां उन पर तंज कसने भी शुरू कर दिए हैं तो वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वह भी अपने आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे। जब तक संसद में प्रधानमंत्री इसे वापस नहीं लेते उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि अभी एमएसपी के साथ ही तमाम अन्य मुद्दे हैं उस पर भी बात करनी पड़ेगी।

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार (19 नवंबर 2021) को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले पर सबसे अहम प्रतिक्रिया राकेश टिकैत की रही। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार के इस फैसले के बावजूद किसान आंदोलन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन के जारी रहने का ऐलान किया है। राकेश टिकैत का कहना है, कि जब तक तीनों कृषि कानून संसद में रद्द नहीं हो जाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेता और कृषि कानूनों के विरोध में उभरकर आए सबसे बड़े चेहरा राकेश टिकैत ने साफ किया, कि सरकार किसानों के अन्य मुद्दों पर भी बात करे। टिकैत ने कहा, 'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।'


खेती से जुड़े अन्य सुधारों का भी जिक्र

दरअसल, किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेता हमेशा इस बात को स्पष्ट कहते रहे थे, कि उनका यह आंदोलन सिर्फ तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं है। किसान आंदोलन ने हमेशा ही एमएसपी को लेकर कानून बनाने की मांग दोहरायी। इसके अलावा इसमें खेती से जुड़े अन्य सुधारों का भी जिक्र है।

पंजाब-हरियाणा के किसानों का प्रदर्शन

उल्लेखनीय है, कि पिछले साल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून लागू किए थे। पंजाब और हरियाणा के किसानों ने इसका विरोध किया था। आंदोलन की शुरुआत के बाद से ही बीते एक साल तक दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन जारी रहा। किसानों ने अभी आने वाले दिनों में भी बॉर्डर पर ही जमे रहने का फैसला किया है।





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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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