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Gandhi Jayanti: जानिए किसने गांधी को दिया महात्मा नाम, कैसे बने बापू और किसने सबसे पहले पुकारा राष्ट्रपिता
Gandhi Jayanti: 1869 में आज ही के दिन महात्मा गांधी का जन्म हुआ था जिनका पूरा जीवन संघर्षों की अद्भुत मिसाल है। पूरी दुनिया में आज भी उनके संघर्षों की मिसाल दी जाती है। उनका नाम काफी आदर के साथ याद किया जाता है।
Gandhi Jayanti: देश को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को लंबा संघर्ष करना पड़ा था। आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने कष्टों की परवाह न करते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। आजादी की इस लड़ाई में सबसे उल्लेखनीय भूमिका मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) की मानी जाती है।
अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत थे। अंग्रेजो के खिलाफ उनका अहिंसक आंदोलन पूरी दुनिया के लिए नजीर बन गया। 1869 में आज ही के दिन महात्मा गांधी का जन्म (Mahatma Gandhi Ka Janam) हुआ था जिनका पूरा जीवन संघर्षों की अद्भुत मिसाल है। पूरी दुनिया में आज भी उनके संघर्षों की मिसाल दी जाती है। उनका नाम काफी आदर के साथ याद किया जाता है।
महात्मा गांधी ने जीवन भर सत्य और अहिंसा के सिद्धांत का पालन किया। लोगों से भी इसी रास्ते पर चलने की अपील की। यह उनके विराट व्यक्तित्व का ही कमाल था जिसके बल पर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने में कामयाबी मिली। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ देश की जनता को एकजुट किया। देशवासियों में विरोध का ऐसा जज्बा पैदा कर दिया जिससे घबराकर अंग्रेज भारत छोड़ने पर मजबूर हुए।
उनकी सादगी,नेतृत्व क्षमता, समर्पण और सत्य एवं अहिंसा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के कारण उनका नाम देश ही नहीं पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है। कोई उन्हें राष्ट्रपिता कहकर पुकारता है तो किसी को बापू नाम अच्छा लगता है तो कोई उन्हें महात्मा कहता है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि मोहनदास करमचंद गांधी को ये अलग-अलग नाम किसने दिए।
गांधी जी को कैसे मिला महात्मा नाम (Gandhi Ko Mahatma Naam)
गांधी जी का सबसे प्रचलित नाम महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) है। अधिकांश लोग उन्हें इसी नाम से याद किया करते हैं। महात्मा शब्द संस्कृत का है। इसका मतलब महान आत्मा होता है। जानकारों के मुताबिक गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने सबसे पहले गांधी जी को महात्मा नाम से संबोधित किया था। हालांकि इस मामले में कुछ इतिहासकारों की अलग राय भी है। उनका कहना है कि राजवैद्य जीवनराम कालिदास (Rajvaidya Jivaram Kalidas) ने सबसे पहले गांधी जी को महात्मा की संज्ञा दी थी। उन्होंने 1915 में गांधी जी को इस नाम से संबोधित किया था।
वैसे ज्यादातर इतिहासकारों की राय टैगोर के ही पक्ष में है। उनका कहना है कि गुरुदेव की ओर से ही गांधी जी को यह उपाधि दी गई थी। दोनों एक-दूसरे का काफी सम्मान किया करते थे। दोनों की पहली मुलाकात मार्च, 1915 में शांतिनिकेतन में हुई थी। बाद के दिनों में देश की आजादी के लिए दोनों ने अहम योगदान दिया। यही कारण है कि आज भी देश में सभी लोग महात्मा गांधी और गुरुदेव दोनों का नाम आदर और सम्मान के साथ लेते हैं।
कैसे बापू के नाम से हुए प्रसिद्ध (Mahatma Gandhi Ko Bapu Naam Kisne Diya)
गांधी जी का एक और प्रचलित नाम बापू है। यह जानना काफी दिलचस्प है कि उन्हें यह नाम कैसे मिला। महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण जिले में अंग्रेजों की ओर से किसानों पर किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। अंग्रेजों के खिलाफ इसी आंदोलन से महात्मा गांधी को पहचान मिली और चंपारण से ही उनके असली संघर्ष की शुरुआत हुई। चंपारण के रहने वाले एक गुमनाम किसान से गांधी जी को बापू नाम मिला था, जो आगे चलकर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया।
अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए जब गांधीजी चंपारण पहुंचे तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस धरती पर मिलने वाला प्यार उन्हें पूरी दुनिया में बापू नाम से प्रसिद्ध देगा। दरअसल, चंपारण के राजकुमार शुक्ला नामक किसान ने गांधी जी को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में किए गए अनुरोध को स्वीकार करते हुए गांधीजी चंपारण में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने पहुंचे थे। राजकुमार शुक्ला की ओर से ही गांधी जी को बापू नाम से संबोधित किया गया था । यह नाम आज हर किसी की जुबान पर चढ़ चुका है।
किसने सबसे पहले कहा राष्ट्रपिता (Mahatma Gandhi Rashtrapita Kaise Bane)
महात्मा गांधी के नाम के आगे राष्ट्रपिता शब्द लगाकर उन्हें सम्मान दिया जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किसकी ओर से सबसे पहले उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में संबोधित किया गया। देश की आजादी के नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले उन्हें राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था। नेताजी ने 4 जून, 1944 को सिंगापुर रेडियो से प्रसारित एक संदेश में उन्हें पहली बार देश का पिता कहकर संबोधित किया था। इसके बाद नेताजी ने 6 जुलाई, 1944 को सिंगापुर रेडियो से एक और संदेश प्रसारित किया। इस संदेश में नेता जी ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की संज्ञा दी। गांधी जी के निधन के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने रेडियो के माध्यम से देश के लोगों को संबोधित किया था।
अपने संबोधन के दौरान पंडित नेहरू ने देश के लोगों को इस दुखद घटना की जानकारी देते हुए कहा था कि राष्ट्रपिता नहीं रहे। इसके बाद हर कोई पूरे सम्मान के साथ उनके नाम के आगे राष्ट्रपिता शब्द का उपयोग करना नहीं भूलता। पूरे देश में गांधी से जुड़ी किसी भी चर्चा में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर ही याद किया जाता है।
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