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Covid Vaccination Certificate: वैक्सीन सर्टिफिकेट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- देश में जबरन टीकाकरण नहीं

Covid Vaccination Certificate: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 13 जनवरी को दायर एक हलफनामे में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीका लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Vidushi Mishra
Published on: 17 Jan 2022 3:02 AM GMT
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कोरोना वैक्सीनेशन (फोटो- न्यूजट्रैक) 

Covid Vaccination Certificate: भारत सरकार ने कहा है कि उसने कोविड टीकाकरण प्रमाण पत्र अनिवार्य किये जाने संबंधी कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है जिससे सहमति के बिना टीकाकरण की बात समझी जाए या किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य बनाता हो। सरकार ने अपने कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम का एक वर्ष पूरा करने से कुछ दिन पहले, सर्वोच्च न्यायालय को दिये एक हलफनामे में कही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 13 जनवरी को दायर एक हलफनामे में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीका लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। सरकार ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने इस सम्बंध में कोई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी नहीं किया है जो किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाना अनिवार्य बनाता हो।

बिना किसी भी जबरन टीकाकरण नहीं

मंत्रालय ने साफ किया है कि भारत सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश, संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना किसी भी जबरन टीकाकरण को प्रोत्साहित नहीं करते हैं।

सरकार ने कहा कि कोविड -19 के लिए टीकाकरण चल रही महामारी की स्थिति को देखते हुए बड़े सार्वजनिक हित में है। सरकार ने कहा, विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यह विधिवत सलाह, विज्ञापन दिये जा रहे हैं कि सभी नागरिकों को टीका लगवाना चाहिए और सरकार के सिस्टम को इसे सुगम बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

कुछ राज्यों ने नागरिकों द्वारा टीकाकरण से इनकार करने पर हतोत्साहित करने के आदेश जारी किए हैं। महाराष्ट्र ने कहा था कि लोकल ट्रेनों में केवल पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों को ही अनुमति दी जाएगी, और केरल सरकार ने कहा था कि राज्य बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों के लिए कोविड -19 उपचार की लागत वहन नहीं करेगा।

केंद्र का हलफनामा उस मामले में दायर किया गया था जिसमें अदालत ने याचिकाकर्ता - एलुरु फाउंडेशन - को विकलांग व्यक्तियों के टीकाकरण की सुविधा के लिए मौजूदा ढांचे को मजबूत करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने को कहा था। सरकार ने कहा कि उसे तदनुसार सुझाव प्राप्त हुए हैं और उन पर विचार किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि 11 जनवरी, 2022 तक, कुल 1,52,95,43,602 खुराकें दी गई थीं और 90.84 प्रतिशत पात्र वयस्क आबादी को टीके की पहली खुराक मिली थी। साठ प्रतिशत वयस्क आबादी ने अपनी दूसरी खुराक प्राप्त की थी।

विकलांग व्यक्तियों को कुल 23,678 खुराकें दी गई थीं, जिन्होंने पंजीकरण के लिए अपने विशिष्ट विकलांगता आईडी कार्ड / विकलांगता प्रमाण पत्र का उपयोग करके स्वेच्छा से इस तरह की पहचान के लिए चुना था।

विकलांग व्यक्तियों के लिए जिनके पास कोई निर्धारित आईडी कार्ड नहीं है, सरकार ने कहा, "को-विन पर सुविधायुक्त कोहोर्ट पंजीकरण प्रक्रिया का पालन करके" प्रावधान किए गए थे।

Vidushi Mishra

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