चुनावी नतीजों का कांग्रेस में असर दिखना शुरू, असंतुष्ट खेमे ने बढ़ाया दबाव

Assembly Election Results 2022: पांचों राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद असंतुष्ट खेमा जी-23 एक बार फिर सक्रिय हो गया है। गुलाम नबी आजाद के घर वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 12 March 2022 6:39 AM GMT
Assembly Election Results 2022: चुनावी नतीजों का कांग्रेस में असर दिखना शुरू, असंतुष्ट खेमे ने बढ़ाया दबाव
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गुलाम नबी आजाद (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Assembly Election Results 2022: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह बढ़ने की पटकथा तैयार हो गई है। पांचों राज्यों में कांग्रेस (Congress) का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2017) में पंजाब में 77 सीटें जीतने जीत कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 18 सीटों पर सिमट गई है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर चला गया दांव पूरी तरह फेल साबित हुआ है जबकि उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी पार्टी कोई कमाल नहीं दिखा सकी। ऐसे में असंतुष्ट खेमा एक बार फिर सक्रिय होने लगा है।

यूपी में तो पार्टी का संगठन पहले से ही काफी लचर दिख रहा था मगर पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में पार्टी को मिली करारी हार किसी के गले के नीचे नहीं उतर रही। पंजाब में पार्टी नेताओं (Punjab Congress Leaders) के बीच आपस में ही आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने नवजोत सिंह सिद्धू को बेलगाम घोड़ा बताया है तो सिद्धू ने इशारों ने अपने ही मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjit Singh Channi) पर हमला बोला है। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में पार्टी में कलह और बढ़ेगी।

यूपी के सियासी रण में प्रियंका का दांव फेल

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) तो ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे मगर पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने उत्तर प्रदेश में प्रचार की पूरी कमान अपने हाथों में संभाल रखी थी। प्रियंका की पहल पर 40 फ़ीसदी यानी 159 महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा गया था मगर प्रियंका का यह दांव भी पूरी तरह विफल साबित हुआ। इस तरह लिटमस टेस्ट में प्रियंका की रिपोर्ट भी नेगेटिव निकली है।

हालांकि उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन का एक बड़ा कारण पार्टी का कमजोर संगठनात्मक ढांचा भी रहा है मगर समय रहते इसे मजबूत न किए जाने पर भी सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश में सीटों के साथ ही वोट शेयर में भी जबर्दस्त गिरावट दर्ज की गई है। प्रियंका का लड़की हूं लड़ सकती हूं, का नारा प्रदेश में पूरी तरह फेल साबित होता दिखा। महिलाओं को लेकर प्रियंका ने इतनी आवाज बुलंद की मगर महिलाओं का सबसे ज्यादा समर्थन भाजपा (BJP) को मिला। इसे लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।

चरणजीत सिंह चन्नी-नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पंजाब के वरिष्ठ नेताओं में नहीं दिखी ट्यूनिंग

पंजाब में कांग्रेस की सरकार होने के कारण राज्य का विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम माना जा रहा था मगर यहां पर पार्टी को आम आदमी पार्टी के सामने करारी हार सामना का सामना करना पड़ा। आप पंजाब में 92 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही जबकि बहुमत का सपना देखने वाली कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर ही अटक गई।

राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान दो बड़े नेताओं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच किसी भी प्रकार की ट्यूनिंग नहीं दिखी। दोनों नेता अलग-अलग राग अलापते रहे। सिद्धू ने तो कई सभाओं में अपनी ही सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए। पंजाब के मतदाताओं को पार्टी नेताओं की यह आपसी कलह कतई रास नहीं आई और उसने आप की झोली वोटों से भर दी।

आपस में ही उलझ डरने लगे पार्टी के नेता

पंजाब में मिली इस हार के बाद पार्टी नेताओं में आपसी तकरार का दौर शुरू हो गया है। पंजाब के तीन पूर्व कैबिनेट मंत्रियों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू को बेलगाम घोड़ा बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धू ने पार्टी की राजनीतिक हत्या कर दी है। राहुल गांधी को सिद्धू के खिलाफ उसी समय कार्रवाई करनी चाहिए थी, जब उन्होंने चन्नी सरकार के कामकाज पर अंगुली उठाई थी।

सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा और दो पूर्व कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और गुरकीरत कोटली शामिल हैं। इन तीनों नेताओं ने पंजाब में पार्टी की हार के लिए सिद्धू को सबसे बड़ा गुनहगार ठहराया है।

दूसरी ओर सिद्धू ने भी इशारों में मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। उनका यह भी कहना है कि उन्हें गिराने की कोशिश करने वाले लोग सौ गुना ज्यादा नीचे गिर गए हैं। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में पंजाब कांग्रेस में कलह और बढ़ेगी।

गुलाम नबी आजाद (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

असंतुष्ट खेमे ने बढ़ाया दबाव

इस बीच कांग्रेस की करारी हार के बाद असंतुष्ट खेमा जी-23 (Congress G-23 Group) एक बार फिर सक्रिय हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के घर हुई असंतुष्ट खेमे के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में पार्टी को मिली करारी शिकस्त पर चिंतन किया गया। इस बैठक में हिस्सा लेने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी शामिल थे। हालांकि बैठक के बाद असंतुष्ट नेताओं की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया मगर माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में असंतुष्ट खेमे की सक्रियता और बढ़ सकती है।

उधर, पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की है। उनका कहना है कि पार्टी को लगातार मिल रही हार के कारण अब यह कदम उठाना जरूरी हो गया है पार्टी सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में असंतुष्ट खेमा एक बार फिर पार्टी में बड़े बदलाव की मांग उठा सकता है।

दूसरे राज्यों पर भी असर पड़ना तय

हाल के दिनों में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस्तीफा दिया है और अब पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कई और वरिष्ठ नेता पार्टी से किनारा कर सकते हैं। नतीजों में पार्टी के और कमजोर होने के कारण पार्टी छोड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।

इसके साथ ही आने वाले दिनों में पार्टी को गुजरात (Gujarat Elections) और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Election 2022) लड़ना है। पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन का इन राज्यों पर भी असर पड़ सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सितंबर-अक्टूबर में प्रस्तावित है और पार्टी के खराब प्रदर्शन का इस पर भी असर पड़ना तय माना जा रहा है।

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