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Samyukt Kisan Morcha को मिला 13 विपक्षी दलों का समर्थन, सरकार को दी ये चेतावनी
Samyukt Kisan Morcha: 13 विपक्षी दलों ने किसान संगठन के देशव्यापी प्रदर्शन को समर्थन दिया है।
Samyukt Kisan Morcha: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) पास किए जाने के बाद से ही किसानों में इन कानूनों को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। जिसे वापस लेने की मांग के साथ किसान दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब इस आंदोलन के छह महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस मौके पर किसान देशव्यापी प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) की ओर से आंदोलन के छह महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन (Protest) करने का ऐलान किया है। जिसे अब 13 विपक्षी पार्टियों का समर्थन हासिल हुआ है। इन विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा होने वाले प्रदर्शन को समर्थन दिया है।
विपक्षी दलों की ओर से जारी किया गया बयान
बयान में यह कहा गया है कि हमने 12 मई को संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर कहा था कि महामारी का शिकार बन रहे हमारे लाखों अन्नदाताओं को बचाने के लिये कृषि कानून निरस्त किये जाएं ताकि वे अपनी फसलें उगाकर भारतीय जनता का पेट भर सकें।
विपक्षी दलों द्वारा जारी बयान के मुताबिक, हम कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक C2+50 फीसदी MSP को कानूनी अमलीजामा पहनाने की मांग करते हैं। इसके साथ ही बयान में केंद्र से कहा गया है कि अपना जिद्दी रवैया छोड़कर संयुक्त किसान मोर्चा से वार्ता को फिर से शुरू करें।
इन 13 विपक्षी पार्टियों का मिला है समर्थन
सोनिया गांधी (कांग्रेस)
एचडी देवेगौड़ा (जेडीएस)
शरद पवार (एनसीपी)
ममता बनर्जी (टीएमसी)
उद्धव ठाकरे (शिवसेना)
एमके स्टालिन (द्रमुक)
हेमंत सोरेन (झामुमो)
फारूक अब्दुल्ला (जेकेपीए)
अखिलेश यादव (एसपी)
तेजस्वी यादव (आरजेडी)
डी राजा (सीपीआई)
सीताराम येचुरी (सीपीएण)
आम आदमी पार्टी (आप)
28 नवंबर से जारी है किसानों का आंदोलन
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर किसान संगठन 28 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। भीषण ठंड और कोरोना काल के बाद भी किसानों ने अपना प्रदर्शन जारी रखा है। किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र की ओर से हमारी मांगें नहीं मान ली जाती हैं, तब तक हम अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। दूसरी ओर केंद्र का कहना है कि कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा, बल्कि इसमें कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा का पीएम मोदी को पत्र
बीत कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। इससे पहले जितनी भी दौर की बातचीत हुई हैं, वो बेनतीजा रहीं। हालांकि अब संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने की पहलकदमी करने की अपील की है। किसान संगठन की ओर से पत्र में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रमुख होने के नाते बातचीत फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है।
किसानों ने धरने को किसानों की मांग पूरी करने के बाद खत्म कराने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के सामने रखा है। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार बातचीत करके हमारी समस्याओं का समाधान करे तो किसान अपने घर चले जाएंगे। पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर सरकार की ओर से 25 मई तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलता है तो फिर 26 मई को राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाया जाएगा। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगले चरण में संघर्ष को और तेज कर दिया जाएगा।
केंद्र और किसानों के बीच 22 जनवरी के बाद से नहीं हुई वार्ता
बता दें कि केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। सरकार व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है। किसानों की सीधी मांग है कि कानूनों को रद्दा किया जाए तो केंद्र का कहना है कि किसान आपत्ति वाले बिंदुओं को सरकार के सामने रखे।
अब देखना ये है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत का रास्ता खुलता है या नहीं और क्या केंद्र की ओर से किसान संगठन को कोई जवाब मिलता है।