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खतरे में कश्मीर: घाटी में आतंकी हमलों का साया, अफगानिस्तान में अमेरिका सैनिकों से आई नई आफत
अफगानिस्तान से जा रही अमेरिका सेना का असर अब भारत के कश्मीर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। कश्मीर के ऊपर आतंकी हमलों का साया मंडराने का खतरा है।
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में अमेरिका सेना का असर अब भारत के कश्मीर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। अफगानिस्तान ये अमेरिकी सैनिकों की वापसी से कश्मीर में आतंकी हलचलें तेज होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। कश्मीर में बीते कई दिनों से माहौल शांत चल रहा था, लेकिन आतंकियों के नापाक इरादों को भापते हुए, आतंकी साजिश की बू आने लगी है।
सूत्रों से सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, लोकतंत्र रक्षा के लिए बने फाउंडेशन 'एफडीडी' के वरिष्ठ फेलो और लॉन्ग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोगियो ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बढ़ने की संभावना है।
कश्मीर पर संकट
ऐसे में इस मामले पर लगातार नजर गड़ाए हुए पर्यवेक्षकों को ये शक है कि अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध से खुद को अलग कर लेने के बाद कश्मीर में जंग के हालात और बेकाबू हो सकते हैं।
इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है कि अमेरिका सिर्फ अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है, देश में अपनी मौजूदगी खत्म नहीं करेगा। लेकिन इसके बाद पाकिस्तानी विदेश नीति की शह पाकर ये आतंकी गुट अफगानिस्तान का साथ देने वाले देशों के खिलाफ अपनी गतिविधियों में तेजी ला सकता है।
अमेरिकी सैनिको की वापसी को लेकर भारत ने अपने पड़ोसी पर आतंकियों को खुली छूट देने का आरोप लगाते हुए दोनों देशों के बीच जारी लंबे संघर्ष के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है।
दो साल पहले अगस्त 2019 में दोनों देशों के बीच तनाव एक नए सिरे से बढ़ गया, जिस समय भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया। वहीं इस कदम ने पाकिस्तान को बौखला कर रख दिया, जो अपनी विदेश नीति में कश्मीर को सबसे अहम मुद्दे के रूप में देखता है।
आतंकियों के लिए पाकिस्तान दाता
पाकिस्तान न केवल अपनी जमीन पर आतंकवाद को पनाह उसकी रखवाली करता है, बल्कि आतंकियों को उनके नापाक इरादों के लिए धन भी एकत्रित करता है। ऐसे में यह दावा है पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) का, जिसने कहा है कि सरकार अफगान तालिबान को मस्जिद के जरिये चंदा जुटाने की इस प्रथा को खत्म करने के लिए तेजी से कार्रवाई करे।
इस बारे में सूत्रों से सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के पूर्व प्रांतीय प्रवक्ता और एएनपी के प्रांतीय अध्यक्ष आइमल वली खान ने एक मरकज में आयोजित शोक सभा में बोलते हुए मंस्जिदों में जारी दान के संग्रह के बारे में खुलासा किया।
साथ ही उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और जमात-ए-इस्लामी सरकार में सहयोगी नहीं हैं, मगर उन दोनों को एक ही स्रोत से आदेश मिल रहे हैं। एएनपी नेता ने कहा कि आतंकी देश के कुछ हिस्सों में फिर से संगठित हो रहे हैं, मगर सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।
जबकि पाकिस्तान सरकार के एक आंतरिक दस्तावेज से पता चला है कि आईएस के खोरासान गुट से रिश्ता कायम रखने की वजह से 24 पाकिस्तानी महिलाओं को उनके बच्चों के साथ अफगानिस्तान में जेल में कैद कर दिया।