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Gandhi Shastri Jayanti : मोदी व शाह ने गांधी और शास्त्री को लेकर कही ये बातें
Gandhi Shastri Jayanti : गृह मंत्री अमित शाह ने 2 अक्टूबर यानी गांधी-शास्त्री जयंती के सुअवसर पर अपने सम्बोधन में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के शौर्य और देश की आज़ादी में किये बलिदान को याद किया।
Gandhi Shastri Jayanti : गांधी जी सिद्धांत व विचार वैश्विक हैं। जबकि शास्त्री जी के मूल्य व विचार प्रेरणा के स्रोत।शास्त्री जी व गांधी जी के दिखायें रास्ते पर देश व दुनिया आज भी चलती है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी-शास्त्री जयंती के अवसर पर शनिवार को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित की और ट्वीट करते हुए कहा कि-"गांधी जी के विचार और सिद्धांत आज भी वैश्विक रूप से प्रासंगिक हैं । लाखों लोगों को प्रेरणा भी दे रहे हैं तथा शास्त्री जी के मूल्य और सिद्धांत हमेशा देश के नागरिकों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में काम करते रहेंगे।"
गृह मंत्री अमित शाह ने 2 अक्टूबर यानी गांधी-शास्त्री जयंती के सुअवसर पर अपने सम्बोधन में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के शौर्य और देश की आज़ादी में किये बलिदान को याद किया।
देश को शुभकामनाएं
अमित शाह ने ट्वीट कर देश को गांधी-शास्त्री जयंती की पर देश को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि-"महात्मा गांधी ने दुनिया को अहिंसा का रास्ता दिखाया और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भारत के "स्वाभिमान" प्रतीक के रूप में जाना जाता है। गांधी और शास्त्री जी की सरलता, ईमानदारी और देशभक्ति वाकई सराहनीय है।"
अमित शाह ने कहा कि आज के समय में भी लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा दिया गया नारा "जय जवान-जय किसान" उतना ही प्रासंगिक है , जितना पहले था। गृह मंत्री अमित शाह ने 2 अक्टूबर के उपलक्ष्य में गांधी और शास्त्री जी को याद करते हुए कहा कि देश और दुनिया आज भी उनके दिखाए गए आदर्शों पर चलती है। उनके बताए गए नियमों को मानती है। इन दोनों महापुरुषों की बातें पहले के जितनी ही आज भी प्रासंगिक हैं।
देश को एक नई दिशा की ओर अग्रसर
महात्मा गांधी "बापू" का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के बल पर देश के करोड़ों लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत की आज़ादी में अहम भूमिका निभाई तथा लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।
छोटी उम्र में ही राजनीति में उतरने के साथ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में सत्याग्रहियों के साथ मिलकर देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। 1964 को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद देश को एक नई दिशा की ओर अग्रसर किया।