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Hijab Controversy: सुप्रीम कोर्ट का त्वरित कार्यवाही से इनकार, कर्नाटक HC के फैसले को दी गई है चुनौती

Hijab Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब प्रकरण पर त्वरित कार्यवाही से इनकार कर दिया है।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Shreya
Published on: 24 March 2022 12:29 PM IST
Hijab Controversy: सुप्रीम कोर्ट का त्वरित कार्यवाही से इनकार, कर्नाटक HC के फैसले को दी गई है चुनौती
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सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Hijab Controversy: कर्नाटक के एक शिक्षण संस्थान से निकला हिजाब प्रकरण मामला (Hijab Controversy Case) आज देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे में बीते 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब (Hijab) पहनने की अनुमति वाली याचिका को खारिज करते हुए अपना फैसले सुनाया था। इस मौके कर्नाटक उच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि- "हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।"

इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता छात्राओं ने हाई कोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। याचिका दाखिल करते हुए छात्राओं ने का कहना था कि इस मामले को होली (Holi 2022 Holiday) की छुट्टी के तुरंत बाद सुनवाई कर निपटाया जाए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने भी सहमति दर्ज की थी। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब प्रकरण पर त्वरित कार्यवाही से इनकार कर दिया है।

बीते 15 मार्च को हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

9 फरवरी हिजाब मामले में छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने की मांग के तहत दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन सदस्यी खंड पीठ ने अपना फैसला सुनाया था, अपने इस फैसले में मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और इसी के चलते शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर लगी रोक जारी रहेगी।

इसी के साथ न्यायालय ने यह भी कहा था कि शिक्षण संस्थानों में लागू ड्रेस पहनने से कोई भी छात्र इनकार नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संविधान का उल्लेख

छात्राओं ने याचिका में दलील दी है कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार का हवाला देते हुए हिजाब पहनने को उनका अधिकार बताया है। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

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