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Corona Infection: वेरियंट्स और म्यूटेशनों के चलते नहीं बन सकती हर्ड इम्यूनिटी

मोटे तौर पर हर्ड इम्यूनिटी का अर्थ है कि जब ढेरों लोग वायरस के प्रति इम्यून हो जाएंगे तो वायरस अपने आप खत्म हो जाएगा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 4 Feb 2022 11:49 AM IST
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हर्ड इम्यूनिटी (फोटो-सोशल मीडिया)

Corona Infection: कोरोना महामारी आने के बाद सामने आए नए शब्दों में हर्ड इम्यूनिटी भी शामिल है। पब्लिक हेल्थ से जुड़ गये इस शब्द की चर्चा डब्लूएचओ ने फिर छेड़ते हुए कहा है कि हर्ड इम्यूनिटी के जरिये कोरोना महामारी से पार पाने की सोचना मूर्खतापूर्ण है। एक्सपर्ट्स का भी यही कहना है कि जब तक नए वेरियंट और म्यूटेशन होते रहेंगे, तब तक व्यापक प्रतिरक्षा मुमकिन नहीं होगी। फ्लू इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

मोटे तौर पर हर्ड इम्यूनिटी का अर्थ है कि जब ढेरों लोग वायरस के प्रति इम्यून हो जाएंगे तो वायरस अपने आप खत्म हो जाएगा। क्योंकि जब संक्रमित करने के लिए वायरस को कोई इंसान मिलेगा ही नहीं तो वह अपने आप समाप्त हो जाएगा। तर्क ये है कि लोगों में ये इम्यूनिटी वैक्सीन या कोरोना संक्रमण से पैदा होगी। इस तर्क में चेचक और खसरे पर विजय का उदाहरण दिया जाता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इम्यूनोलॉजी और बायोलॉजी के प्रोफेसर रॉस केडल का कहना है कि इस अवधारणा ने अन्य वायरस के खिलाफ अच्छा काम किया है। कोरोना के बारे में भी विश्वास था कि पर्याप्त लोगों को टीका लगाया जाएगा, और फिर ये वायरस गायब हो जाएगा। यहां वहां कुछ मामले आएंगे लेकिन जब एक निश्चित जनसंख्या का वैक्सीनेशन हो जाएगा तो वायरस मिट जाएगा।

लेकिन दो साल पहले आये हर्ड इम्यूनिटी के मूल विचार में कुछ बहुत गंभीर संशोधन हुए हैं क्योंकि अब बहुत सारे नए तथ्यों से सामना हो चुका है।

इम्यूनिटी हमेशा नहीं रहती

एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण दोनों से बनी प्रतिरक्षा हमेशा एक समान नहीं रहती है बल्कि ये कम हो जाती है। इसके अलावा नए वेरियंट सामने आने की संभावना बनी रहती है और ये वेरियंट कैसे होंगे, क्या करेंगे ये कोई नहीं बता सकता। ओमीक्रान ही कोई आखिरी वेरियंट नहीं है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ओक्लाहोमा के हडसन कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ में बायोस्टैटिस्टिक्स और महामारी विज्ञान के प्रोफेसर आरोन वेंडेलबो के अनुसार, वेरिएंट का आगमन कई अनुमानों से ज्यादा तेज रहा है। इससे पहले कि डेल्टा लहर पूरी तरह से कम हो, ओमीक्रान आ गया और अब उसका सब वेरियंट फैल रहा है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, वायरस का म्यूटेशन खतरनाक है। साथ ही घटती इम्यूनिटी भी हर्ड इम्यूनिटी की राह में सबसे बड़ी बाधा है। डॉ केडल के अनुसार, हर्ड इम्यूनिटी के जरिये बीमारी को पूरी तरह से मिटा दिया जाना मुमकिन नहीं है।

फ्लू के खिलाफ नहीं बन सकी हर्ड इम्यूनिटी

ओक्लाहोमा हडसन कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर एरन वेंडलबो के अनुसार, चेचक या खसरे के प्रति व्यापक इम्यूनिटी बहुत लंबे समय के उपरांत हासिल की जा सकी है। लेकिन फ्लू के खिलाफ ऐसा अब भी नहीं हो सका है। फ्लू के टीके भी हर सीजन में बदलने पड़ते हैं।

जब भी वायरस म्यूटेट करेगा तो सब कैलकुलेशन बदल जाते हैं। अभी यही तय नहीं है कि कितने लोगों को वैक्सिनेटेड करने पर किसी तरह की हर्ड इम्यूनिटी पाई जा सकती है। पहले ये जादुई संख्या 70 फीसदी लेकिन ओमीक्रान आने पर ये संख्या 90 फीसदी मानी जा रही है। आने वाले समय में क्या स्थिति बनेगी ये वेरियंट्स और म्यूटेशनों पर ही निर्भर करता है।

उन्होंने कहा कि उन्हें हर छह महीने में नए वेरिएंट आने की उम्मीद है और नए बूस्टर की जरूरत लगभग उसी शेड्यूल पर होगी। कोई भी नया संस्करण कैसा दिखेगा, ये भविष्यवाणी करना सम्भव नहीं है। वायरस की प्राकृतिक प्रगति अधिक घातक बनने के लिए नहीं है, बल्कि अधिक हल्के और अधिक संक्रामक होने के लिए है। अधिक सौम्य वेरियंट का मतलब है कि संक्रमितों के जीवित रहने की अधिक संभावना है, जिससे वायरस को फैलने और पनपने का बेहतर मौका मिलता है। अधिक संक्रमणीय का अर्थ है अधिक मेजबानों को संक्रमित करना।



Vidushi Mishra

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