×

Independence Day : हम आजाद हैं, इसलिए जरूरी है आज़ादी के महत्व को समझना

Independence Day : हमें अंग्रेजों से 200 वर्ष के बाद आजादी मिली। जब तक हम अंग्रेजों के गुलाम थे, तब तक भारत वासियों ने बहुत सी यातनाएं सही।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 14 Aug 2021 5:46 AM GMT
independence day 2021
X

स्वतंत्रता दिवस (फोटो- सोशल मीडिया)

Independence Day : स्वतंत्रता दिवस मात्र एक दिवस नहीं बल्कि भारत का एक राष्ट्रीय त्यौहार है। सैकड़ों साल की गुलामी के बाद इसी दिन भारत एक स्वतंत्र देश बना था और केवल तभी हम भारत के नागरिकों के रूप में अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को सुरक्षित रख सके। हमारी स्वतंत्रता हमें संविधान द्वारा निर्धारित हमारे मौलिक अधिकारों का आनंद लेने का कारण देती है।

हमें अंग्रेजों से 200 वर्ष के बाद आजादी मिली। जब तक हम अंग्रेजों के गुलाम थे, तब तक भारत वासियों ने बहुत सी यातनाएं सही। हमें काफी संघर्ष करने के बाद अंग्रेजों से आजादी मिली थी, इसलिए स्वतंत्रता को संभाल कर रखना हम सभी का दायित्व है।

आजादी को कितने साल हो गए 2021
(How many years have passed since independence 2021?)

इस साल 2021 में देश की आजादी का 75वां जश्न मनाया जाएगा।

वोट देने का अधिकार कैसा अधिकार है?

आज देश के हर नागरिक के पास वोट देने का सामान अधिकार है, अपनी सरकार चुनने का अधिकार है, देश की तरक्की में भागीदारी का अधिकार है। अपने धर्म और आस्था का अनुसरण करने का अधिकार है, कहीं भी आनेजाने का अधिकार है।

जरा सोचिये, अगर हम परतंत्र होते तो क्या ये सभी अधिकार हमें मिल पाते? स्वतंत्रता दिवस की महत्ता समझने के लिए अपने और अपने परिवेश पर नजर डालिए। देखिये कि हम किस तरह खुली हवा में सांस ले रहे हैं। हमें हर तरह की आज़ादी मिली हुई है।

अपनी आजादी की तुलना पिंजरे में बंद पक्षी से करिए तब पता चलेगा इस दिन का महत्व। सोने-चांदी के पिंजरे में भी बंद पक्षी भले ही सब सुविधाएँ पाता हो लेकिन है वह गुलाम ही। ठीक इसी तरह की स्थिति किसी देश की और उसके नागरिकों की होती है जब वे गुलाम होते हैं।

पराधीन व्यक्ति कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकता है। यदि पराधीनता सबसे बड़ा दुःख है तो स्वतंत्रता सबसे बड़ा सुख है। हितोपदेश में तो यहाँ तक कहा गया है कि यदि परतंत्र व्यक्ति जीवित है तो फिर मृत कौन है? यानी परतंत्र व्यक्ति मरे हुए के सामान है।

स्वतंत्रता दिवस (फोटो- सोशल मीडिया)

हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार

स्वतंत्रता हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है। किसी एक अकेले इनसान की भांति स्वतंत्र देश ही उन्नति के पथ पर आगे बढ़ सकता है क्योंकि उसे सोचने, बोलने और करने की स्वतंत्रता होती है। भारत का दुर्भाग्य रहा कि उसने बहुत लम्बे समय तक पराधीनता का दुःख भोगा है।

ऐसे में समंझना होगा आज़ादी का महत्त्व, जिसे हमने बहुत बलिदानों के बाद हासिल किया है। यह अथक प्रयासों और कई महान लोगों के कई बलिदानों के कारण है जिन्होंने बिना किसी भय के अपने जीवन का बलिदान दिया। हम में से हर एक स्वतंत्र पैदा होता है, स्वतंत्र मरता है और मुक्त रहना चाहता है।

