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भारत में क्यों बेकाबू हुआ कोरोना, जानिए इसकी वजह
भारत में कोरोना की पहली लहर के खत्म होने के बाद लोगों न लापरवाही दिखानी शुरू कर दी। ऐसे में महामारी के मामले बढ़े हैं।
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की दस्तक के बाद स्थिति लगातार खतरनाक होती जा रही है। हर दिन डेढ़ लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। बीते 24 घंटे के दौरान भारत में कोविड-19 के एक लाख 61 हजार 736 नए केस दर्ज किए गए हैं। जबकि इस दौरान 879 लोगों ने दम तोड़ा है। हालांकि थोड़ी राहत की बात ये है कि बीते दिन 97,168 लोगों ने इस बीमारी को मात दिया है।
महामारी की दूसरी लहर लगातार देश के लिए घातक साबित हो रही है। बेकाबू होते संक्रमण ने सरकार से लेकर देशवासियों की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि इसके लिए लोगों द्वारा कोविड संबधित प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कोविड नियमों का उल्लंघन किया जाना ही कोरोना मामलों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। हालांकि लोगों के मन में सवाल है कि साल के शुरुआत में जब स्थिति सामान्य थी तो अचानक से देश में कोरोना की रफ्तार कैसे बढ़ गई।
इसलिए देश में बेकाबू हुआ कोरोना
देश में अचानक कोरोना के बेकाबू होने के पीछे वैज्ञानिकों ने कुछ वजहें बताई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि महामारी के तेजी से फैलने की सबसे पहली वजह नया म्यूटेंट का उभरना है, जो घरेलू और बाहरी हैं। इस नए म्यूटेंट का असर सबसे ज्यादा महाराष्ट्र राज्य में है। इस म्यूटेंट के चलते ही 15 से 20 फीसदी नए मामले बढ़े हैं। बता दें कि भारत से पहले इस वेरिएंट की यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पहचान की गई थी।
वहीं, दूसरी वजह कोरोना संबंधी प्रोटोकॉल का सही तरीके से पालन नहीं करने के साथ साथ सभी लोगों के वैक्सीनेशन से पहले स्कूल, कॉलेज समेत अन्य चीजों को खोल देना रही। मुख्य रूप से कोविड-19 नियमों का पालन न करना और सुस्त वैक्सीनेशन प्रोग्राम बढ़ते कोरोना के मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।
लापरवाही के चलते बिगड़ी स्थिति
वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में पहली लहर के खत्म होने के बाद लोगों न लापरवाही दिखानी शुरू कर दी। ऐसे में महामारी के मामले बढ़ना स्वाभाविक है। कोरोना नियमों की अनदेखी होने की वजह से कोरोना की दूसरी लहर में तेजी आई है। साथ ही कोरोना का नया म्यूटेंट भी दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीनेशन के बिना धार्मिक समूहों, राजनीतक दलों, स्कूल व कॉलेज को खोलना भी दूसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं