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Farmers Protest: राकेश टिकैत की केंद्र को धमकी, अब आंदोलन होगा और तेज
Farmers Protest: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी है। इस बीच राकेश टिकैत ने सरकार को धमकी दी है और कहा है कि आंदोलन और तेज होगा।
Farmers Protest: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) पास किए जाने के बाद से किसानों में इन कानूनों को लेकर नाराजगी जारी है। ऐसे में कानूनों की वापसी की मांग के साथ बड़ी संख्या में किसान बीते करीब 7 महीने से दिल्ली की अलग अलग सीमानों पर आंदोलन (Farmers Andolan) कर रहे हैं।
एक तरफ किसान (Farmer) अपनी मांग पर अड़े हैं, तो दूसरी ओर केंद्र (Central Government) अपनी बात पर। किसानों का कहना है कि जब तक यह तीनों कानून वापस नहीं कर लिए जाते, तब तक हम अपना यह आंदोलन नहीं खत्म करने वाले हैं। इसके साथ ही वो एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर केंद्र का कहना है कि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, बल्कि इनमें कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
राकेश टिकैत ने कहा- सरकार का इलाज करना पड़ेगा
इस बीच केंद्र के तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को सरकार को धमकी डे डाली है। टिकैत ने दो टूक कहा है कि अब सरकार का इलाज करना पड़ेगा। किसान नेता ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए इस आंदोलन को तेज करने की बात कही है।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा। #FarmersProtest
मांग पूरी होने तक नहीं जाएंगे वापस
आपको बता दें कि इससे दो दिन पहले भी राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा था कि सरकार को ये बात अपने दिमाग से निकालनी होगी कि मांग पूरी होने से पहले किसान वापस जाएगा। उन्होंने लिखा था कि "केन्द्र सरकार ये गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा" किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी। हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों। एमएसपी पर कानून बने। #FarmersProtest
26 नवंबर को शुरू हुआ था Farmers Protest
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर किसान संगठन 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन को खत्म करने और कानून में बदलाव करने को लेकर सरकार और किसानों की जितनी भी वार्ताएं हुईं, सभी असफल रहीं। आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। केंद्र व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है।
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