भारत ने बड़े संघर्ष और प्रयास के साथ अपनी स्वतंत्रता हासिल की है। स्वतंत्रता दिवस हमें अपने देश से प्यार करने और अपने सम्मान और अखंडता के लिए अपने जीवन का बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार रहने के लिए प्रेरित करता है।

यह वो दिन है जो हम सभी को स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाता है। यह दिन देशभक्ति की भावना से प्रेरित करता है और हमें अपने देश के लिए कुछ करने के उत्साह के साथ प्रेरित करता है। इस कुर्बानी के बदले तो हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन कम से कम स्वतंत्रता दिवस के दिन हम उन महान विभूतियों को याद कर श्रद्धांजलि तो दे ही सकते हैं।

स्वतंत्रता हर व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्वतंत्रता रूपी जीवन, नागरिकों को कहीं भी घूमने, अपने मनपसंद का खाने-पीने और अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करने की आजादी देता है, गुलामी का जीवन बहुत ही दुख भरा होता हैं। स्वतंत्रता हर एक इन्सान का मूल अधिकार है।

स्वतंत्रता दिवस हमारी स्वतंत्रता का जश्न मनाने का एक तरीका भी है। जिस दिन हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की, भारत के नागरिकों ने सच्ची स्वतंत्रता का स्वाद चखा। उन्होंने इस नई आजादी का जश्न मनाया और इस दिन को साल-दर-साल उसी भावना के साथ मनाया जाता है।


यह हमें अपनी जड़ों के करीब होने के महत्व को भी याद दिलाता है और ऊंची उड़ान भरने और स्वतंत्र महसूस करने के बावजूद भी जमीनी स्तर पर बना रहता है। आज हम जो ये खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं ये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों का कर्ज है हमारे ऊपर. हजारों की संख्या में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

तिरंगे का कलर

स्वतंत्रता दिवस पर अपने राष्ट्रीय ध्वज की याद करिए, वह भी आज़ादी के महत्त्व को दर्शाता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं - भगवा, सफेद और हरा। भगवा रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है, सफ़ेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है और हरा रंग यहाँ की उर्वरता, वृद्धि और शुभता को दर्शाता है। बीच में अशोक चक्र को स्थान दिया है जो धर्म चक्र का प्रतीक है।

तिरंगा (फोटो- सोशल मीडिया)

तिरंगे में अशोक चक्र का महत्व

अशोक चक्र में 24 तीलियाँ हैं जिनका हर एक का अपना अलग महत्व है। ये हमें संयम, आरोग्य, शांति, त्याग, शील, सेवा, क्षमा, प्रेम, मैत्री, बन्धुत्व, संगठन, कल्याण, समृद्धि, उद्योग, सुरक्षा, नियम, समता, अर्थ, नीति, न्याय, सहकार्य, कर्तव्य, अधिकार और बुद्धिमत्ता की प्रेरणा देती हैं।

हम सब मिल कर प्रण लें की किसी भी कीमत पर अपने देश की एकता और अखंडता पर आंच नहीं आने देंगे और अपने पूर्वजों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। हम आपस में किसी भी मसले पर फूट नहीं पड़ने देंगे जिससे किसी दुश्मन को इसका फायदा मिले। हम सब मिल कर भारत देश को और आगे ले कर जायेंगे।

देश की आजादी

आजादी के इस गौरवान्वित अवसर पर हमें कुछ अन्य सच्चाईयों को भी देखना - समझना होगा। हमारे क्रांतिकारियों ने अपने लहू देकर, अपना जीवन देकर हमको ये आज़ादी दिलाई थी। स्वतंत्रता दिवस पर यह भी समझना होगा कि सिर्फ एक विदेशी शासन का खत्म हो जाना ही स्वतंत्रता नहीं है। हमें बहुत सी चीजों से आज़ादी मिलनी बाकी है और उसके लिए हमें स्वयं आज़ादी की निजी लड़ाई लड़नी होगी।

ये लड़ाई है अशिक्षा के खिलाफ, अंधविश्वास के खिलाफ, छुआछूत के खिलाफ, कुरीतियों के खिलाफ, अमीर-गरीब की असामनता के खिलाफ, जातिवाद के खिलाफ, धर्मों के बीच वैमनस्य के खिलाफ, छुद्र स्वार्थों के खिलाफ, स्त्री-पुरुष असमानता के खिलाफ, झूठे प्रचार के खिलाफ, जमाखोरी के खिलाफ, घूसखोरी के खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ।

