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हिंदी की मशहूर लेखिका मन्नू भंडारी का निधन, 'आपका बंटी' ने दिलायी शोहरत तो 'यही सच है' पर बनी 'रजनीगंधा फिल्म

हिंदी की मशहूर लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी (Mannu Bhandari) का आज सोमवार (15 नवंबर 2021) को निधन (Passes Away) हो गया। 90 वर्षीय मन्नू भंडारी अपने लेखन के जरिए पुरुषवादी समाज पर चोट लगातार करती रही थीं।

aman
Published By aman
Published on: 15 Nov 2021 10:56 AM GMT (Updated on: 16 Nov 2021 12:17 PM GMT)
हिंदी की मशहूर लेखिका मन्नू भंडारी का निधन, आपका बंटी ने दिलायी शोहरत तो यही सच है पर बनी रजनीगंधा फिल्म
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हिंदी की मशहूर लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी (Mannu Bhandari) का आज सोमवार (15 नवंबर 2021) को निधन (Passes Away) हो गया। 90 वर्षीय मन्नू भंडारी अपने लेखन के जरिए पुरुषवादी समाज पर चोट लगातार करती रही थीं। उनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं हैं, जिनमें कुछ पर फिल्म भी बनी थी।

जी, हां वही मन्नू भंडारी जिन्होंने प्रसिद्ध 'आपका बंटी' जैसी मशहूर रचना को जन्म दिया। बता दें, कि 'आपका बंटी' को हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। यूं तो मन्नू भंडारी को उनकी कई रचनाओं ने ख्याति दी लेकिन उनमें सबसे ज्यादा शोहरत 'आपका बंटी' से मिली। क्योंकि, इसमें प्यार, शादी, तलाक और वैवाहिक जीवन के टूटने और बिखरने की कहानी है। उसे इतनी पाकीजगी से लिखा गया है कि पाठक उसे खुद से जुड़ा और एहसास के साथ पढ़ते रहे हैं। 'आपका बंटी' को हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। इसी कहानी पर 'समय की धारा' नाम से फिल्म भी बनी थी। इस किताब का अनुवाद बांग्ला, अंग्रेजी और फ्रांसीसी में भी हुआ था।

मशहूर साहित्यकार राजेंद्र यादव उनके पति थे

मशहूर साहित्यकार राजेंद्र यादव मन्नू भंडारी के पति थे। ज्ञात हो, कि मन्नू भंडारी का जन्म 03 अप्रैल 1931 में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में हुआ था। मन्नू दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ाती थीं। मन्नू भंडारी की अन्य चर्चित कहानियों में 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'मैं हार गई', 'एक प्लेट सैलाब', 'यही सच है' और 'आंखों देखा झूठ' तथा 'त्रिशंकु' आदि हैं।

सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वाले उमड़ पड़े

मन्नू भंडारी का पहला कहानी संग्रह साल 1957 में प्रकाशित हुआ था। 'मैं हार गई' कहानी में उन्होंने एक नारी के मन की अभिव्यक्ति को बखूबी उकेरा। उनके कई उपन्यास पर फिल्में भी बनीं। जिसमें, 'आपका बंटी' और 'महाभोज' शामिल है। मन्नू भंडारी के निधन का समाचार मिलते ही सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वाले उमड़ पड़े। प्रसिद्ध हिंदी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा ने लिखा, 'मन्नू भंडारी चली गयीं। श्रद्धांजलि।'

महेंद्र कुमारी बनीं 'मन्नू'

मन्नू के माता-पिता ने उनका नाम महेंद्र कुमारी रखा था। लेकिन, लेखन क्षेत्र में उतरने और अपने कदम बढ़ाने के बाद उन्होंने उन्होंने अपना नाम बदलकर 'मन्नू' कर लिया। इसके पीछे की वजह ये थी कि उन्हें बचपन में लोग मन्नू कहकर ही बुलाते थे। बचपन ही नहीं लोग उन्हें आजीवन मन्नू भंडारी के नाम से ही बुलाते रहे।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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