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BJP ने छह महीने में पांच CM बदल डाले, अब हरियाणा में बह सकती है बदलाव की बयार

Haryana Chief Minister: BJP ने पिछले छह महीने के दौरान चार राज्यों में 5 मुख्यमंत्री बदले हैं। जिसके बाद हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सियासी भविष्य पर अभी भी सवाल उठ रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 13 Sep 2021 4:25 AM GMT
Haryana CM Manohar Lal Khattar
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Haryana Chief Minister: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पिछले छह महीने के दौरान चार राज्यों में पांच मुख्यमंत्री (BJP Mukhyamantri) बदले हैं। सबसे ताजा उदाहरण गुजरात (Gujarat) का है जहां शनिवार को मुख्यमंत्री विजय रुपाणी इस्तीफा (Vijay Rupani Ka Istifa) देने पर मजबूर हो गए। मुख्यमंत्री पद से रुपाणी (Vijay Rupani) को हटाने के कई कारण माने जा रहे हैं। भाजपा जिस तरह अपने सीएम चेहरों को लेकर बदलाव करने में जुटी है, उसे देखते हुए सियासी हलकों में यह चर्चा भी जोरों पर है कि मुख्यमंत्री पद पर अगला बदलाव कहां दिखेगा।

पिछले दिनों भाजपा शासित उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भी नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं मगर अब यह मामला पूरी तरह ठंडा पड़ चुका है। माना जा रहा है कि भाजपा देश के सबसे महत्वपूर्ण सियासी राज्य उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की अगुवाई में ही चुनाव मैदान में उतरेगी। मध्यप्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को लेकर मीडिया में कुछ बातें कही गई थीं, मगर अब वहां भी इन चर्चाओं पर पूरी तरह विराम लग चुका है। शिवराज सिंह चौहान इन दिनों पूरी मजबूती के साथ कांग्रेस (Congress) को जवाब देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

मनोहर लाल खट्टर (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इन दो राज्यों में तो अटकलबाजियों का दौर पूरी तरह थम चुका है मगर दिल्ली से सटे हरियाणा (Haryana) में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के सियासी भविष्य पर अभी भी सवाल उठ रहे हैं। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के दौरान कई बार हो चुके बवाल के कारण खट्टर की कुर्सी खतरे में मानी जा रही है। जानकारों का कहना है कि बदलाव की बयार अब हरियाणा राज्य में बहती दिख सकती है।

तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उत्तराखंड में बदले दो मुख्यमंत्री

भाजपा ने पिछले छह महीने के दौरान उत्तराखंड में दो मुख्यमंत्री (Uttarakhand Mukhyamantri) बदले हैं। सबसे पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को अचानक दिल्ली तलब किया गया। भाजपा नेतृत्व से गंभीर मंथन के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून पहुंचकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद मुख्यमंत्री पद पर तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) की ताजपोशी हुई थी मगर उनका कार्यकाल भी लंबा नहीं चल सका।

गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत तीन महीने भी मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह सके। इन तीन महीनों के दौरान उनके विवादित बयान मीडिया में लगातार चर्चा का विषय बने रहे। उनके बयानों की शिकायत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई। इसके बाद उन्हें हटाने का फैसला किया गया। उन्होंने 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था मगर 2 जुलाई को उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) के रूप में ताजपोशी हुई है।

बीएस येदियुरप्पा-बीएस बोम्मई (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कर्नाटक में येदियुरप्पा को छोड़नी पड़ी कुर्सी

गुजरात में विजय रुपाणी के इस्तीफे से पहले कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया था। लगातार अटकलों के बाद बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय (Lingayat Community) का बड़ा नेता माना जाता रहा है। उन्होंने दक्षिण भारत (South India) में पहली बार कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की थी। इसके बावजूद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। वैसे बढ़ती उम्र को इसका कारण बताया गया। हालांकि बाद में पार्टी हाईकमान ने येदियुरप्पा के करीबी माने जाने वाले बीएस बोम्मई (Basavaraj Bommai) को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी है।

हिमन्त बिस्वा सरमा-सर्बानंद सोनोवाल (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सोनोवाल की जगह सरमा की ताजपोशी

असम में सर्बानंद सोनोवाल ने मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल तक सरकार का नेतृत्व किया। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी कांग्रेस की चुनौतियों का जवाब देकर एक बार फिर सत्ता में आने में कामयाब रही। तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से नहीं रोक सकी।

भाजपा को बहुमत मिलने के बाद कई दिनों तक मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर पेंच फंसा रहा मगर आखिरकार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बदलते हुए हिमन्त बिस्वा सरमा में विश्वास जताया। नार्थ ईस्ट में भाजपा की जड़े मजबूत बनाने में सरमा की बड़ी भूमिका मानी जाती है। नेतृत्व की ओर से उन्हें इसी बात का इनाम दिया गया है।

मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अब हरियाणा को लेकर लग रही हैं अटकलें

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों में फेरबदल के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि अगला नंबर किस राज्य का होगा। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में तो अटकलों का दौर समाप्त हो चुका है मगर हरियाणा को लेकर अटकलबाजियों का दौर अभी भी जारी है। किसान आंदोलन को लेकर खट्टर सरकार पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

उनके कार्यकाल के दौरान कई बार किसानों पर लाठीचार्ज का मुद्दा सियासी रूप से काफी गरमा चुका है। किसान नेता लगातार मुख्यमंत्री खट्टर पर हमला करते रहे हैं। किसान आंदोलन को लेकर खट्टर के बयान भी कई बार विवादों का कारण बन चुके हैं। पिछले दिनों भी उन्होंने बयान दिया था कि किसान आंदोलन के दौरान बहन-बेटियों की इज्जत लूटी गई। मर्डर हुए और पंचायतों में टकराव का माहौल पैदा हुआ।

चुकानी पड़ सकती है बड़ी कीमत

किसान आंदोलन के प्रति खट्टर सरकार के कड़े रुख से भी किसान संगठन काफी नाराज बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज (Karnal Lathicharge) का मुद्दा भी इन दिनों गरमाया हुआ है। इस लाठीचार्ज के खिलाफ किसानों ने करनाल के मिनी सचिवालय पर कई दिनों तक धरना दिया था।

बाद में खट्टर सरकार ने किसानों की मांग पर जांच का आदेश देते हुए लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा (SDM Ayush Sinha) को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। किसान नेताओं की ओर से इसे अपनी जीत बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि किसानों से जुड़े मसलों को कायदे से न संभाल पाने के कारण भाजपा का नेतृत्व (BJP Netratva) मुख्यमंत्री खट्टर से नाराज बताया जा रहा है। आने वाले दिनों में खट्टर को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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