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Farmers Protest: आज किसान मनाएंगे संपूर्ण क्रांति दिवस, ऐसे करेंगे विरोध
Farmers Protest: आज कृषि कानूनों के ऑर्डिनेंस घोषित किए जाने के एक साल पूरे होने पर किसान कानूनों की कॉपी जलाकर विरोध करेंगे।
Farmers Protest: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) पास किए जाने के बाद से ही किसानों में इन कानूनों को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है। इन कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसान बीते करीब 6 महीने से दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर आंदोलन (Farmers Andolan) कर रहे हैं।
बीते महीने 26 मई 2021 को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने के मौके पर किसानों ने उस दिन को काला दिवस के तौर पर मनाया था। वहीं, इस बीच आज यानी शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है। इस दौरान किसान कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे।
किसान ऐसे करेंगे विरोध
आज कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं, विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के घरों और दफ्तरों के सामने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं। आपको बता दें कि बीते साल आज ही के दिन यानी पांच जून को तीनों कानून बनाए गए थे। सरकार द्वारा खेती कानूनों को ऑर्डिनेंस के रूप में घोषित किया गया था।
तीनों कृषि कानूनों को बनाए जाने का आज एक साल पूरा हो रहा है, इसलिए किसानों ने यह कार्यक्रम रखा है। जिसमें वो सरकार का विरोध करेंगे और कानूनों की कॉपी जलाएंगे। इस मौके पर किसान नेता अमर सिंह बिश्नाई ने किसानों से कहा कि किसान किसी भी हालात में भटके नहीं हैं। उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना है और सम्पपूर्ण क्रांति करनी है।
देशवासियों से की ये अपील
संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी देशवासियों से यह अपील की है कि किसानों के प्रति अपना समर्थन जारी रखें और इस दिन बीजेपी नेताओं, विधायकों, सांसदों और प्रतिनिधि के दफ्तर के बाहर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर अपनी भूमिका निभाएं। बता दें कि आज न केवल कानूनों के ऑर्डिनेंस के रूप में घोषित हुए एक साल पूरा हो रहा है, बल्कि इसी दिन 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए देश में जन आंदोलन खड़ा किया था।
इस आंदोलन के छह महीने पूरे हो गए हैं। कोरोना वायरस महामारी और भीषण ठंड के बाद भी किसानों ने अपना प्रदर्शन खत्म नहीं किया बल्कि अपनी मांगों को लेकर सीमाओं पर डटे रहे हैं। इन किसानों का साफ कहना है कि जब तक केंद्र की ओर से हमारी मांगों को पूरा नहीं कर दिया जाता है, तब तक हम यहां से नहीं हटने वाले हैं। दूसरी ओर दूसरी ओर केंद्र का कहना है कि कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा, बल्कि इसमें कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
26 नवंबर से जारी है आंदोलन
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर किसान संगठन 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन में कई रंग भी देखने को मिले। चाहे वो किसानों द्वारा भारत बंद हो या 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा, इनको कभी नहीं भूलाया जा सकता। प्रदर्शन को खत्म करने और कानून में बदलाव करने को लेकर सरकार और किसानों की जितनी भी वार्ताएं हुईं, सभी असफल रहीं।
22 जनवरी के बाद से नहीं हुई वार्ता
आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। इससे पहले जितनी भी दौर की बातचीत हुई हैं, वो बेनतीजा रहीं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। सरकार व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है।
हालांकि अब संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने की पहलकदमी करने की अपील की है।
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