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मोहन भागवत के बयान की नजीब जंग ने की तारीफ, जानें- कौन हैं 'जंग', कैसे खराब हुए थे केजरीवाल से संबंध
RSS प्रमुख मोहन भागवत के डीएनए और लिंचिंग को लेकर दिए गए बयान पर जहां विपक्षी पार्टियां निशाना साध रही हैं तो वहीं नबीज जंग ने उनके बयान का स्वागत किया है।
दिल्ली: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (mohan bhagwat) के डीएनए (DNA) और लिंचिंग को लेकर दिए गए बयान पर जहां विरोधी पार्टियां उन पर निशाना साध रही हैं तो वहीं दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नबीज जंग (Najeeb Jung) ने इसका स्वागत किया है। नजीब जंग ने कहा कि आरएसएस प्रमुख (RSS chief) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की बातों को सभी सुनते हैं और देश में नफरत कम होनी चाहिए। इसकी पहल संघ प्रमुख ने की है।
पूर्व एलजी ने कहा कि हमारा एकजुट होना जरुरी है। जिन्होंने लिंचिंग की है, उन्हें कानून सजा देगा। भागवतजी का भाषण बहुत सरल और आपसी भाईचारे को मजबूत करने का पक्ष में है। इस पर मुसलमानों को सोचना चाहिए कि अब एक दरवाजा खुला है, एक खिड़की खुल रही है इसे बंद न करें। उन्होंने भरोसा जताया है कि बात आगे जरुर बढ़ेगी।
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
दरअसल गाजियाबाद में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है। चाहे वह किसी भी धर्म के हों। उन्होंने कहा था कि पूजा करने के तरीके के आधार पर लोगों में भेद नहीं किया जा सकता। यह सिद्ध हो चुका है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था लिंचिंग में शामिल होने वाले लोग हिंदुत्व विरोधी हैं। देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं। एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों की महिमा होनी चाहिए। हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। यहां हिंदू या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता। केवल भारतीयों का प्रभुत्व हो सकता है।
नजीब जंग और केजरीवाल का रिश्ता
अब जरा जान लीजिए कौन हैं नजीब जंग और जब वह दिल्ली के उप राज्यपाल थे तो उनका सीएम अरविंद केजरीवाल से कैसा था रिश्ता, दरअसल उपराज्यपाल के तौर पर नजीब जंग के कार्यकाल जुलाई 2018 में ख़त्म होना था लेकिन उन्होंने उससे 18 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया। नजीब की नियुक्ति जुलाई 2013 में मनमोहन सरकार ने की थी। कांग्रेस ने बीजेपी और आप सरकार के बीच सीक्रेट डील को उनके इस्तीफे की वजह कहा है।
केजरीवाल ने लगाया था तख्तापलट का आरोप
दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा 10 दिनों की छुट्टी पर गए थे। उस वक्त शकुंतला गैमलिन को उपराज्यपाल ने कार्यकारी मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया। केजरीवाल के इनकार के बावजूद उन्होंने चार्ज भी ले लिया। इस मसले पर दोनों के विवाद सतह पर आ गए। नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार ने नजीब जंग पर केंद्र के जरिए आप की सरकार का 'तख्तापलट' करने का आरोप लगाया। उस वक्त सीएम केजरीवाल कई दफे नजीब जंग पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था।
जब एक ही राज्य में बन गए दो एसीबी चीफ
केजरीवाल और नजीब जंग के बीच विवाद के नतीजे उस वक्त बेहद दिलचस्प हो गए जब एक ही राज्य में एक साथ दो एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) के चीफ बन गए थे। बता दें कि जहां केजरीवाल सरकार ने एसएस यादव को एसीबी चीफ अप्वाइंट कर दिया था वहीं उपराज्यपाल ने मुकेश मीणा को दिल्ली का एसीबी चीफ बना दिया था। बाद में यह विवाद किसी तरह सुलझा।
नियुक्तियों पर विवाद
सबसे अहम केजरीवाल सरकार द्वारा की गई तीन नियुक्तियां थीं, जिनको लेकर आप सरकार और जंग आमने-सामने आ गए थे। ये नियुक्तियां दिल्ली महिला आयोग की अध्यक स्वेता मालीवाल, टैक्स कमिश्नर के रूप में विजय कुमार और डीईआरसी चेयरपर्सन के रूप में कृष्णा सैनी की नियुक्ति का विवाद सबसे अहम था। नियमों का हवाला देकर नजीब ने कृष्णा सैनी को पद से भी हटा दिया था। केजरीवाल की करीबी मालीवाल को नियुक्ति नहीं दे रहे थे जबकि होम मिनिस्ट्री का हवाला देकर विजय कुमार को अधिकारमुक्त कर दिया था।
नजीब जंग का परिचय
नजीब जंग का परिवार मूलत हैदराबाद के निजाम के यहां बड़े पदों पर रह चुका है। उनके पिता का खानदान सउदी अरब से जुड़ा हुआ था, तो ननिहाल के मुगलों व तुर्क से रिश्ते रहे हैं। उनका परिवार काफी पहले ही दिल्ली आ गया था। दरियागंज की गलियों में जनवरी 1951 में उनका जन्म हुआ। वे सेंट कोलंबस में पढ़े फिर सेंट स्टीफन से उन्होंने स्नातक किया। गोलचा सिनेमा भी उन्हीं के परिवार का था। उनके पिता की जल्दी मृत्यु हो गई और उन्हें उनकी मां व चाचा ने पाला। नजीब जंग को शुरू से ही सिविल सेवा में जाने की इच्छा थी। 1971 में पहली ही कोशिश में आइपीएस चुन लिए गए, लेकिन मन में कुछ और ही था इसलिए नौकरी ज्वाइन करने के बाद दोबारा परीक्षा दी और आइएएस बन गए। उन्होंने अपना कैडर मध्यप्रदेश चुना। शुरुआती पोस्टिंग दतिया व रायपुर में हुई। दतिया का कलेक्टर रहते हुए माधव राव सिंधिया के काफी करीब आए।
1984 में जब वे अपने प्रदेश के जिन दो अफसरों को केंद्र में लेकर आए थे, उनमें से एक नजीब जंग व दूसरे आसिफ इब्राहिम थे। रेल मंत्रालय में रहते हुए नजीब जंग ने आधुनिकीकरण पर काफी जोर दिया। शताब्दी ट्रेनों की श्रृंखला उन्हीं की देन मानी जाती हैं। बाद में वे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय में संयुक्त सचिव हो गए। यहां रहते हुए ही रिलायंस उद्योग के संपर्क में आए। कुछ समय के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक मनीला में भी रहे। उन्होंने आक्सफोर्ड विश्र्वविद्यालय से ऊर्जा के क्षेत्र में डाक्टरेट किया। रिलायंस ग्लोबल मैंनेजमेंट सर्विसेज और आब्जर्वर फाउंडेशन में भी काम कर चुके हैं।