ये सब चीजें हमें अदृश्य बेड़ियों-जंजीरों की तरह जकड़े हुए हैं। इनसे पीछा छुड़ाने-आज़ादी पाने के लिए हममें से एक एक को स्वतंत्रता वीर बनना होगा। ये लड़ाई किसी शासन के खिलाफ नहीं बल्कि हमारे खुद के भीतर मौजूद पराधीनता के खिलाफ लड़नी है।

आज़ादी को प्राप्त हुए 73 साल हो गए लेकिन तमाम दुश्वारियां आज भी मौजूद हैं जिनसे हमें आज़ादी पानी बाकी है। खुद से सवाल करिये क्या इसी दिन के लिए हमारे आज़ादी के दीवाने शहीद हुए थे?

वो भी चाहते तो अंग्रेजों को गुलामी करके अपना जीवन यापन कर लेते क्या जरूरत थी उनको अपनी जान गंवाने की? लेकिन उन्होंने एक स्वस्थ और समृद्ध भारत की कल्पना की थी। उनको गुलामी मंजूर नहीं थी। शहीदों और क्रांतिकारियों में सभी धर्म-समाज के लोग थे अलग-अलग प्रान्त के लोग थे। उनका सपना एक भारत का था। छोटे-छोटे धर्म-जाति के आधार पर बटें हुए भारत का नहीं था।

दुष्यंत की यह पंक्तियां आज के परिवेश में बिल्कुल प्रासंगिक सिद्ध होती दिखाई देती हैं :

'सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए, मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में ही सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण, ग़रीबी, आतंकवाद और नक्सलवाद के कारण आज़ादी शब्द के मायने ख़त्म होते जा रहे हैं। निश्चित तौर पर भारत कई क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है लेकिन कहीं भ्रष्टाचार, अशिक्षा तो कहीं गंदी राजनीति का जाल बिछा हुआ है तो, कहीं महिलाएं समाज में अपने ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। सही मायने में तो हमें आज़ादी तब मिलेगी जब यहां पर वास्तव में सबको सामान अधिकार मिलेगा।

15 अगस्त

15 अगस्त हर भारतीय के लिए एक सम्मान और गर्व का दिन है। भारत को 200 साल बाद इसी दिन ब्रिटिश राज से आजादी मिली थी। भारत को यह आजादी इतनी आसानी से नहीं मिली थी, इस आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी जान गवां दी, कई परिवार उजड़ गए थे। इस आजादी की कीमत बहुत बड़ी है, जिसे हर एक भारतीय को समझना चाहिए।

हम बहुत ही भाग्यशाली हैं, कि इतिहास में हमें ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी मिले, क्योंकि उन्होंने न केवल भारत को आजादी दिलाई, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाया।

आजादी के इस पावन अवसर पर जहां देश, प्रगति की नई- नई योजनाएं ढूंढ रहा हैं। वही हमें गुलामी के उस मंजर को कभी नहीं भूलना चाहिए, जहां हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर दी।

देश का नागरिक होने के नाते हमें अपने देश को सभी समस्याओं से आजाद करना है। ताकि आने वाली पीढ़ी हमें वैसे ही याद करे, जैसे हम अपने स्वतंत्रता संग्रामियों को याद करते हैं। हमें अपने आपको भी ढेरों जंजीरों से मुक्त कराना है जो हमें आगे बढ़ने, समृद्धशाली बनने से रोकती हैं।

चलिए आज एक प्रण लेते है कि देश के विकास में सहायक होंगें, भारत देश की अखंडता, एकता को बनाये रखने के लिए हर एक प्रयास करेंगें। भारत में जब हम सब, एक होकर समस्याओं और दुश्मनों के आगे खड़े होंगे। अपने भारत को विश्व में सबसे अग्रणी राष्ट्र बनायेंगे। ये जान लीजिये कि वह दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया में भारत सबसे विकसित और शक्तिशाली देश बन जाएगा।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story