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आउट ऑफ कंट्रोल कोरोना महामारी में अब जांच पर कंट्रोल
आईसीएमआर का तर्क है कि कोरोना की ताजा लहर की वजह से जांच प्रयोगशालाओं पर दबाव बहुत बढ़ गया है।
कोरोना वायरस की जांच करते स्वास्थ्यकर्मी (फाइल फोटो: सोशल मीडिया )
लखनऊ: भारत में कोरोना तो कंट्रोल हो नहीं रहा लेकिन कोरोना की जांच को कंट्रोल किया जा रहा है। इस बारे में कोरोना महामारी के प्रबंधन की नोडल संस्था आईसीएमआर ने नए निर्देश जारी किए हैं। संस्था ने कहा है कि जो व्यक्ति एक बार रैपिड एंटीजेन टेस्ट (आरएटी) या आरटीपीसीआर में पॉजिटिव पाए जा चुके हैं उन्हें दोबारा आरटीपीसीआर जांच नहीं करानी चाहिए।
इसके अलावा अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज अगर ठीक हो गए हों तो उन्हें अस्पताल से छोड़ने के लिए अब से आरटीपीसीआर जांच करने की जरूरत नहीं है। आईसीएमआर ने ये भी निर्देश दिया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले "स्वस्थ्य" लोगों की भी आरटीपीसीआर जांच करने की जरूरत नहीं है। बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज की पहचान कैसे होगी ये भला अब कैसे पता चलेगा?
समस्या यह है कि बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनमें संक्रमण तो होता है लेकिन कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। यात्रा में आरटीपीसीआर जांच का नियम को हटाने से संभव है कि बिना लक्षण वाले मरीज यात्रा कर एक जगह से दूसरी जगह चले जाएं। ऐसे में संक्रमण का चक्र टूट नहीं पाएगा और मौजूदा लहर को रोकना और मुश्किल हो जाएगा। यही नहीं, जहां अभी तक कम से कम 70 फीसदी आरटीपीसीआर जांच की बात कही जा रही थी, उसको दरकिनार कर रैपिड एंटीजन टेस्ट जांचों को बढ़ाने के लिए कहा गया है।
कोरोना वायरस की जांच करती महिला स्वास्थ्यकर्मी (फोटो: सोशल मीडिया)
ऐसे में आशंका है कि संक्रमित व्यक्तियों का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाएगा। भारत में आबादी के हिसाब से कुल जांचों की संख्या वैसे भी कम है जिससे संक्रमण के कन्फर्म मामलों की संख्या को भी कम ही माना जाता है। अगर जांच की संख्या और कम कर दी गई तो यह आंकड़ा और गिरेगा।
अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप ने अपने सबसे बुरे दौर में भी जांच घटाने की बजाए बढ़ा दी थीं। चीन ने तो चंद मामले आने पर पूरे पूरे शहरों में 100 फीसदी आबादी की आरटीपीसीआर जांच कर डाली थी। इसी के चलते इन देशों ने कोरोना को कंट्रोल कर लिया।
आईसीएमआर का तर्क है कि कोरोना की ताजा लहर की वजह से जांच प्रयोगशालाओं पर दबाव बहुत बढ़ गया है। संस्था ने कहा है कि जानकारी दी कि देश में जांच करने वाली कुल 2,506 प्रयोगशालाएं हैं जिनमें रोज करीब 15 लाख सैंपलों की ही जांच हो सकती है। वैसे आईसीएमआर ने यह भी कहा है कि किसी व्यक्ति में अगर बुखार, खांसी, सिरदर्द आदि जैसे लक्षण नजर आ रहे हों तो उसे कोरोना पॉजिटिव माना जाए।
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